इस बात में कोई शक नहीं कि सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) पिछले कई सालों से दुनिया से महानतम बल्लेबाजों में से एक रहे हैं. मौके की नजाकत के हिसाब से वे अपनी बल्लेबाजी को बदल लिया करते थे. अपने नेचुरल टेलेंट के अलावा सचिन तेंदुलकर के पास स्थिति को परखकर अपने अपने गेम को बदल लेने का हुनर भी था. सचिन तेंदुलकर ने जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एंट्री ली तो वे एक आक्रमक किस्म के बल्लेबाज थे. इसके बाद अगले दशक में उन्होंने अपना रोल बदला और ज्यादा से ज्यादा रन बनाने पर फोकस किया.
सचिन ने अक्सर ऑस्ट्रेलिया (Australia) पाकिस्तान (Pakistan) और दक्षिण अफ्रीका (South Africa) जैसी टीमों के खिलाफ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और वो भी घर और बाहर दोनों जगहों पर अपने विश्व स्तरीय गेंदबाजी आक्रमणों पर हावी रहे. मास्टर बल्लेबाज ने टेस्ट क्रिकेट में साल 2003 की दूसरी छमाही में एक खराब दौर भी देखा इसके बाद सिडनी टेस्ट (Sydney Test) मैच जनवरी 2004 में आया, तब तक वे बिना शतक बनाए 13 पारियां खेल चुके थे.
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इस मैच से पहले, सचिन कई बार ऑफ स्टंप के बाहर गेंदों पर आउट हुए. ऐतिहासिक सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर सचिन ने कुछ ऐसा करने का फैसला किया जो उन्होंने कभी नहीं किया था. उन्होंने अपना एक ट्रेडमार्क शॉट, कवर ड्राइव नहीं खेलने का विकल्प चुना. परिणाम सबके सामने है इस मैच में सचिन ने 241 रनों की विशाल नाबाद पारी खेली, जो बाद में उनका दूसरा सर्वोच्च टेस्ट स्कोर बना. वह दोहरा शतक टेस्ट क्रिकेट में उनकी सबसे कठिन पारियों में से एक है और ठीक 17 साल पहले इसी दिन आया था.
आईसीसी ने भी उस दिन को याद करते हुए अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर फोटो के साथ सचिन की उस पारी को याद किया. ICC ने ट्वीट किया, "आज के दिन 2004 में, सचिन तेंदुलकर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ SCG में नाबाद 241 रनों की मैराथन पारी खेली थी, और उन्होंने इस पारी में एक भी कवर ड्राइव नहीं खेला.
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