द.अफ्रीका अपने नए वर्ल्ड चैंपियन टीम की वतन वापसी और उनके स्वागत की ज़ोर-शोर से तैयारी कर रहा है. चैंपियन खिलाड़ियों के लौटने और जोहान्सबर्ग के वांडरर्स स्टेडियम में एक रोड शो के साथ जश्न के लिए उनकी बेताबी बढ़ती जा रही है. गॉटेन्ग के तकरीबन 150 क्रिकेट क्लबों में जीत के दिन से ही लगातार जश्न का सिलसिला जारी है.
राहुल द्रविड़, चेतेश्वर पुजारा-सा सम्मान
वर्ल्ड चैंपियन कप्तान टेम्बा बावुमा ने सॉविटो और गॉटेन्ग क्रिकेट लीग से ही शुरुआत की थी. गॉटेन्ग क्रिकेट लीग के डायरेक्टर लतीफ सिंघा कहते हैं,"ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत वाले दिन से ही यहां जश्न का दौर जारी है. टेम्बा बावुमा और ऐडन मार्करम को यहां के फैंस राहुल द्रविड़ और चेतेश्वर पुजारा की तरह सॉलिड टेक्निक और मिस्टर रिलायबल का दर्जा दे रहे हैं. हमसब अपने चैंपियंस से मिलने को बेताब हैं."
गॉटेन्ग क्रिकेट लीग के ही एक अहम सदस्य मुनाफ जौलि बताते हैं कि फाइनल मैच के चौथे दिन क्लब के तकरीबन सभी मेंबर्स लॉडियम क्रिकेट क्लब में जुट गए और आखिरी लम्हों तक नाखून चबाते हुए हुए जीत का इंतज़ार किया.
शाहरुख़ ख़ान से तुलना
मुनाफ जौलि बावुमा की तारीफ में कशीदे गढ़ते हुए कहते हैं,"अपने शुरुआती दिनों में बावुमा गॉटेन्ग के लायन्स क्रिकेट क्लब के लिए फर्स्ट क्लास क्रिकेट में धूम मचाते रहे. उनकी टेक्नकीक शुरुआत से ही सॉलिड रही है. वो मेन्टली टफ खिलाड़ी रहे हैं. अब जाकर उन्होंने टीम को बड़ी कामयाबी दिलाई है. ये टीम लगातार हार रही थी. लेकिन बाज़ीगर के शाहरुख खान की तरह उन्होंने बाज़ी पलट दी है."
गॉटेन्ग क्रिकेट लीग के डायरेक्टर लतीफ सिंघा को इस जीत से बड़ी उम्मीद बंधी है. लतीफ कहते हैं,"ये द.अफ्रीका के लिए 1983 वर्ल्ड कप जैसा हो सकता है. यहां स्कूल से ही क्रिकेट शुरू हो जाती है. और यहां के कई स्कूलों में आप दो-तीन दिनों में ही क्रिकेट को लेकर बदलाव महसूस कर सकते हैं. द.अफ्रीका में सॉकर (वर्ल्ड नंबर 56) के बाद क्रिकेट सबसे ज़्यादा लोकप्रिय है. लोग स्प्रिंगबॉक्स या चार बार की वर्ल्ड चैंपियन रग्बी टीम (1995, 2007, 2019 और 2023) से भी ज्यादा प्रोटियाज़ की क्लासिकल क्रिकेट के शौकीन बन गए हैं."
लांगा की मजबूत क्रिकेट संस्कृति ने वहीं पले-बढ़े बावुमा की क्रिकेट तकनीक और क्रिकेट के लिए जुनून को संवारने में बड़ी मदद की. बावुमा ने न्यूलैंड्स में साउथ अफ्रीकन कॉलेज जूनियर स्कूल और सैंडटन में लड़कों के हाई स्कूल सेंट डेविड्स मैरिस्ट इनांडा में पढ़ाई लिखाई की. उनपर छोटे कद की वजह से बॉडी शेमिंग और आरक्षण को लेकर ताने कसे जाते रहे. लेकिन इन सबने उन्हें मानसिक तौर पर और मज़बूत ही बनाया. अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत ने वर्ल्ड क्रिकेट में उनका दर्जा और ऊंचा कर दिया है.
सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर ने सराहा
पूर्व भारतीय कप्तान और वर्ल्ड चैंपियन सुनील गावस्कर कहते हैं, "इस जीत के बाद बावुमा को लेकर बतौर खिलाड़ी या कप्तान जो भी संदेह रहे हों, खत्म हो जाएंगे." विज्डन लिखता है, "100 साल के क्रिकेट इतिहास में बावुमा से पहले किसी टेस्ट कप्तान ने अपने 10 में से 9 मैच नहीं जीते. बावुमा ने बिना हार के बेहतरीन शुरुआत का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया है"
बावुमा सचिन तेंदुलकर के फैन बताये जाते हैं. तो सचिन ने भी द.अफ्रीकी की जीत की टेस्ट क्रिकेट के मैजिक से तुलना की है. उन्होंने खासतौर पर मार्कराम के शतक और बावुमा के संयमित-तूफान में शांत-सी कप्तानी की तुलना करते हुए द.अफ्रीकी टीम को बधाई दी है. द.अफ्रीकी टीम 2021 में पांचवें, 2023 में तीसरे और 2025 में पहले नंबर पर रही. दैनिक जागरण के स्पोर्ट्स एडिटर अभिषेक त्रिपाठी X पर बावुमा के टेस्ट औसत के आंकड़ों को ट्वीट करते हुए (टेस्ट क्रिकेट में बावुमा का औसत 2021: 53.60, 2022: 40.07, 2023: 50.40, 2024: 55.88, 2025: 60.33,) लिखते हैं, "लीजैंड ऐसे होते हैं."
1983 वर्ल्ड कप सा मैजिक
द. अफ्रीकी टीम ने 27 साल बाद आईसीसी की ट्रॉफी अपने नाम की. कई दफा नॉक आउट में जीत के करीब होकर भी फिसलती रही. चोकर्स का टैग भी लगा. शायद इसलिए प्रोटियाज़ और उनके फैंस की आखिर वक्त तक धुकधुकी लगी रही. जीत के बाद वर्ल्ड चैंपियन कप्तान टेम्बा बावुमा ने कहा,"जब हमने इसे 10 रन पर ला दिया, तब भी आप सोच रहे थे कि कुछ भी हो सकता है." एडेन मार्करम ने कहा,"हम इसे जल्द से जल्द खत्म करना चाहते थे, लेकिन यह आसान नहीं था."
बावुमा ने ये भी कहा,"मेरे लिए सिर्फ एक काले अफ्रीकी क्रिकेटर के रूप में नहीं, बल्कि किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में पहचाना जाना जो कुछ हासिल किया है, जो देश ने इतना चाहा है, यह कुछ ऐसा है जो मुझे अपनी छाती बाहर निकालकर चलने के लिए प्रेरित करेगा और मुझे उम्मीद है कि यह देश को प्रेरित करेगा."
लॉर्ड्स पर 42 साल पहले, 1983 वर्ल्ड कप में एक अंडरडॉग टीम ने डबल वर्ल्ड चैंपियन टीम को हराया और दुनिया के क्रिकेट की दशा बदल गई. भारत में इस खेल को धर्म और जुनून का दर्जा हासिल हो गया. जिस देश से इस खेल की शुरुआत हुई उस देश से भी भारत कहीं आगे निकल गया.
चार दशक बाद जून के महीने में लॉर्ड्स पर ही एक बार फिर तारीख लिखी गई है. द.अफ्रीकी टीम ने इस बार बेहद मजबूत डिफेंडिंग चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को शिकस्त देकर मिसाल कायम की है. द.अफ्रीका में बदलाव की बयार बह रही है. प्रोटियाज़ की ये महान जीत इस टीम के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण साबित हो सकती है.
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