- BCCI ने बहुदिवसीय घरेलू टूर्नामेंटों में गंभीर चोट लगने पर स्थानापन्न खिलाड़ी की अनुमति देने का नियम लागू किया
- गंभीर चोट प्रतिस्थापन की अनुमति मैच रेफरी द्वारा दी जाएगी जो अंपायर व डॉक्टर से परामर्श कर निर्णय लेंगे
- स्थानापन्न खिलाड़ी की योग्यता गंभीर चोट ग्रस्त खिलाड़ी के समान होनी चाहिए जिससे टीम को कोई अनुचित लाभ न मिले
भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने अपनी खेल शर्तों में संशोधन करते हुए आगामी सत्र के लिए बहु-दिवसीय घरेलू टूर्नामेंटों में ‘गंभीर चोटों के स्थानापन्न' खिलाड़ी का प्रावधान लागू किया है. यह कदम भारत और इंग्लैंड के बीच हाल में 2-2 से बराबर रही एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी टेस्ट श्रृंखला के दौरान ऋषभ पंत और क्रिस वोक्स के चोटिल होने के बाद- उठाया गया है. राज्य संघों को सूचित किए गए नए नियम में कहा गया है, 'अगर किसी खिलाड़ी को संबंधित मैच के दौरान गंभीर चोट लगती है तो निम्नलिखित परिस्थितियों में स्थानापन्न खिलाड़ी की अनुमति दी जा सकती है.'
इसमें आगे कहा गया है, 'यह गंभीर चोट खेल के दौरान और अनुच्छेद 1.2.5.2 में वर्णित खेल क्षेत्र के भीतर लगी होनी चाहिए.' इसके अनुसार, 'चोट किसी बाहरी झटके के कारण लगी होनी चाहिए और इसके परिणामस्वरूप फ्रैक्चर या गहरा कट या ‘डिस्लोकेशन' (खिसकना) आदि हुआ हो. इस चोट के कारण खिलाड़ी बचे मैच के लिए अनुपलब्ध हो जाना चाहिए.' इसमें कहा गया, 'स्थानापन्न खिलाड़ी की पहचान करें जो गंभीर चोट वाले खिलाड़ी के लिए समान प्रतिस्थापन होगा.'
यह नियम सीनियर और जूनियर घरेलू टूर्नामेंटों के बहु-दिवसीय मुकाबलों में लागू होगा तथा 28 अगस्त से दलीप ट्रॉफी और अंडर-19 सीके नायडू ट्रॉफी में इसकी शुरुआत होगी. पंत को मैनचेस्टर में चौथे टेस्ट में रिवर्स स्वीप करने की कोशिश में पैर में फ्रैक्चर हो गया जबकि वोक्स का कंधा ओवल में श्रृंखला के निर्णायक मैच में खिसक गया.
इस घटना ने इस बात पर बहस फिर से छेड़ दी कि क्या खिलाड़ियों को गंभीर चोट लगने पर प्रतिस्थापन की अनुमति दी जानी चाहिए. भारत के मुख्य कोच गौतम गंभीर इसके पक्ष में थे जबकि इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स इसके पक्ष में नहीं थे.
नियम:
1.2.8.1: यदि किसी खिलाड़ी को संबंधित मैच के दौरान गंभीर चोट लगती है तो निम्नलिखित परिस्थितियों में गंभीर चोट प्रतिस्थापन की अनुमति दी जा सकती है.
1.2.8.1.1: गंभीर चोट खेल के दौरान और ऊपर अनुच्छेद 1.2.5.2 में वर्णित खेल क्षेत्र के भीतर लगी होनी चाहिए.
चोट किसी बाहरी झटके के कारण लगी होनी चाहिए और फ्रैक्चर या गहरा कट या ‘डिस्लोकेशन' आदि के कारण हुई होनी चाहिए. चोट के कारण खिलाड़ी बचे हुए मैच में भाग के लिए अनुपलब्ध होना चाहिए.
1.2.8.1.2: गंभीर चोट की सीमा और गंभीर चोट प्रतिस्थापन की अनुमति पर निर्णय लेने का अंतिम अधिकार मैदानी अंपायर का होगा. वे बीसीसीआई मैच रेफरी या मैदान पर उपलब्ध डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं.
1.2.8.1.3: टीम मैनेजर बीसीसीआई मैच रेफरी को एक फॉर्म पर ‘गंभीर चोट प्रतिस्थापन' अनुरोध प्रस्तुत करेगा जो .
1.2.8.1.3.1: उस खिलाड़ी की पहचान करें जिसे गंभीर चोट लगी है.
1.2.8.1.3.2: उस घटना का उल्लेख करें जिसमें गंभीर चोट लगी थी और जिसमें चोट लगने का समय भी शामिल है.
1.2.8.1.3.3: पुष्टि करें कि खिलाड़ी को गंभीर चोट लगी है और वह चोट के कारण मैच में आगे भाग नहीं ले पाएगा.
1.2.8.1.3.4: अनुरोध किए गए खिलाड़ी की पहचान करें जो गंभीर चोट वाले खिलाड़ी का समान प्रतिस्थापन होगा.
1.2.8.1.3.5 इन सभी परिस्थितियों में गंभीर चोट प्रतिस्थापन खिलाड़ी को टॉस के समय नामित स्थानापन्नों में से चुने (कर्नल सी.के. नायडू ट्रॉफी के लिए खिलाड़ियों के नामांकन के समय से).
बस उस स्थिति में जब विकेटकीपर गंभीर रूप से चोटिल हो और उसे प्रतिस्थापन की आवश्यकता हो तब मैच रेफरी नामित प्रतिस्थापनों में से किसी अन्य खिलाड़ी को विकेटकीपर की अनुमति दे सकता है, बशर्ते नामित प्रतिस्थापनों में कोई विकेटकीपर नहीं हो.
1.2.8.2: अगर गंभीर चोट प्रतिस्थापन की अनुमति दी जानी है तो अनुच्छेद 1.2.8.1.3.2 में निर्दिष्ट घटना के बाद ‘गंभीर चोट प्रतिस्थापन' अनुरोध जल्द से जल्द बीसीसीआई मैच रेफरी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए.
1.2.8.3: बीसीसीआई मैच रेफरी को सामान्यतः गंभीर चोट प्रतिस्थापन अनुरोध को तभी स्वीकृत करना चाहिए जब प्रतिस्थापन भी समान योग्यता का खिलाड़ी हो जिसके शामिल होने से मैच के बचे भाग में उसकी टीम को अत्यधिक लाभ नहीं होगा.
1.2.8.4: यह आकलन करते समय कि नामित गंभीर चोट प्रतिस्थापन को समान खिलाड़ी माना जाना चाहिए या नहीं, बीसीसीआई मैच रेफरी को उस संभावित भूमिका पर विचार करना चाहिए जो गंभीर रूप से घायल खिलाड़ी ने मैच के बचे भाग के दौरान निभाई होती और उस सामान्य भूमिका पर भी विचार करना चाहिए जो नामित गंभीर चोट प्रतिस्थापन द्वारा निभाई जाएगी.
1.2.8.5: यदि बीसीसीआई मैच रेफरी को लगता है कि नामित गंभीर चोट प्रतिस्थापन को शामिल करने से उनकी टीम को अत्यधिक लाभ होगा तो बीसीसीआई मैच रेफरी गंभीर चोट प्रतिस्थापन की पहचान और भागीदारी पर ऐसी शर्तें लगा सकता है जो वह उचित समझे.
स्पष्टता के लिए गंभीर चोट प्रतिस्थापन को प्रतिस्थापित खिलाड़ी पर लगाई गई सभी चेतावनियां, समय का जुर्माना और निलंबन भी प्राप्त होंगे.
1.2.8.6: बीसीसीआई मैच रेफरी अनुच्छेद 1.2.8.1.3 के अनुसार किए गए गंभीर चोट प्रतिस्थापन अनुरोध की समीक्षा करते समय अनुच्छेद 1.2.8.4 और 1.2.8.5 के अंतर्गत आवश्यक निर्धारण करने के लिए जरूरी किसी भी अतिरिक्त जानकारी का अनुरोध कर सकता है.
1.2.8.7: किसी भी गंभीर चोट प्रतिस्थापन अनुरोध के संबंध में बीसीसीआई मैच रेफरी का निर्णय अंतिम होगा और किसी भी टीम को अपील का कोई अधिकार नहीं होगा.
1.2.8.8: एक बार जब बीसीसीआई मैच रेफरी द्वारा गंभीर चोट प्रतिस्थापन को मंजूरी दे दी जाती है तो प्रतिस्थापित खिलाड़ी मैच में आगे भाग नहीं लेगा.
1.2.8.9: गंभीर चोट प्रतिस्थापन और प्रतिस्थापित खिलाड़ी दोनों को रिकॉर्ड और आंकड़ों के उद्देश्यों के लिए मैच में खेला हुआ माना जाएगा.
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