शिखा और जेमिमा के चयन न होने से मचा बवाल, तो चीफ सेलेक्टर के बयान से खुली बीसीसीआई की पोल

इस जब इस मामले पर पूर्व क्रिकेटर और नीतू डेविड से सवाल-जवाब किया गया, तो उनके जवाब ने बीसीसीआई के चयन नीति की पोल भी खोल दी. नीतू के बयान ने यह अच्छी तरह समझा दिया कि ये सेलेक्टर बस रट्टू तोते की तरह बनकर रह गए हैं. 

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जेमिमाह रॉड्रिगुएज का विश्व कप टीम में चयन न होना हैरानी भरा है
नयी दिल्ली:

चयन को लेकर विवाद भारत की पुरुष क्रिकेट में नहीं होते, बल्कि महिला टीम में भी होते हैं. वीरवार को भारतीय महिला चयन समिति ने इस साल खेले जाने वाले टी20 विश्व कप के लिए  भारतीय टीम का ऐलान किया, तो फैंस टीम में लोकप्रिय ऑलराउंडर जेमिमा रॉड्रिगुएज और शिखा पांडे का नाम न देखकर हैरान रन गए. सोशल मीडिया और फैंस के बीच जोर- शोर से चर्चा भी हुयी. मीडिया में भी चर्चा हुई कि आखिर ऐसी क्या वजह रही, जिससे इन स्टार खिलाड़ियों को टीम में जगह नहीं दी गयी. और इस जब इस मामले पर पूर्व क्रिकेटर और नीतू डेविड से सवाल-जवाब किया गया, तो उनके जवाब ने बीसीसीआई के चयन नीति की पोल भी खोल दी. नीतू के बयान ने यह अच्छी तरह समझा दिया कि ये सेलेक्टर बस रट्टू तोते की तरह बनकर रह गए हैं. बीसीसीआई ने वीरवार को दो टीमें घोषित कीं. एक टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ पांच वनडे मैचों की सीरीज के लिए मिताली राज की कप्तानी में घोषित की गयी, जबकि दूसरी टीम हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में टी20 वर्ल्ड कप के लिए घोषित की गयी. 

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एक एजेंसी के शिखा पांडेय और जेमिमाह रॉड्रिगुएज के सवाल पर चीफ सेलेक्टर नीतू पांडेय ने कहा, "हमें बोलने की इजाजत नहीं है." अब यह तो साफ ही है कि जब भी बीसीसीआई ऐसी किसी बड़ी प्रतियोगिता के लिए टीम का ऐलान करता है, तो वह प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन करता है.  साल 2020 में टीम चयन के बाद भी तत्कालीन चीफ सेलेक्टर हेमलता काला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवालों के जवाब दिए थे. 

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जब उनसे पूछा गया कि क्या सेलेक्टर मीडिया को संबोधित करेंगे, पर नीतू डेविड ने कहा कि फिलहाल इस बारे में मुझे कुछ भी नहीं बता है. इन दो लाइनों से साफ है कि क्रिकेट की सबसे बड़ी संस्था के चीफ सेलेक्टरों के होठ सिले हुए हैं. ये वो सेलेक्टर हैं, जो लाखों-करोड़ों रुपये का सालाना वेतन लेते हैं, लेकिन बड़े मुद्दों पर जनहित के और सबसे लोकप्रिय खेल से जुड़े सवालों का सामना नहीं करते या उन्हें इसकी इजाजत नहीं है. यह बताने के लिए काफी है कि आज के दौर में बीसीसीआई की नीति क्या हो चली है. 
 

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