IPL 2022: अब 14 करोड़ी चाहर को नहीं मिलेगा कोई पैसा, 8 प्वाइंट्स में जानें कैसे काम करता है खिलाड़ी सैलरी सिस्टम

IPL 2022, CSK: दीपक चाहर को लगी चोट उनके लिए बदनसीबी बन गयी है. इस चोट ने उनके और परिवार को मोटी आर्थिक चोट पहुंचायी है.

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IPL 2022: दीपक चाहर और परिवार के लिए चोट बड़ी चोट लेकर आयी है
नई दिल्ली:

चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के पेसर दीपक चाहर (Deepak Chahar is ruled out of IPL) का आईपीएल (IPL 2022) से चोट के कारण टूर्नामेंट से बाहर होना उनके और परिवार के लिए बहुत ही जबर्दस्त आर्थिक नुकसान है. दीपक को चेन्नई ने अगले तीन साल के लिए हर साल 14 करोड़ रुपये की मोटी रकम पर खरीदा था, लेकिन चोट के कारण दीपक के इस पूरे संस्करण से बाहर होने के कारण उनकी सालान सैलरी पर मोटा प्रहार किया है. अब नियमों के हिसाब से दीपक चाहर को फ्रेंचाइजी की तरफ से कोई पैसा नहीं मिलेगा. मतलब आर्थिक पहलू से एकदम आसमान से जमीं पर आ गिरे हैं दीपक. चलिए हम आपके लिए लेकर आए हैं कि आईपीएल में फ्रेंचाइजी टीमों की तरफ से खिलाड़ियों को किए जाने वाली भुगतान प्रक्रिया कैसे काम करती है. अहम बातों को आप इन 8 प्वाइंट्स के जरिए जान लीजिए: 

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1. खिलाड़ी की नीलामी की रकम उसकी सैलरी कही जाती है. इसके हिसाब से ही टैक्स भी काटा जाता है. खिलाड़ी की  सैलरी पर कोई दूसरा शख्स दावा नहीं कर करता. यह पूरी रकम खिलाड़ी के खाते में जाती है. 

2. नीलामी की रकम एक साल के लिए होती है. उदाहरण के तौर पर अगर खिलाड़ी को 14 करोड़ में खरीदा जाता है, तो उसे यह रकम हर साल दी जाएगी. तीन साल के लिए उसे 42 करोड़ का भुगतान होगा.

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3. साल 2008 में खिलाड़ियों का वेतन यूएस डॉलर में था. उस समय प्रति डॉलर मूल्य करीब 40 रुपये था. साल 2012 में डॉलर व्यवस्था को भारतीय रुपये में तब्दील कर दिया गया. 

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4. अगर कोई खिलाड़ी पूरे सीजन के लिए उपलब्ध रहता है, तो उसे पूरी रकम का भुगतान होता. इस बात के कोई मायने नहीं रहते वह कितने मैच खेलता है. साल 2013 में ग्लेन मैक्सवेल को मुंबई ने करीब छह करोड़  रुपये में खरीदा था. तब मैक्सेवल केवल 3 ही मैच खेले, लेकिन उन्हें सैलरी के रूप में पूरी रकम मिली.

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5. अगर खिलाड़ी सीजन शुरू होने से पहले ही चोटिल हो जाता है, तो फ्रेंचाइजी कोई भी रकम नहीं चुकाता. अगर कोई खिलाड़ी सीजन में कुछ निश्चित मैचों के लिए उपलब्ध है, तो इसके लिए आम तौर कुल रकम का दस प्रतिशत पैसा खिलाड़ी को दिया जाता है. 

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6. अगर कोई खिलाड़ी टीम कैंप में रिपोर्ट करता है और सीजन से पहले चोटिल हो जाता है और आगे एक भी मैच में हिस्सा नहीं लेता है, तो वह नीलामी की रकम का 50 फीसदी पैसा लेने का हकदार है. पूर्व में मोहम्मद शमी, ड्वेन ब्रावो को इसका फायदा मिला है. 

7. अगर कोई खिलाड़ी टूर्नामेंट के दौरान चोटिल हो जाता है, तो फ्रेंचाइजी उसके इलाज का खर्च उठाता है. 

8. कोई भी फ्रेंचाइजी एक बार में ही खिलाड़ी को पैसा नहीं देती. यह इस पर निर्भर है कि टीम के पास नकद रकम कितनी है और प्रायोजकों से पैसा कैसे आ रहा है. कुछ फ्रेंचाइजी  टीम के पहले सीजन कैंप से करीब हफ्ता भर पहले खिलाड़ी को चेक देती हैं. कुछ को आधा पैसा टूर्नामेंट से पहले और बाकी टूर्नामेंट के दौरान मिल जाता है. कुछ टीमें 15-65-20 का फॉर्मूला अपनाती हैं. मतलब टूर्नामेंट शुरू होने से पहले रकम का 15 प्रतिशत, 65  प्रतिशत टूर्नाट के दौरान बाकी का 20 प्रतिशत पैसा टूर्नामेंट खत्म होने के बाद तय समय के भीतर दिया जाता है. 

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