Paras Mhambrey on Ranchi Pitch: भारत और इंग्लैंड के बीच पांच टेस्ट मैचों की सीरीज का चौथा मुकाबला रांची में खेला जा रहा है. इस मैच के पहले दिन इंग्लैंड ने 7 विकेट के नुकसान पर 302 रन बना लिए थे. लेकिन दूसरे दिन इंग्लैंड 353 रनों पर ऑल-आउट हुई. इसके जवाब में भारत ने दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक 7 विकेट के नुकसान पर 219 रन बना लिए थे. रांची में हो रहे टेस्ट मुकाबले में पहले सेशन से ही स्पिन गेंदबाजों को मदद मिलती दिखी. वहीं पिच पर असमान उछाल ने बल्लेबाजों को और मुश्किल बना दिया. हालांकि, इसी दौरान जो रूट ने इंग्लैंड के लिए बेहतरीन शतक जड़ा. वहीं दूसरे दिन बशीर ने चार विकेट लेकर दिन का अंत किया. वहीं जब भारत के गेंदबाजी कोच पारस म्हाम्ब्रे दूसरे दिन स्टंप्स के बाद मीडिया के सामने आए तो उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि दूसरे दिन पिच इतनी धीनी हो जाएगा.
रांची टेस्ट के पहले दिन से पिच से असमान देखने को मिल रहा है और इसकी किसी को उम्मीद नहीं थी और इसने भारतीय खेमे को भी हैरान कर दिया है. भारत के गेंदबाजी कोच पारस म्हाम्ब्रे ने दूसरे दिन के खेल के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,"पहले भी हमने देखा है, यदि आप यहां कुछ खेल देखते हैं, जो खेले गए हैं, तो यह धीमा हो जाता है. इसलिए हमें इसकी उम्मीद थी, लेकिन इसलिए हमें इसकी उम्मीद थी, लेकिन ईमानदारी से कहूं तो हमें यह उम्मीद नहीं थी कि दूसरे दिन ही यह इतना धीमा खेलेगा. मुझे लगता है कि पहली पारी में भी कुछ गेंदें नीची रहीं, लेकिन हमने इसकी उम्मीद नहीं की थी. हमें उम्मीद थी कि दिन बढ़ने के साथ यह धीमी हो जाएगी, लेकिन असमान उछाल जो हमने पिछले कुछ दिनों में देखा है, इसकी उम्मीद नहीं थी. यह कुछ ऐसा है जिसकी हम उम्मीद नहीं कर रहे थे."
विशाखापट्टनम और सौराष्ट्र में हुए मुकाबले में स्पिन गेंदबाजों को पिच से मदद मिली थी, लेकिन यह मैच के आगे बढ़ने के साथ हुई थी. शुरुआत में पिच बल्लेबाजी के लिए अनुकूल थी. भारत सीरीज में 2-1 से आगे है. ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही थी कि भारतीय टीम स्पिन फ्रेंडली पिच को लेकर अनुरोध करेगा, लेकिन म्हाम्ब्रे ने जोर देकर कहा कि थिंक टैंक ने ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया था.
पारस म्हाम्ब्रे ने इसको लेकर कहा,"सबसे पहले, वेन्यू ऐसी चीज नहीं है जिस पर हमारा कंट्रोल हो. इस वेन्यू को भी सीरीज के लिए चुना गया था. जिस तरह से यहां विकेट खेलता है वह हमेशा समान रहा है. यह हमेशा रैंक टर्नर नहीं रहा है. मैं इसे रैंक टर्नर नहीं कहूंगा क्योंकि वहां असमान उछाल था. मुझे नहीं लगता कि विकेट से बहुत अधिक गेंदें तेजी से घूमी थीं और लोअर साइड की तरफ असमान उछाल था. इससे बल्लेबाजी करना मुश्किल हो गया. लेकिन यह मिट्टी की प्रकृति है और हमारी ओर से रैंक टर्नर का कोई विशेष निर्देश नहीं था."
पारस म्हाम्ब्रे ने रांची की विकेट को लेकर आगे कहा,"यह सौराष्ट्र जैसा ही विकेट था जो थोड़ा टर्न हुआ था. हमें उम्मीद थी कि यह वैसा ही होगा लेकिन यहां की मिट्टी अलग है और आप सटीक विकेट की गारंटी नहीं दे सकते जो आप चाहते हैं. ईमानदारी से कहूं तो वहां कोई निर्देश नहीं था कि हमें टर्नर की जरूरत है. मुझे नहीं लगता कि अभी तक यह कोई टर्नर है. यह सिर्फ कम उछाल है जो बल्लेबाजी को थोड़ा मुश्किल बना रहा है. मुझे नहीं लगता कि यहां ऐसी कोई गेंद रही है जिसे टर्निंग विकेट कहने के लिए वास्तव में स्पिन किया गया हो."
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