तोड़ दो मेरा रिकॉर्ड, शोएब अख्तर ने उमरान मलिक को लेकर कही अपने मन की बात

दिल्ली के ख़िलाफ़ मैच में उनके एक गेंद की रफ़्तार रही 157 किलोमीटर प्रति घंटे.  रावलपिंडी एक्सप्रेस ने 2003 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 161.3 किलोमीटर की रफ़्तार से गेंद डाली थी जो आज तक की सबसे तेज़ गेंद मानी जाती है.

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रावलपिंडी एक्सप्रेस ने 2003 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 161.3 किलोमीटर की रफ़्तार से गेंद डाली थी

नई दिल्ली:

दुनिया के सबसे तेज़ गेंदबाज़ रहे रावलपिंडी एक्सप्रेस शोएब अख़्तर चाहते हैं कि उमरान मलिक उनका रिकॉर्ड तोड़ दें. जी हां, आपने बिल्कुल ठीक सुना. क्रिकेट इतिहास में सबसे तेज़ गेंद डालने का रिकॉर्ड शोएब अख़्तर का नाम दर्ज है. एक इंटरव्यू में शोएब ने कहा कि उमरान उनका रिकॉर्ड तोड़ते हैं तो उन्हें सबसे ज़्यादा खुशी होगी. शोएब ने उमरान को फ़िटनेस पर ध्यान देते रहने की सलाह दी है. अगर फ़िटनेस बरकार रहेगी तभी वे उनका रिकॉर्ड तोड़ पाएंगे. 

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"मैं चाहता हूं कि उनका करियर लंबा चले. कुछ समय पहले कोई मुझे बधाई दे रहा था कि मेरे सबसे तेज़ गेंद के 20 साल हो चुके हैं. बीस साल से कोई भी गेंदबाज़ मेरे रिकॉर्ड को तोड़ नहीं पाया है. किसी न किसी को रिकॉर्ड तोड़ना चाहिए. अगर उमरान रिकॉर्ड तोड़ता है तो मुझे ख़ुशी होगी. लेकिन उसे चोटिल होने से बचना होगा. मैं चाहता हूं कि वो बिना इंजरी के लंबा खेले." आईपीएल में हैदराबाद टीम की ओर से खेल रहे 22 साल के उमरान मलिक ने अपने रफ़्तार से अपनी नई पहचान बनायी है. 

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दिल्ली के ख़िलाफ़ मैच में उनके एक गेंद की रफ़्तार रही 157 किलोमीटर प्रति घंटे.  रावलपिंडी एक्सप्रेस ने 2003 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 161.3 किलोमीटर की रफ़्तार से गेंद डाली थी जो आज तक की सबसे तेज़ गेंद मानी जाती है. दूसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया के ब्रेट ली हैं. ब्रेट ली ने 2005 में न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध 161.1 किलोमीटर की रफ़्तार से गेंद डाली थी. मौजूदा दौर के खिलाड़ियों में सबसे तेज़ गेंद डाली है ऑस्ट्रेलिया के मिचेल स्टार्क ने. स्टार्क ने न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ वाका में 160.4 किलोमीटर की रफ़्तार से फ़ेंकी थी. वहीं भारत के लिए सबसे तेज़ गेंद डालने का रिकॉर्ड मोहम्मद शमी के नाम दर्ज़ है. शमी ने 2003 में ज़िंबाब्वे के ख़िलाफ़ 156.4 किलोमीटर की रफ़्तार से गेंद डाली थी. वहीं ब्रेट ली का कहना है कि मलिक को जितना तेज़ हो सके गेंद डालनी चाहिए. उन्हें इस बात की परवाह नहीं करनी चाहिए कि उनकी गेंद पर कितने रन बन रहे हैं. 

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"उनका एक्शन काफ़ी शानदार है. मैं उसमें बदलाव नहीं करना चाहूंगा. मेरे ख़्याल से अभी उनके पास और स्पीड है. उनके रॉ-पेस को आप इउनसे नहीं छीन सकते. लोग 140 किलोमीटर की रफ़्तार से गेंदबाज़ी करने के लिए मरते हैं लेकिन ये लड़का आसानी से इतनी स्पीड में बॉलिंग कर रहा है. मैं उससे मिलता तो यही कहता कि जितनी स्पीड से हो सके गेंद डालो."  उमरान औसतन 150 किलोमीटर की गति से गेंद डालते हैं. इस सीज़न 5 विकेट लेने वाले पहले गेंदबाज़ भी बने. अब तक 13 मैच में 21 विकेट ले चुके हैं. उमरान की तुलना डेल स्टेन, लॉकी फ़र्ग्यूशन और वक़ार यूनिस से की जा रही है. उमरान हर मैच में औसतन 150 की रफ़्तार से गेंद फ़ेंकते हैं. सुनील गावस्कर जैसे दिग्गज़ चाहते हैं कि उमरान को जून में शुरु हुए इंग्लैंड दौरे पर टीम मे शामिल किया जाना चाहिए.

90 के दशक में वेस्टइंडीज़ की पेस बैटरी से दुनिया की हर टीमें घबराती थी. लेकिन तब उनकी रफ़्तार मांपने की तकनीक विकसित नहीं हुई थी. लिहाज़ा माइकल होल्डिंग, एंडी रॉबर्ट्स, ज्योल गार्नर, कॉलिन क्राफ़्ट और मैल्कम मार्शल की रफ़्तार का अंदाज़ा ही लगाया जा सकता है. ऑस्ट्रेलिया के ज्योफ़ थॉमसन और डेनिस लिली भी बेहद तेज़ गेंद डालते थे. उस ज़माने के गेंदबाज़ों की गति का बस अंदाज़ा ही लगाया जा सकता है. भारतीय टीम में शामिल होने के लिए मलिक जम कर मेहनत कर रहे हैं. रफ़्तार तो है ही अब वे नकल और स्लोअर बॉल पर भी काम कर कर रहे हैं.

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