U-19 World Cup: ये 4 भारतीय खिलाड़ी जूनियर विश्व कप के सुपरस्टार थे, लेकिन एकदम से फिस्स हो गए

Under-19 विश्व कप में एक समय इन खिलाड़ियों की तूती बोलती थी, लेकिन समय गुजरने के साथ ही इनकी किस्तम का दिया बुझ गया

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उन्मुक्त चंद को लेकर पंडित और फैंस आज भी बात करते हैं
नई दिल्ली:

Under-19 World Cup: इसमें दो राय नहीं कि किसी भी युवा क्रिकेटर के लिए सीनियर टीम में पहुंचने के लिए जो बड़े सेतु का काम करता है, वह अंडर19 विश्व कप (under-19 World Cup) है. जूनियर दिनों हर खिलाड़ी का पहला बड़ा सपना U-19 विश्व कप खेलना होता है क्योंकि वह बखूबी समझता है कि सीनियर टीम में पहुंचने के लिए यह कितना बड़ा जरिया है. जूनियर विश्व कप ने भारत को मोहम्मद कैफ, युवराज सिंह और विराट कोहली से लेकर ऋषभ पंत तक बड़े  स्टार क्रिकेटर दिए, लेकिन यहां ऐसे भी कुछ खिलाड़ी रहे, जो अंडर-19 विश्व कप में बड़े सुपरस्टार बनकर उभरे, लेकिन यह यश और स्टारडम उनके लिए आखिरी बनकर रह गया. वह सीनियर टीम में पहुंचने से मीलों पहले ही गायब हो गए. चलिए आपका कुछ ऐसे ही 4 भारतीय युवाओं से परिचय करा देते हैं, जो एकदम से प्रकाशमय हुए, लेकिन बुझ गए, या उन उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे, जो इनसे लगा ली गई थीं.

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1. उन्मुक्त चंद

अगर इस बल्लेबाज को इस मामले में सबसे बड़ा उदाहरण या "शोध का विषय" करार दिया जाए, तो एक बार को बिल्कुल भी गलत नहीं ही होगा. साल 2012 विश्व कप जीतने में उन्मुक्त ने फाइनल में ऐसी पारी खेली कि उन्हें भविष्य का बड़ा सितारा करार दिया गया. उन्मुक्त ने संकट के समय एक छोर थामते हुए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 130 गेंदों पर नाबाद 111 रन बनाए. देखते ही देखते वह सुपरस्टार बन गए. भारत ने करीब सवा दो सौ का पीछा करते हुए 38 रन पर 4 विकेट गंवा दिए थे. इस प्रदर्शन के बाद फैंस और पंडितों ने उनके जल्द से जल्द भारत के लिए खेलने की चाह पाल ली, लेकिन उन्मुक्त का करियर असामयिक रूप से खत्म हो गया. आज उन्मुक्त अमेरिका में खेल रहे हैं और हो सकता है कि वह एक दिन इस देश के लिए भारत के लिए खेलें, लेकिन एक्सपर्ट आज भी चर्चा करते हैं कि आखिर उन्मुक्त के साथ क्या गलत गया, लेकिन जवाब नहीं मिलता. 

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2. विजय जोल 

लेफ्टी बल्लेबाज महाराष्ट्र के छोटे शहर जलना से आते थे, जहां क्रिकेट की कोई सुविधा नहीं थी. विजय जोल ने तब सुर्खियां बटोरीं, जब उन्होंने साल 2011 में कूच-बिहार ट्रॉफी के एक मैच में 451 रन बटोरे. इसके बाद उनका नाम घरेलू क्रिकेट में चर्चा  का विषय बन गया. और कोई उन्हें देखना चाहता था. साल 2014 में उन्होंने भारत की कप्तानी भी की, जहां भारत यूएई में क्वार्टरफाइनल में हार गया. इस टीम के कुलदीप यादव, श्रेयस अय्यर और संजू सैमसन टीम इंडिया तक पहुंचे. इन्होंने अच्छा नाम कमाया, लेकिन विजय जोल बुझ गए. हालांकि, न्यूजीलैंड ए के खिलाफ शतक जड़कर उन्होंने फर्स्ट क्लास करियर का अच्छा आगाज किया. साथ ही, पहले ही रणजी ट्रॉफी मैच में उन्होंने दोहरा शतक भी जड़ा. 

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Photo Credit: BCCI

3. संदीप शर्मा 

पंजाब के लिए खेलने वाले पेसर संदीप शर्मा ने साल 2012 के संस्करण में ऑस्ट्रेलिया में जब 12 विकेट लिए, तो सभी का ध्यान उनकी ओर गया. संदीप दोनों तरफ गेंद को स्विंग कराते दिखे और उन्होंने 3.62 के इका-रेट से 12 विकेट लिए. फाइनल में संदीप ने 54 रन देकर 4 विकेट लिए. बाद में संदीप कई साल किंग्स इलेवन पंजाब के लिए भी खेले. साल 2015 में जिंबाब्वे के खिलाफ उन्हें टी20 भारतीय टीम में लिया गया, लेकिन वह बेहतर करने में नाकाम रहे. और ऐसे खिलाड़ी बनकर रह गए, जिन्होंने जूनियर दिनों में स्टारडम हासिल किया, लेकिन सीनियर इंडिया की उम्मीदों पर फ्लॉप हो गए.

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Photo Credit: insta- ashok_menaria (5)

4. अशोक मेनारिया

राजसथान के इस लेफ्टी बल्लेबाज ने  साल 2010 संस्करण में भारत की कप्तानी की थी. इस साल टीम में केएल राहुल, मयंक अग्रवाल, मंदीप सिंह और जयदेव उनाडकट थे. ये बाद में चलकर भारत के लिए खेले, लेकिन इनके बीच अशोक मेनारिया गुम हो गए. बतौर कप्तान अशोक पांच पारियों में 31 रन ही बना सके, लेकिन उनके नाम के चर्चे उस दौर में बहुत थे. 

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