दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खत्म हुए पहले टेस्ट (SA vs IND 1st Test) में जो हुआ, वह करोड़ों भारतीय फैंस ने बिल्कुल भी नहीं सोचा था. पिछले दिनों विश्व कप के बाद सभी उम्मीद कर रहे थे कि इस बार टीम रोहित दक्षिण अफ्रीकी धरती पर भारत की पहली सीरीज जीतने की ओर कदम बढ़ाएगी, लेकिन हुआ यह कि लगभग पौने तीन दिन में ही भारत को पारी और 32 रन से शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा. और अगर ऐसा हुआ, तो इसके पीछे एक नहीं, बल्कि कई कारण रहे. मुकाबले में न तो भारतीय बल्लेबाज ही एक ईकाई के रूप में काम कर सके और गेंदबाज तो पूरी तरह पटरी से उतर गए. चलिए आप उन पांच बड़ी वजहों के बारे में जान लीजिए, जिन्होंने सेंचुरियन में भारतीय टीम को हार झेलने पर मजबूर कर दिया.
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1. उछाल के आगे फिर खुली पोल
घर में पिछले दिनों आसान पिचों पर विश्व कप खेलकर दक्षिण अफ्रीका पहुंचे भारतीय युवा बल्लेबाजों को समझ में आया होगा कि 'टेस्ट का टेस्ट' विदेशी पिच पर कितना ज्यादा मुश्किल होता है. हालांकि, पहले टेस्ट से पहले भारतीय खिलाड़ियों के बीच एक प्रैक्टिस मैच खेला गया था, लेकिन एक अभ्यास मैच दक्षिण अफ्रीका की पिचों पर वह कौशल नहीं दे सकता, जिसकी बल्लेबाजों को जरुरत होती है. हालांकि, पिछले दौरों की तुलना में सेंचुरियन की पिच में गति वैसी नहीं थी, लेकिन उछाल, सीम और स्विंग अच्छा खासा था. और इसके सामने अनुभवी रोहित ही नहीं, बल्कि युवा बल्लेबाज भी टिक नहीं सके. और हमेशा से सालों की तरह ही भारतीय बल्लेबाजों की 'तीनों तत्व' के पोल खुल गई. यह साफ बता गया कि भारतीय बल्लेबाजों को इस कौशल पर स्थायी रूप से काम करना होगा.
2. अच्छी शुरुआत की कमी
सेंचुरियन की दोनों ही पारियों में भारत को ठोस शुरुआत नहीं ही मिल सकी. पहली पारी में यशस्वी जायसवाल और रोहित मिलकर सिर्फ 13 ही रन जोड़ सके, तो वहीं दूसरी पारी में भी ये साझेदारी का दहाई का भी आंकड़ा नहीं छू सके और पांच ही रन जोड़ सके. इस तरह की पिचों पर ओपनरों के ऊपर बहुत और बहुत ही बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वह टिककर गेंद को पुराना करते हुए अच्छी शुरुआत देकर आने वाले बल्लेबाजों को भी राहत प्रदान करें, लेकिन दोनों ही पारियों में ऐसा नहीं हुआ. इसका नतीजा यह हुआ कि अपने दक्षिण अफ्रीका के मुश्किल दौरे पर अनुभवहीन शुभमन गिल, श्रेयस अय्यर को जल्द ही नई स्विंग/सीम लेती हुई गेंदों का सामना करना पड़ा.
3. युवा ब्रिगेड 'टेस्ट' में फेल/अति आत्मविश्वास का शिकार
हालात के हिसाब से खुद को ढालना बड़ी कला है. निश्चित तौर पर भारत के युवा बल्लेबाज शुभमन गिल, यशस्वी जायसवाल और श्रेयस अय्यर बहुत ही प्रतिभाशाली हैं, लेकिन जब बात भारतीय पिचों और दक्षिण अफ्रीकी पिचों पर बैटिंग की आती है, तो दिग्गज बल्लेबाजों को भी एप्रोच (रवैया) बदलना होता. फिर तकनीक की बात को कुछ देर के लिए अलग रख देते हैं. गिल ने दूसरी पारी में एप्रोच कुछ हद तक बदली, लेकिन जायसवाल और श्रेयस अय्यर ऐसी ही एप्रोच के साथ खेलते दिखे, मानो वह भारत की आसान पिच पर खेल रहे हों. यह टेस्ट मैच इन युवाओं के लिए अच्छा मैसेज देने के लिए बड़ा मौका था, लेकिन तीनों ही इस टेस्ट के टेस्ट में फेल हो गए.
4. गेंदबाजी का फेलियर चौंकाने वाला/याद आए शमी
सेंचुरियन में भारतीय गेंदबाजी बुरी तर फेलियर रही. एक ऐसी पिच जो पेसरों को मदद दे रही थी, वहां सिराज को उम्मीद से काफी कम और ठाकुर और प्रसिद्ध कृष्णा को विकेट न मिलना चौंकाने वाला रहा. और यही वजह रही कि दक्षिण अफ्रीकी जब पहली पारी में 408 रन बनाकर 163 रन की बढ़त लेने में सफल रहे, तो इसके पीछे पेस डिपार्टमेंट का नाकाम होना रहा. जसप्रीत बुमराह के अकेले के चार विकेट नाकाफी रहे. निश्चित तौर पर ऐसे में पिछले दिनों विश्व कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले मोहम्मद शमी की दूसरे छोर पर फैंस को बहुत ज्यादा याद आई.
5. डीन एल्गर को डिगा नहीं सके बॉलर
अगर ये कहा जाए कि दक्षिण अफ्रीका और भारत के बीच बड़ा अंतर प्लेयर ऑफ द मैच डीन एल्ग के 185 रन रहे, तो यह बिल्कुल भी गलत नहीं होगा. पेसरों की नाकामी के बीच भारतीय बॉलिंग डिपार्टमेंट इस लेफ्टी बल्लेबाज को बिल्कुल भी नहीं डिगा सका. अश्विन को खिलाना गलत फैसला साबित हुआ. और उनकी नाकामी साफ कह गई कि अगर यहां कोई एक और पेसर मुकेश कुमार होते, तो हो सकता था कि बहुत ज्यादा अंतर नहीं पड़ता, लेकिन अंतर पड़ जरूर सकता था. कुल मिलाकर ऑफ स्पिनर अश्विन लेफ्टी डीन एल्गर को नहीं डिगा सके. और यह शानदार पारी भी हार की बड़ी वजहों में से एक रही.