MS Dhoni की अगुआई वाली भारतीय टीम ने वनडे विश्व कप जीतने के लिए 28 साल का लंबा इंतजार किया और आखिर में साल 2011 में इसे जीत लिया. जिसका सचिन भी हिस्सा थे. विराट कोहली (Virat Kohli) ने अब इस पर बड़ा बयान देते हुए कहा है कि, ''सचिन तेंदुलकर ने 24 साल तक देश का प्रतिनिधित्व किया, उन्होंने 6 विश्व कप खेले तब वे जीत पाए लेकिन मैंने पहली बार में ही विश्व कप जीत लिया था. बता दें कि विराट कोहली भारतीय टीम के साल 2011 के विश्व कप जीतने के समय केवल 22 वर्ष के थे.
लेकिन उनकी प्रतिभा को देखते हुए ये पहले तय हो गया था कि वे भविष्य में भारत के कप्तान ज़रूर बनेंगे. बाकी क्रिकेटर्स की तरह विराट के लिए सचिन आदर्श रहे हैं. विराट ने अपने देश के लिए कीर्तिमान बनाने में और अच्छा क्रिकेट खेलने में कोई कसर नहीं छोड़ी और लगभग हर संभव बल्लेबाजी रिकॉर्ड बनाए. लेकिन एक चीज जो उनसे दूर रही वो है खुद की कप्तानी में विश्व कप ट्रॉफी जीतना. वह 2007 में भी टी20 विश्व कप के पहला संस्करण जीतने वाली युवा टीम का हिस्सा नहीं थे.
सचिन का था आखिरी विश्व कप
वहीं 2 अप्रैल, 2011 को इंतजार खत्म हुआ और सचिन तेंदुलकर अपने छठे विश्व कप में आखिरकार ट्रॉफी उठाने में कामयाब रहे. हालांकि ये सचिन का आखिरी विश्व कप भी था. तेंदुलकर ने भारत के लिए 6 विश्व खेले. जो कि अब तक सबसे ज़्यादा हैं. उस समय टीम में वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह, युवराज सिंह और जहीर खान जैसे खिलाड़ी थे जो अपना तीसरा विश्व कप खेल रहे थे. वहीं गौतम गंभीर, एस श्रीसंत, सुरेश रैना, यूसुफ पठान और रविचंद्रन अश्विन जैसे खिलाड़ी अपना पहला एकदिवसीय विश्व कप खेल रहे थे, लेकिन टीम के सबसे युवा सदस्य विराट कोहली थे. किसी भी प्रारूप में यह उनका पहला आईसीसी टूर्नामेंट था और वह पहले ही प्रयास में विजेता बनकर उभरे थे.
मैंने पहली बार में ही जीत लिया था
रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के साथ पोडकास्ट में उस शानदार दिन को याद करते हुए पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा कि उन्होंने विश्व कप के लिए चुने जाने की उम्मीद भी नहीं की थी. "मैं उस टीम का हिस्सा बनने के लिए काफी भाग्यशाली था और मेरे टीम में चुने जाने का करण शायद मेरे कुछ बहुत अच्छे स्कोर थे जिसके चलते मैं टीम में शामिल हो गया था. मैंने कभी भी ऐसा होने की उम्मीद नहीं की थी. क्योंकि जब चीजें होनी चाहिए तब हो जाती हैं, अगर मैं गलत नहीं हूं तो साल 2011 में सचिन तेंदुलकर अपना छठा विश्व कप खेल रहे थे और वह मेरा पहला मौका था और मैं जीत गया था"
ट्रॉफी के लिए नहीं हूं पागल
वहीं कुछ साल बाद, विराट कोहली 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाली टीम के सदस्य भी थे, लेकिन तब से लेकर अब तक वे एक खिलाड़ी या कप्तान के रूप में किसी भी आईसीसी टूर्नामेंट को जीतने में कामयाब नहीं हुए हैं. हालांकि कोहली इससे परेशान नहीं हैं. उन्होंने कहा, "कि मैं अपने ट्रॉफी कैबिनेट के भरे होने को लेकर पागल नहीं हूं. यह हमेशा आपके अनुशासन का एक प्रॉडक्ट होता है." देखा जाए तो स्टार भारतीय बल्लेबाज़ अभी भी भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान बने हुए हैं. कप्तान के रूप में उनका व्हाइट-बॉल रिकॉर्ड भी शानदार रहा है. उन्हें "विफल कप्तान" कहने वालों को विराट ने याद दिलाई कि उन्होंने भारतीय टीम में एक ऐसे कल्चर का निर्माण किया है, जिसे बनने में सालों लग जाते हैं.
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