- एशिया कप के शेड्यूल के ऐलान पर कई भारतीय प्रशंसक पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेलने को लेकर असंतुष्ट हैं
- भारत और पाकिस्तान ने एशिया कप के इतिहास में सबसे पहले अपनी-अपनी टीमों का चयन किया है
- पाकिस्तान ने 1990-91 में भारत में हुए चौथे एशिया कप से राजनीतिक तनाव के कारण हटने का फैसला किया था
एशिया कप का शेड्यूल के ऐलान से ही करोड़ों भारतीय प्रशंसकों का एक वर्ग मेगा इवेंट में पाकिस्तान के खिलाफ खेलने को लेकर बहुत ही ज्यादा खफा है. इसमें दिग्गज हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) सहित कई बड़े नाम शामिल हैं. बहरहाल, आठ टीमों की भागीदारी वाले टूर्नामेंट में भारत और पाकिस्तान ऐसे दो देश रहे, जिन्होंने सबसे पहले अपनी-अपनी टीम का ऐलान किया. बहरहाल, अति भावुक ऐसे भी ख्याल बुन रहा है कि पिछले दिनों लीजेंड्स की तरह क्या वर्तमान टीम इंडिया भी खेलने से मना कर सकती है! बहरहाल, टूर्नामेंट के इतिहास में पाकिस्तान जरूर एक बार टूर्नामेंट से हट चुका है.
...जब पाकिस्तान ने लिया भारत में हुए एशिया कप से हटने का फैसला
जहां तक भारत की बात है, तो वह 1886 में श्रीलंका में हुए विश्व कप में नहीं खेला था. यह इकलौता मौका रहा, जब भारत ने एशिया कप में भाग नहीं लिया, लेकिन पाकिस्तान भी एशिया कप से हट चुका है. यह भारत में साल 1990-91 में आयोजित हुआ चौथा संस्करण था. तब पाकिस्तान ने भारत के साथ तनावपूर्ण राजनीतिक रिश्तों के कारण टूर्नामेंट से हटने का फैसला किया था. तब यह एशियाई क्रिकेट के लिए बड़ा झटका था. पाकिस्तान के हटने का मतलब कि टूर्नामेंट ने एक बड़ी प्रतिद्वंद्विता खो दी. इस साल भारत ने श्रीलंका को हराकर टूर्नामेंट जीता, लेकिन पाकिस्तान की अनुपस्थिति से एक बड़ा शून्य पैदा हो गया.
और खराब रिश्तों का असर यह हुआ कि...
दोनों देशों के बीच जारी खराब रिश्तों के कारण साल 1993 का संस्करण भी रद्द हो गया. इसके बाद एशिया कप 1995 में जाकर शुरू हुआ. यह संस्करण शारजाह में आयोजित किया गया था.
भारत ने इस वजह से लिया था नाम वापस
साल 1986 में श्रीलंका में आयोजित हुए दूसरे संस्करण से भारत ने सुरक्षा कारणों से नाम वापस लिया था. तब श्रीलंका में सरकार का लिट्टे के साथ गृहयुद्ध छिड़ा हुआ था. ऐसे में भारत सरकार ने बीसीसीआई को टूर्नामेंट से दूर रहने का निर्देश दिया था. तब श्रीलंका, पाकिस्तान और बांग्लादेश की भागादारी में ही टूर्नामेंट का आयोजन हुआ.