IND vs SL: बहुत ही खामोशी से सौरभ कुमार ने तय किया बागपत से भारतीय टेस्ट टीम का सफर, जान लें

IND vs SL: कोविड-19 ने दो साल घरेलू क्रिकेट में जरूर खराब किए, लेकिन राष्ट्रीय चयन समिति की नजरें कमजोर नहीं  पड़ीं! और जब एकदम सही समय आया, तो बड़ौत के सौरभ कुमार को श्रीलंका के खेले जाने वाली दो टेस्ट सीरीज में सेलेक्टरों ने सौरभ कुमार को उनका हक दे दिया. 

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IND vs SL: टीम इंडिया को सालों बाद एक और बेहतरीन लेफ्ट आर्म स्पिनर मिला है
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इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में नेट बॉलर रहे थे सौरभ
साल 2018-19 में रणजी ट्रॉफी के प्रदर्शन से खींचा था ध्यान
पुजारा को दोनों पारियों में किया था आउट
नयी दिल्ली:

India vs Sri Lanka: पिछले साल जब उत्तर प्रदेश के युवा लेफ्ट-आर्म स्पिनर सौरभ कुमार (Sarubah Kuamr is selected in India Test team) को इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए नेट बॉलर के रूप में भारतीय टीम में शामिल किया गया था, तो एक वर्ग चौंका सा गया था. यह वर्ग वह था, जो घरेलू क्रिकेट पर नजर नहीं रखता था. लेकिन  साल 2018-19 में बहुत ही प्रभावी प्रदर्शन करने वाले इस लेफ्ट-आर्म स्पिनर पर चेतन शर्मा एंड कंपनी बराबर नजर रखे हुए थी. कोविड-19 ने दो साल घरेलू क्रिकेट के जरूर खराब किए, लेकिन राष्ट्रीय चयन समिति की नजरें कमजोर नहीं  पड़ीं! और जब एकदम सही समय आया, तो बागपत जैसे छोटे जिले के छोटे कस्बे बड़ौत के रहने वाले सौरभ कुमार को श्रीलंका के खेले जाने वाली दो टेस्ट सीरीज के लिए सेलेक्टरों ने सौरभ कुमार को उनका हक दे दिया. और टीम इंडिया में बुलावे के बाद सौरभ बहुत ही गदगद हैं और आखिर हों भी क्यों न. बड़ौत जैसे छोटे से कस्बे से निकलकर टीम इंडिया तक सफर बिल्कुल भी आसान नहीं ही रहा है सौरभ कुमार के लिए.

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इस प्रदर्शन से बढ़ा सेलेक्टरों में भरोसा

यह साल 2018-19 का घरेलू रणजी सेशन था, जब सौरभ सभी नामों को पीछे छोड़ते हुए सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में पांचवें नंबर के गेंदबाज बने. और इसी प्रदर्शन से वह चयन समिति की आंखों में चढ़ गए. सौरभ ने 10 मैचों में फेंके 371.3 ओवरों में 113 ओवर मेडेन रखते हुए 905 रन देकर 51 विकेट चटकाए. पारी में पांच विकेट दो बार और मैच में दस विकेट दो बार.इसी साल उन्होंने हरियाणा के खिलाफ मैच में 65 रन देकर 14 विकेट चटकाए. यह प्रदर्शन उत्तर प्रदेश के इतिहास में किसी गेंदबाज का दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. यह बहुत ही शानदार प्रदर्शन था.

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इस पर प्रदेश की चयन समिति के पूर्व अध्यक्ष और 68 प्रथम श्रेणी मैच खेल चुके मनोज मुदगल ने कहा, "लड़का शुरू से ही प्रतिभाशाली था. बिशन सिंह बेदी ने साल 2005 के आस-पास उनसे सौरभ का परिचय कराया था. तब से उन्होंने इस लेफ्टी में लगातार सुधार होते देखा है. बल्ले से भी और बॉल से  भी. मुदगल कहते हैं, "सौरभ की गेंदों में फ्लाइट और लूप वह बात है, जो उसे खास बनाती है. यह उनकी गेंदबाजी की ताकत है. वह छोटे कद के जरूर हैं, लेकिन वह वह बड़े-बड़े बल्लेबाजों के विकेट चटकाने में सक्षम हैं."

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बड़े-बड़े शॉट भी लगाना जानते हैं, पर आईपीएल में नहीं लगाया किसी ने दांव

सौरभ कुमार निचले क्रम में बल्लेबाज भी अच्छे हैं. वास्तव में वह कई बल्लेबाजों से बेहतर बल्लेबाजी करते हैं. बड़े-बड़े शॉट भी खेलते हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि पिछले दिनों हुई आईपीएल में किसी टीम ने उन पर बोली नहीं लगायी. ऐसा क्यों हुआ इसके लिए विशेषज्ञों को भी सोचना होगा और खुद सौरभ को भी कि आखिर सौरभ जैसा बल्ले और गेंद के साथ उपयोगी क्रिकेटर टीमों की पॉलिसी में क्यों फिट नहीं हो सका? सौरभ का बेस प्राइस सिर्फ 20 लाख रुपये था, लेकिन जहां पिछले साल कई बहुत ही खराब प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी काफी महेंगे बिक गए, वहीं सौरभ पर किसी टीम ने बोली नहीं लगायी. हैरानी की बात यह है कि साल 2017 में तब राइजिंग पुणे सुपर जियांट्स (अब नहीं है) ने तब उन्हें 10 लाख के बेस प्राइस पर खरीदा था, लेकिन इसके बाद इतनों सालों में बेहतर प्रदर्शन के बाद वह क्यों लखनऊ जियांट्स में फिट नहीं हो सके, इसका जवाब  गौतम गंभीर को भी देना होगा. फर्स्ट क्लास (चारिदनी) मैचों में सौरभ का औसत 29.11 है और दो शतक भी उनके खाते में जमा हैं. यह काफी कुछ कहने और बताने को काफी है, लेकिन फिर भी क्या कमी रह गयी, इसका जवाब सभी को मिलकर ढूंढना है. खासकर सौरभ को!

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बागपत से निकलकर टेस्ट टीम तक की राह आसान नहीं

सौरभ कुमार बड़ौत जैसे छोटे कस्बे से निकलकर राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचना आसान काम नहीं था सौरभ के लिए. सपना एक ऐसे कस्बे से जहां क्रिकेट की बुनियादी सुविधाएं तक नहीं थीं. यह एक बड़ी वजह रही कि कि कई साल पहले रोजाना अभ्यास के लिए शुरू हुआ बड़ौत से दिल्ली तक का सफर कई साल तक जारी रहा.  मोहम्मद कैफ के बड़े भाई और यूपी के लिए कई साल रणजी ट्रॉफी खेल चुके मोहम्मद सैफ कहते हैं कि, "सौरभ कई साल पहले अपने पिता के साथ बड़ौत से दिल्ली आए थे. उन्होंने बिशन सिंह बेदी की अकादमी में एक कैंप किया था. तब वह एम्स अस्पताल के नजदीक कमरा लेकर रहते थे. लेकिन कुछ समय बाद उनका बड़ौत से हर दिन दिल्ली ट्रेन से प्रैक्टिस करने आने का सिलसिला बन गया, जो सात-आठ साल चला", सैफ कहते हैं, यह उनकी मेहनत का ही असर था कि साल 2018-19 रणजी ट्रॉफी सेशन में सौरभ ने पुजारा जैसे दिग्गज को दोनों पारियों में आउट किया. सौरभ की खास बात यह है कि उनकी गेंद पड़ने के बाद तेजी से अंदर आती है. यह पहलू उन्हें हालिया सालों में घरेलू क्रिकेट का बेहतरीन लेफ्टआर्म स्पिनर बनाता है. और अब उन्हें अपनी मेहनत का इनाम मिल गया है."

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