- सुनील गावस्कर का मानना है कि क्रिकेट टीम के प्लेइंग XI का चयन केवल कप्तान के अधिकार में होना चाहिए
- शायद मैनचेस्टर टेस्ट में शुभमन गिल को अंतिम एकादश चुनने का अधिकार कप्तान के बजाय किसी और को मिला था-गावस्कर
- गावस्कर ने कुलदीप यादव को लगातार टीम में न चुनने पर सवाल उठाए
पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने Sony Sports Network पर मैनचेस्टर टेस्ट के चौथे दिन कुछ गंभीर सवाल उठाए, तो यह विवाद का विषय बन गया. देखते ही देखते सनी ग्रेट के शब्द सोशल मीडिया पर तेजी से फैंस के बीच वायरल हुए, तो इस पर प्रतिक्रिया भी हुई. आप जानिए कि गावस्कर ने किन मुद्दों को लेकर सवाल उठाए थे.
कप्तान की होनी चाहिए प्लेइंग XI
महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर का मानना है कि प्लेइंग XI में किसी भी टीम को चुनने का अधिकार कप्तान को ही होना चाहिए क्योंकि, जवाबदेही कप्तान की ही होती है और प्लान भी मैदान पर कप्तान को ही लागू करना होता है. गावस्कर के मुताबिक संभवत: शुभमन गिल को अंतिम एकादश चुनने में शायद अंतिम फैसला लेने का अधिकार नहीं था. उनका कहना है कि यह फैसला पूरी तरह से कप्तान का होना चाहिए और मुख्य कोच सहित किसी और का इस पर प्रभाव नहीं होना चाहिए.
कुलदीप के न होने पर बहस
गावस्कर ने सोनी स्पोर्ट्स पर कहा, ‘आखिरकार, यह कप्तान की टीम होती है.' बाएं हाथ के कलाई के स्पेशलिस्ट स्पिनर कुलदीप यादव को लगातार टीम में नहीं चुने जाने पर भी बहस छिड़ी दिखी. उन्होंने कहा,‘हो सकता है कि शुभमन शार्दुल को टीम में नहीं चाहते थे और कुलदीप को चाहते थे.'
फ़ैन्स ने उठाये विराट-रोहित के मसले
सोशल मीडिया पर ये विवाद इसलिए भी बड़ा हो गया क्योंकि कुछ फ़ैन्स ने गावस्कर के बयान को गंभीर बनाम कप्तान और गंभीर बनाम विराट-रोहित का मसला बना दिया. इन फ़ैन्स ने ये भी लिख डाला कि गंभीर की वजह से ही विराट और रोहित को मजबूरी में टेस्ट से रिटायरमेंट का फ़ैसला लेना पड़ा.
गावस्कर ने कर दिया साफ इनकार
इससे पहले पहले सनी ने सोशल मीडिया पर चल रही कुछ बातों पर कहा कि उन्होंने इसा ज़िक्र भी नहीं किया और उन बातों को कहकर ज़बरदस्ती विवाद पैदा करने की कोशिश की गई है. उन्होंने ये ज़रूर कहा था, ‘ड्रेसिंग रूम में सब कुछ ठीक-ठाक दिखाने के लिए कई बातों को बाहर नहीं आने दिया जाता है.' गावस्कर ने ये भी बताया कि जब वो कप्तान थे तब वो खुद फैसले लिया करते थे. उन्होंने कहा, ‘हमारे पास कोच नहीं थे. हमारे पास सिर्फ पूर्व खिलाड़ी ही टीम के मैनेजर या सहायक मैनेजर हुआ करते थे. वे ऐसे लोग थे जिनके पास जाकर आप बात कर सकते थे, वे आपको लंच के समय, दिन के खेल के अंत में या मैच की पूर्व संध्या पर सलाह देते थे.'