गुवाहाटी में बुधवार को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खत्म हुई दो टेस्ट मैचों की सीरीज करोड़ों भारतीयों को और बड़ा गम दे गई. न्यूजीलैंड के हाथों पिछले साल 3-0 के घर में सफाए के जख्म भरे भी नहीं थे कि अब दक्षिण अफ्रीका ने सूपड़ा साफ ही नहीं, बल्कि गुवाहाटी में सर्वकालिक सबसे बड़ी हार का गम देकर इन जख्मों पर टनों नमक डालने का काम किया. और 408 रन की यह हार भारतीय क्रिकेट पर एक बड़ा धब्बा लगा गई. और इस धब्बे के भीतर और भी धब्बे हैं, जो करोड़ों भारतीय प्रशंसकों को शर्मसार कर रहे हैं.
करीब 30 साल बाद यह धब्बा कुछ कहता है!
यूं तो खत्म हुई सीरीज में सिर्फ दो ही टेस्ट मैच थे, लेकिन इससे इतर साल 1995-96 में न्यूजीलैंड के खिलाफ यह पहला मौका रहा, जब किसी सीरीज में भारत की तरफ से एक भी शतक नहीं बना. पहली बार ऐसा साल 1969/70 में भी कीवी टीम के खिलाफ हुआ था, जब भारत का कोई बल्लेबाज कोई शतक नहीं बना सका था. और मानो इतना ही काफी नहीं है.
यह औसत बहुत ही निराश करने वाला
भारतीय बल्लेबाजों की स्थिति कितनी दयनीय रही, यह आप इससे समझ सकते हैं कि सीरीज में बल्लेबाजों का औसत 15.23 का रहा. यह इतिहास में भारतीय बल्लेबाजों का दूसरा सर्वकालिक सबसे खराब औसत है. इससे पहले साल 2002-03 में यह न्यूजीलैंड के खिलाफ खेली गई सीरीज थी, जिसमें भारतीय बल्लेबाजों ने 12.42 का औसत निकाला था.
उम्मीद पर खरे नहीं उतरे अनुभवी
अच्छा खासा अनुभव रखने वाले केएल राहुल से शुभमन गिल से हटने के बाद और अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन रन तो केएल से बने ही नहीं, तो गुवाहाटी में आउट होने का तरीका उन्हें सवालों के घेरे में ले आया. केएल 2 टेस्ट में 17.00 के औसत से सिर्फ 68 रन ही बना सके. उनके बल्ले से अर्द्धशतक तक नहीं निकला. वहीं, यशस्वी जायसवाल से भी खासी उम्मीदें थीं, लेकिन यह लेफ्टी बल्लेबाज भी 4 पारियों में 20.75 के औसत से 83 ही रन रन बना सका. इसमें एक अर्द्धशतक भी शामिल है.














