'यह मेरी गेंदबाजी में रोड़ा है', वरुण ने स्वीकारा क्यों नहीं खेल सकते टेस्ट क्रिकेट

हाल ही में चैंपियंस ट्रॉफी में तूफानी प्रदर्शन के बाद वरुण के टेस्ट क्रिकेट खेलने को लेकर चर्चे हैं, लेकिन खुद इस मिस्ट्री बॉलर ने इसे खारिज कर दिया

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Varun Chakravarthy: वरुण अगले कुछ साल व्हाइट-बॉल में भारत के लिए अहम रोल निभाने जा रहे हैं
नई दिल्ली:

हाल ही में चैंपियंस ट्रॉफी में टीम इंडिया की खिताबी जीत में बड़ी भूमिका निभाने वाले वरुण चक्रवर्ती (varun chakravarthy) की हर ओर चर्चा है. तमाम पंडित उनकी वापसी के जज्बे की तारीफ कर रहे हैं. वहीं, वरुण ने टेस्ट क्रिकेट खेलने की भी रुचि दिखाई है, लेकिन वह जानते हैं कि उनकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा खुद उनकी गेंदबाजी ही है.वरुण मेगा इवेंट में 9 विकेट चटकाकर मोहम्मद शमी के बराब संयुक्त रूप से दूसरे सबसे सफल बॉलर रहे थे. कुल मिलाकर वरुण को टीम में चुनना और फिर इलेवन में खिलाना भारत के लिए बहुत ही बड़ा दांव साबित हुआ. अब पंडित उन्हें टेस्ट टीम में शामिल करने की बात कर रहे हैं, लेकिन इस विषय पर मिस्ट्री बॉलर का सोचना अलग है, तो इन पंडितों सहित सभी को चौंका देगा.

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वरुण ने एक यू-ट्यूब चैनल से बातचीत में एक सवाल पर कहा, 'मेरी टेस्ट क्रिकेट खेलने में काफी रुचि है, लेकिन मेरी गेंदबाजी टेस्ट क्रिकेट के अनुकूल नहीं है. मेरी बॉलिंग लगभग तेज गेंदबाज की तरह है. टेस्ट क्रिकेट में आपको लगातार बॉलिंग करनी होती है. आपको 20-30 ओवर करने होते हैं. अपनी बॉलिंग के साथ मैं ऐसा नहीं कर सकता है. अब जबकि मैं तेज गेंद फेंकता हूं, तो मैं इसके साथ 10-15 ओवर ही फेंक सकता हूं जो रेड बॉल के अनुकूल नहीं है. मैं फिलहाल टी20 और वनडे क्रिकेट पर ध्यान दे रहा हूं'

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वहीं, बातचीत में वरुण ने यह भी कहा कि उन्हें अपने करियर में तेज गेंदबाजी छोड़ने का कोई मलाल नहीं है. बता दें कि वरुण ने करियर की शुरुआत बतौर विकेटकीपर की थी. इसके बाद वह कॉलेज के दिनों में तेज गेंदबाज बन गए, लेकिन यहां चोट लगने के बाद फिर उन्होंने स्पिन को अपना हथियार बनाया जो एकदम सही फैसला साबित हुआ  

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तेज बॉलिंग छोड़ने का पछतावा नहीं

 क्या आपको इसका पछतावा है?, पर मिस्ट्री बॉलर ने कहा, 'इसकी वजह से ही मैं यहां हूं. अगर मैं तेज गेंदबाजी कर रहा होता, तो यहां नहीं होता. यहां कई तेज गेंदबाज हैं. साथ ही, तमिलनाडु की पिचों पर ज्यादा स्विंग नहीं होती. यहां की पिच स्पिनरों की मददगार हैं. ऐसे में आपको यहां ज्यादा पेस  बॉलर नहीं दिखेंगे. हालांकि, यहां बालाजी थे, नटराजन हैं, लेकिन दूसरे राज्यों में  ज्यादा पेस बॉलर हैं. मैं खुश हूं कि मैंने तेज बॉलिंग छोड़ दी थी. यहां तक कि अश्विन भी तेज गेंदबाजी छोड़कर स्पिनर बन गए'
 

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