SA vs IND: अय्यर की इस बड़ी समस्या ने खींचा दिग्गजों का ध्यान, चर्चा बनी दक्षिण अफ्रीका में नाकामी

अय्यर की परेशानी मानसिक और तकनीकी दोनों तरह की है और वह बिलकुल भी सहज नजर नहीं आए. मध्यक्रम में हालांकि कोई अच्छा वैकल्पिक बल्लेबाज नहीं होने के कारण कोलकाता नाइटराइडर्स के कप्तान के लिए कोई चुनौती नहीं है.

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नई दिल्ली:

केपटाउन में दूसरे टेस्ट की शुरुआत से पूर्व वैकल्पिक ट्रेनिंग सत्र के दौरान श्रेयस अय्यर सीधे न्यूलैंड्स स्टेडियम के बाहर थ्रोडाउन का सामना करने गए थे. दो थ्रोडाउन विशेषज्ञ बाएं हाथ के नुवान सेनाविरत्ने और राघवेंद्र बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौड़ के साथ अय्यर को 18 गज की दूरी से अभ्यास करा रहे थे. इसके पीछे विचार मुंबई के इस बल्लेबाज को शॉर्ट गेंदों का सामना करने के लिए तैयार करना था, जो पदार्पण के बाद से सभी प्रारूपों में उनके लिए परेशानी का सबब रही है. अय्यर ने कुछ मिनट ही अभ्यास किया था कि एक थ्रोडाउन पर गेंद उछलती हुई उनके शरीर की तरफ आई. दूरी कम होने के कारण गेंद की गति 150 किमी प्रति घंटा से अधिक थी. अय्यर का बल्ला समय पर नीचे नहीं आ पाया और गेंद उनके पेट में जाकर लगी. अय्यर ने अपना बल्ला फेंक दिया और वह काफी दर्द में नजर आए. वह कुछ देर तक सांस लेने की कोशिश में झुके रहे और तभी फिजियो तथा अन्य सहयोगी स्टाफ उनकी जांच करने के लिए जुट गए.

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चिंता बना 'सेना देशों' का प्रदर्शन

अय्यर की परेशानी मानसिक और तकनीकी दोनों तरह की है और वह बिलकुल भी सहज नजर नहीं आए. मध्यक्रम में हालांकि कोई अच्छा वैकल्पिक बल्लेबाज नहीं होने के कारण कोलकाता नाइटराइडर्स के कप्तान के लिए कोई चुनौती नहीं है. अय्यर ने सेना देशों (दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) में अब तक छह पारियां खेली हैं जिनमें वह 15 और 19 (बर्मिंघम), 31 और 06 (सेंचुरियन) तथा शून्य और नाबाद 04 रन (केपटाउन) ही बना पाए हैं. उनका टेस्ट औसत भी लगभग 50 से गिरकर 40 से नीचे आ गया है.

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मुश्किल होगी ऑस्ट्रेलिया दौरे में

इसमें कोई संदेह नहीं कि अय्यर स्पिनरों के खिलाफ प्रभावी बल्लेबाज हैं और कम उछाल वाली पिचों पर उन्हें जेम्स एंडरसन या क्रिस वोक्स जैसे गेंदबाजों का सामना करने में दिक्कत नहीं होगी, लेकिन दिसंबर 2024-2025 में भारत जब ऑस्ट्रेलिया में खेलेगा तब तक अगर अय्यर अपनी तकनीक में काफी बदलाव नहीं करते हैं तो उन्हें एक बार फिर परेशानी का सामना करना पड़ेगा. तीस साल की उम्र में हालांकि अय्यर के लिए अपनी शारीरिक तकनीक में बदलाव आसान नहीं होगा.

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क्या अमरनाथ का यह रास्ता चुनेंगे अय्यर?

वर्ष 1982-83 में मोहिंदर अमरनाथ ने शानदार प्रदर्शन किया था और इस दौरान उनका स्टांस थोड़ा ‘चेस्ट ऑन' (छाती सामने की ओर) था. इस दौरान अगर कोई बाउंसर उनके दाएं कंधे की ओर आती थी तो वह इसे अपने शरीर पर झेलते थे जबकि बाएं कंधे की ओर आने वाली गेंद को हुक करते थे. हालांकि, ऐसा करना आसान नहीं होगा और अय्यर को इससे निपटने का तरीका खोजना होगा. अय्यर, शुभमन गिल और यशस्वी जायसवाल भारत की भावी पीढ़ी के खिलाड़ी हैं.

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कप्तान रोहित बोले, मैं अपना काम कर रहा

कप्तान रोहित शर्मा ने उनके बारे में कहा, ‘‘मेरा काम उन्हें आत्मविश्वास देना है. रोहित, कोहली और लोकेश राहुल सभी ने दौरे करके सीखा है'. उन्होंने कहा, ‘वे सीख जाएंगे कि क्या करना है और क्या नहीं करना है. भारत में परिदृश्य अलग है. भारत भी बहुत चुनौतीपूर्ण है. हमने भारत में भी ऐसे विकेट देखे हैं. आगे भी यह चुनौतीपूर्ण होगा.' रोहित ने कहा, ‘आपको इस तरह के अनुभवों से सीखना होगा. जब आप इन परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो आपका आत्मविश्वास बढ़ता है.' हालांकि संशय जताने वाले भी हैं. भारत के पूर्व बल्लेबाज संजय मांजरेकर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ऑस्ट्रेलिया दौरे के समय तक गिल और जायसवाल सीख लेंगे लेकिन वह अय्यर के बारे में सुनिश्चित नहीं हैं.

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