AUS vs ENG: मेलबर्न का मिजाज देख आगबबूला हुए दिग्गज, अगर यही भारत में होता तो क्या होता? जानें किसने क्या कहा

AUS vs ENG 4th Test: एमसीजी पिच पर 10 मिमी घास छोड़ने के फैसले से पिच से तेज गेंदबाजों को बहुत फायदा मिला जिससे बल्लेबाजी करना मुश्किल हो गया.

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Australia vs England
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  • मेलबर्न के एमसीजी में खेले गए चौथे टेस्ट के पहले दो दिनों में कुल 36 विकेट गिरने से पिच की आलोचना हुई है
  • केविन पीटरसन ने कहा कि भारत में विकेट गिरने पर जो आलोचना होती है वह ऑस्ट्रेलिया को भी सहनी पड़ेगी
  • पिच पर 10 मिमी घास होने से तेज गेंदबाजों को फायदा मिला और बल्लेबाजों के लिए बल्लेबाजी करना कठिन हो गया था
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AUS vs ENG 4th Test: केविन पीटरसन और दिनेश कार्तिक ने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉक्सिंग डे टेस्ट के पहले दिन गेंदबाजों के लिए बेहद अनुकूल मेलबर्न की पिच पर 20 विकेट गिरने के बाद तंज कसा कि जब स्पिनरों को अधिक विकेट मिलते हैं तो भारतीय पिचों की जानबूझकर कड़ी आलोचना की जाती है. मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (एमसीजी) पर खेला गया चौथा टेस्ट मैच दूसरे दिन ही समाप्त हो गया. इस मैच में पहले दिन 20 और दूसरे दिन 16 विकेट गिरे जिससे यहां की पिच को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. इंग्लैंड के पूर्व कप्तान पीटरसन ने एक्स पर लिखा, 'भारत में जब टेस्ट मैच के पहले दिन कई विकेट गिरते हैं तो भारत को हमेशा कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ता है. इसलिए मुझे उम्मीद है कि ऑस्ट्रेलिया को भी उसी तरह की आलोचना का सामना करना पड़ेगा. न्याय सबके लिए समान होना चाहिए.'

एमसीजी पिच पर 10 मिमी घास छोड़ने के फैसले से पिच से तेज गेंदबाजों को बहुत फायदा मिला जिससे बल्लेबाजी करना मुश्किल हो गया था. इंग्लैंड ने यह मैच चार विकेट से जीता. एशेज के पहले तीन मैच भी कुल मिलाकर 11 दिन तक चले. इस तरह से वर्तमान श्रृंखला में कुल 20 मैच दिनों में से केवल 13 दिन ही खेल हो पाया है. पर्थ में खेला गया पहला टेस्ट मैच भी दो दिन में समाप्त हो गया था.

पूर्व भारतीय बल्लेबाज कार्तिक ने कहा, 'एमसीजी की पिच साधारण नजर आ रही है. यकीन नहीं होता कि चार एशेज टेस्ट में से दो टेस्ट केवल दो दिन में खत्म हो गए. इतनी चर्चा के बावजूद चार एशेज टेस्ट सिर्फ 13 दिन में पूरे हो गए.'

पीटरसन और कार्तिक की टिप्पणियां इस पर आधारित थीं कि उपमहाद्वीप में ऐसा होने पर भारतीय स्पिनरों और पिचों को अक्सर कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ता है.

उदाहरण के तौर पर 2020-21 की श्रृंखला के दौरान अहमदाबाद में टर्निंग पिच पर भारतीय स्पिनरों का सामना करने में इंग्लैंड की विफलता पर विशेषज्ञों ने जमकर आलोचना की थी.

इंग्लैंड की टीम ने तब चेन्नई में पहला टेस्ट जीता था, लेकिन अगले तीन टेस्ट मैचों में रविचंद्रन अश्विन और अक्षर पटेल के सामने उसकी बल्लेबाजी बुरी तरह फ्लॉप रही. लेकिन एशेज में तेज गेंदबाजों के लिए अनुकूल पिचों को लेकर बहुत अधिक आक्रोश देखने को नहीं मिला है.

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इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वान ने कहा, 'यह पिच है या मजाक. यह खेल के साथ नाइंसाफी है. खिलाड़ी और प्रसारक और सबसे महत्वपूर्ण प्रशंसकों के लिए 98 ओवरों में 26 विकेट गिरना अच्छी बात नहीं है.'

भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा ने कहा, टेस्ट मैच के डेढ़ दिन में स्पिनरों ने एक भी ओवर नहीं किया. जरा सोचिए अगर उपमहाद्वीप में इतने लंबे समय तक तेज गेंदबाज एक भी ओवर न करें तो क्या बवाल होगा.'

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यहां तक ​​कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी टॉड ग्रीनबर्ग ने भी कहा कि कम अवधि वाले मैच टेस्ट क्रिकेट के भविष्य के लिए अच्छे नहीं हैं और सीए भविष्य में पिच की तैयारी में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने पर विचार करेगा.

उन्होंने कहा, 'एक प्रशंसक के तौर पर इसे देखना रोमांचक, दिलचस्प और आनंददायक था, लेकिन हम निश्चित रूप से चाहते हैं कि टेस्ट मैच लंबी अवधि तक चलें. कल रात मुझे नींद नहीं आई.'

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ग्रीनबर्ग ने कहा, 'हमने शुरू से ही विकेट तैयार करने के मामलों में हस्तक्षेप न करने का दृष्टिकोण अपनाया है लेकिन जब आप खेल के व्यावसायिक पक्ष पर इसका प्रभाव देखते हैं तो पिच की तैयारी को पूरी तरह से नजरअंदाज करना मुश्किल हो जाता है.'

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