Harbhajan Singh on Dhoni: हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) ने रिटायरमेंट के बाद अपनी ओर से कई ऐसे बयान दिए हैं जिसने खूब सुर्खियां बटोरी है. एक तरफ जहां भज्जी ने राजनीति में जाने को लेकर अपनी बात कही है तो वहीं आईपीएल में किसी टीम का मेंटॉर होने के बात भी कही है. इसके अलावा एक और बात जो काफी सुर्खियां बटोर रहा है, वह धोनी को लेकर है. भज्जी ने Cricketnext.com से बात करते हुए धोनी को लेकर बड़ा बयान दे दिया है. दरअसल भज्जी ने धोनी (MS Dhoni) के साथ अपने रिश्ते को लेकर बात की और कहा कि, 'उनके साथ मेरा रिश्ता अच्छा रहा, मेरी उनसे शादी नहीं हुई है.' हरभजन ने धोनी के नेतृत्व में काफी क्रिकेट खेला है और यहां तक कि भारत की दो वर्ल्ड कप विजेता टीमों - 2007 टी20 वर्ल्ड कप और 2011 वनडे वर्ल्ड कप के सदस्य भी थे. हरभजन ने धोनी के नेतृत्व में 31 टेस्ट, 77 वनडे और 25 T20I खेले हैं.हालांकि, ऑफ स्पिनर ने 2011 वर्ल्ड कप के बाद धीरे-धीरे टीम से अपना जगह खोना शुरू कर दिया था. अश्विन के आने के बाद भज्जी काफी कम समय ही टीम में बने रहे थे.
बता दें कि रिटायरमेंट के बाद हऱभजन ने बयान में कहा था कि 2012 के बाद उन्हें टीम से बाहर किया गया, 2011 के वर्ल्ड कप में खेलेन वाले ज्यादातर खिलाड़ियों को 2015 के वर्ल्ड कप में जगह नहीं मिली थी, जो उन्हें हमेशा खेलेगा. भज्जी के इस बयान को लोगों ने धोनी के खिलाफ बताया था. अब भज्जी ने इसपर सफाई दी और कहा कि, उनके द्वारा कही गई बातों को लोगों ने गलत तरीके से लिया. भज्जी ने इस बारे में कहा कि, मैं सिर्फ यह कहना चाहता था कि 2012 के बाद चीजे बेहतर हो सकती थी. मेरा सिर्फ यही मतलब था.
हरभजन सिंह ने कहा, वीरेंद्र सहवाग, मैं, युवराज (सिंह), (गौतम) गंभीर भारतीय टीम के लिए खेलते हुए संन्यास ले सकते थे क्योंकि ये सभी आईपीएल में भी सक्रिय थे. यह विडंबना ही है कि 2011 की टीम के चैंपियंस फिर कभी एक साथ नहीं खेले! क्यों? उनमें से कुछ ही 2015 विश्व कप में खेले, क्यों?
हरभजन ने कहा कि उन्हें धोनी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है और उन्होंने महान विकेटकीपर-बल्लेबाज को "अच्छे दोस्त" के रूप में बताया है. मुझे एमएस के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है, वास्तव में, वह इतने वर्षों से एक अच्छे दोस्त रहे हैं."
पूर्व ऑफ स्पिनर, जो 400 से अधिक टेस्ट विकेट लेने वाले चार भारतीयों में शामिल हैं, ने कहा कि उस समय चयनकर्ताओं ने अपनी भूमिकाओं के साथ “न्याय नहीं किया, मुझे उस समय की बीसीसीआई से शिकायत है, मैं बीसीसीआई को सरकार कहता हूं. उस समय के चयनकर्ताओं ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय नहीं किया, उन्होंने टीम को एकजुट नहीं होने दिया. क्या था नए लोगों को लाने का मतलब था जब महान खिलाड़ी अभी भी आसपास थे और सक्रिय थे?
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मैंने एक बार इस पर चयनकर्ताओं का सामना किया और उनका जवाब था कि यह उनके हाथ में नहीं था और फिर मैंने पूछा कि वे चयनकर्ता क्यों हैं?"
क्या क्रिकेट में कोच का काम नहीं? क्या सचमुच काम बिगाड़ रहे हैं कोच?.