शनिवार को तब सनराइजर्स हैदराबाद (Sunrisers Hyderabad) के तमाम चाहने वाले फैस सहित तमाम लोग तब हैरान रह गए, जब फ्रेंचाइजी ने डेविड वॉर्नर (David Warner) को कप्तानी पद से हटा दिया. हैदराबाद को टूर्नामेंट की शुरुआत से खासा संघर्ष करना पड़ा है. वॉर्नर की कप्तानी में अभी तक छह मैच खेलकर पांच हार के साथ हैदराबाद प्वाइंट्स टेबल में सबसे फिसड्डी बना हुआ है. सभी सोच रहे थे कि शायद वॉर्नर को इस खराब प्रदर्शन की कीमत चुकानी पड़ी है, लेकिन अब वॉर्नर को कप्तानी से हटाए जाने की असल वजह सामने आयी है.
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दरअसल रविवार को हैदराबाद सुपर ओवर में दिल्ली के हाथों हार गया था. हार के बाद डेविड वॉर्नर के फैसले और रणनीति पर तब सवाल खड़े हुए थे, जब उन्होंने सुपर ओवर में जॉनी बैर्यस्टो को पारी शुरू करने नहीं भेजा. इस फैसले से सहवाग सहित कई दिग्गज खिलाड़ी बुरी तरह से भड़क उठे थे. वॉर्नर बहुत ज्यादा दबाव में थे. इस पर से उनसे एक और बड़ी गलती हो गयी. वॉर्नर ने रणनीतिक गलती न मानते हुए मैच की इलेवन से मनीष पांडे को बाहर करने के लिए सेलेक्टरों पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठा दिए.
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बस वॉर्नर की गलती उनके लिए गले की फांस बन गयी और हैदराबाद मैनजमेंट ने इसे गलती के बाद वॉर्नर की एक और बड़ी गलती माना. वॉर्नर ने सार्वजनिक रूप से 'सेलेक्टरों' शब्द का उल्लेख किया था, लेकिन उनका मतलब कोई नहीं जान सका था कि ये सेलेक्टर कौन हैं. वॉर्नर ने खुद को कप्तानी से हटाए जाने पर कहा, मेरी राय में यह एक कड़ा फैसला है, लेकिन आखिर में यह सेलेक्टरों का फैसला है.
वॉर्नर के सवाल में दम!
वैसे वॉर्नर ने अगर मनीष पांडे को लेकर कहा था, तो उनके सवाल में दम है क्योंकि यह मनीष पांडे ही है, जिनके नाम पर हैदराबाद की ओर से फिलहाल सबसे ज्यादा रन हैं. खेले चार मैचों की इतनी ही पारियों में पांडे ने 54.00 के औसत से 162 रन बनाए हैं. उनका बेस्ट स्कोर नाबाद 61 रन रहा है. ऐसे में जब वॉर्नर ने कहा कि मनीष पांडे को क्यों बाहर किया, तो शायद उन्होंने कुछ गलत नहीं होगा. ऐसा लगता है कि क्लोज-डोर मीटिंग में मैनेजमेंट को मनाने में नाकाम रहे वॉर्नर ने निराशा में यह कदम उठाया, जिसे मैनेजमेंट ने अनुशासनहीनता के रूप में लिया.
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