जानिए क्या है क्रिकेट में ‘गुगली’ गेंद का इतिहास और किसने की थी इसकी खोज

History of Googly in Cricket: आधुनिक क्रिकेट में खासकर टी20 प्रारूप में कलाई के स्पिनरों का दौर जारी है. कुलदीप यादव, राशिद खान और वरुण चक्रवर्ती जैसे स्पिनर अपनी विविधताओं से बल्लेबाजों को लगातार चकमा देते रहे हैं.

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History of Googly Ball And Who Invented This
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  • क्रिकेट में गुगली गेंद एक ऐसी डिलीवरी है जो गेंदबाज के एक्शन में बदलाव के बिना गेंद की दिशा उलट देती है
  • गुगली का आविष्कारक बर्नार्ड बोसांक्वेट थे जिन्होंने पहली गुगली पेशेवर क्रिकेट में 1903-04 में फेंकी थी
  • गुगली गेंद बल्लेबाजों को भ्रमित करती है क्योंकि यह लेग ब्रेक की अपेक्षा उल्टी दिशा में घूमती है
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History of Googly Ball in Cricket: क्रिकेट का अंदाज समय के साथ बहुत बदल रहा है. हालांकि कई चीजे ऐसी हैं जो क्रिकेट का इतिहास चाहे जितना भी पुराना हो जाये, लेकिन वो हमेशा के लिए अमर रहेंगी. इसी कड़ी में फटाफट क्रिकेट का भी दौर शुरू हुआ और कई ऐसे यंग टैलेंट सामने आये जिन्होंने अपने प्रदर्शन और खेल के अंदाज से विश्व क्रिकेट में अपने नाम का झंडा बुलंद किया. मगर जैसा की हमने आपको पहले बताया की कुछ चीजे आसमान में टिमटिमाते तारों की तरह हमेशा चमक बिखेरती रहती हैं वैसे ही क्रिकेट के मैदान में हमेशा अपना जलवा बिखेरने वाली 'गुगली गेंद' का इतिहास हम आपके लिए लेकर आये हैं.

आधुनिक क्रिकेट में खासकर टी20 प्रारूप में कलाई के स्पिनरों का दौर जारी है. कुलदीप यादव, राशिद खान और वरुण चक्रवर्ती जैसे स्पिनर अपनी विविधताओं से बल्लेबाजों को लगातार चकमा देते रहे हैं. चलिए जानते है इनकी सबसे प्रभावशाली गेंदों में से एक है ‘गुगली' के बारे में जो बल्लेबाजों को भ्रमित करने और विकेट निकालने का सबसे शक्तिशाली हथियार मानी जाती है. 

क्या होती है गुगली गेंद?

दाएं हाथ के लेग स्पिनर की सामान्य गेंद, यानी लेग ब्रेक, बल्लेबाज के सामने लेग स्टंप से ऑफ स्टंप की ओर घूमती है. लेकिन जब वही गेंदबाज एक जैसी गेंदबाजी एक्शन के साथ गेंद फेंके और गेंद उल्टी दिशा में यानी ऑफ स्टंप से लेग स्टंप की ओर घूम जाए तो उसे ‘गुगली' कहा जाता है. गुगली की खासियत यही है कि गेंदबाज के एक्शन में कोई बदलाव नहीं होता, जिससे बल्लेबाज धोखा खा जाते हैं और गेंद की दिशा समझ नहीं पाते. यही कारण है कि यह डिलीवरी विकेट निकालने में बेहद कारगर साबित होती है.

किसे माना जाता है गुगली गेंद का जनक?

गुगली के आविष्कारक की बात करें तो वो थे बर्नार्ड बोसांक्वेट, जो एक अंग्रेज क्रिकेटर थे जिनका जन्म 13 अक्टूबर 1877 को हुआ था और 13 अक्टूबर को उनकी 148वीं जयंती मनाई जाती है. क्रिकेट जगत उन्हें प्यार से ‘बोसी' के नाम से जानता है.

कैसे हुई गुगली की खोज?

कहा जाता है कि एक दिन बोसांक्वेट अपने दोस्तों के साथ बिलियर्ड्स खेल रहे थे (बिलियर्ड्स खेल आयताकार मेज़ पर एक लम्बी छड़ी का उपयोग करके गेंदों को हिट करने वाला एक खेल है, जिसमें मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं, कैरम बिलियर्ड्स और पॉकेट बिलियर्ड्स). इसी दौरान उन्होंने मजे-मजे में गेंद को हाथ के पिछले हिस्से से लेग-ब्रेक एक्शन में फ्लिक किया और वह गेंद उल्टी दिशा में घूम गई. यही प्रयोग बाद में क्रिकेट इतिहास में “गुगली” के नाम से अमर हो गया.

पहली गुगली कब फेंकी गई थी?

बोसांक्वेट ने 1903-04 के क्रिकेट सीज़न में पहली बार पेशेवर क्रिकेट में गुगली का इस्तेमाल किया. बताया जाता है कि उनकी पहली ही गुगली पर उन्हें विकेट मिला. उस समय विपक्षी बल्लेबाजों ने इस नई गेंद को ‘धोखाधड़ी' तक कहा, लेकिन धीरे-धीरे यह कला क्रिकेट का अभिन्न हिस्सा बन गई.

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गुगली की विरासत आज भी जिंदा है

सौ साल से भी अधिक समय बाद, गुगली आज भी स्पिन गेंदबाजों का सबसे भरोसेमंद हथियार है. आधुनिक दौर के स्पिनर इस डिलीवरी को और निखारकर प्रयोग कर रहे हैं, और यह अब भी बल्लेबाजों के लिए सबसे रहस्यमयी चुनौती बनी हुई है.

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