भारत के पूर्व ओपनर गौतम गंभीर ने रवींद्र जडेजा की श्रीलंका के खिलाफ पहले टेस्ट में नाबाद 175* रन की पारी को लेकर साहसिक बयान दिया है. मोहाली टेस्ट में यह जडेजा की ही बेहतरीन शतकीय पारी थी, जिसने भारत के पांच से ऊपर के स्कोर के लिए मजबूत आधारशिला रखी थी. साथ ही, जडेजा ने मैच में नौ विकेट भी चटकाए थे और वह मैन ऑफ द बने. जडेजा के इस प्रदर्शन के बाद उनकी चौतरफा तारीफ हो रही है. गंभीर ने कहा कि जडेजा को ऑस्ट्रेलिया जैसे हालात में अगर 40-50 की पारी से श्रीलंका के खिलाफ नाबाद 175* से ज्यादा कॉन्फिडेंस मिला होगा.
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गंभीर ने स्टार-स्पोर्ट्स चैनल से बातचीत में कहा कि अगर रवींद्र जडेजा ऑस्ट्रेलिया में या भारत के बाहर जो 40-50 रन की पारियां खेली हैं, उससे उन्हें श्रीलंका के खिलाफ खेली शतकीय पारी से ज्यादा कॉन्फिडेंस मिला होगा. गौतम ने कहा कि जडेजा के शतक पूरा करने के बाद ऐसा भी समय था कि जडेजा लंकाई धनंजय, असालंका और बाकी गेंदबाजों को मनमर्जी से खेल रहे थे. लेकिन अगर ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड की बात करते हो, तो उनका 40-50 रन का योगदान ही इस पारी से कहीं महत्वपूर्ण होता. जडेजा ने इस पारी के साथ ही नंबर सात या इससे निचले क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए सर्वाधिक स्कोर का कपिल देव का पिछला रिकॉर्ड तोड़ा. कपिल ने 1986 में श्रीलंका के खिलाफ 163 रन का पारी खेली थी.
गंभीर ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मुश्किल समय में जडेजा के उपयोगी योगदान ने उनकी 175* की नाबाद पारी को बनाने में अहम रोल निभाया. उन्होंने कहा कि यह 175* रन की पारी इस बात का उदाहरण है कि जडेजा ने विदेशी जमीन या हालात में कैसे बल्लेबाजी की है. लोग केवल परिणाम देखते हैं, लेकिन 175 की नाबाद पारी तक पहुंचने के लिए बहुत ज्यादा प्रयास हुए हैं. जडेजा ने पहले मुश्किल हालात में बल्लेबाजी की और यही कारण है कि जड्डू को नंबर-1 या 7 पर बैटिंग का मौका मिला.
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गौतम ने आगे रुचिकर पहलू पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि अगर जडेजा विदेशी हालात में नाकाम हो जाते, तो भारतीय मैनेजमेंट अश्विन को उनसे पहले बल्लेबाजी क्रम में भेजता. गंभीर ने कहा कि अगर जडेजा उन हालात में रन नहीं बनाते, तो मैनेजमेंट किसी और या संभवत: अश्विन को नंबर-7 पर बैटिंग के लिए भेजता. जब आप उन मुश्किल हालात में न बनाने के बाद आते हैं, तो आपको अपने आंकड़े या टेस्ट रिकॉर्ड सुधारने का मौका मिलता है
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