- पिछले तीन महीनों से नवजात बच्चों को नहीं देखा
- कोई क्लब में है कोच, तो कोई वन-टू-वन कोच
- पार्टटाइम जॉब से पाल रहे हैं जुनून!
जारी एशिया कप (2022) में हांगकांग की टीम भारत के हाथों भले ही हार गयी, लेकिन पहले भारत की बल्लेबाजी के दौरान और फिर बाद में लक्ष्य का पीछा करते हुए कोटे 20 ओवरों में 5 विकेट पर 152 रन बनाकर इस टीम ने दिखाया कि हांगकांग की टीम कई देशों से बेहतर है. खासकर इस बात को देखते हुए कि उसके और दिग्गज टीमों के खिलाड़ियों की जीवन-शैली में जमीन-आसमान का अंतर है. जहां भारतीय सुपर सितारा बल्लेबाज साल भर में कई करोड़ रुपये की कमाई करते हैं, तो वहीं इस हांगकांग में कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जो अपने देश में फूड एप्प जमेटो जैसी कंपनियों के लिए फूड डिलीवरी का काम करते हैं. इसका खुलासा किसी और ने नहीं, बल्कि टीम के कोच और पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर जोनाथन ट्रेंट ने किया है. चलिए कोच द्वारा बतायी गई कई अहम बातों को हम बारी-बारी से आपको बताते हैं.
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पापा बाहर खेलते-खेलते पिता बन गए और...!
ट्रेंट ने कहा कि पिछले काफी समय से हांगकांग की टीम अलग-अलग जगह क्रिकेट खेल रही है. टीम में बाबर हयात एहसान खान और यासिम मुर्तजा ऐसे खिलाड़ी हैं, जो पिता है, लेकिन ये तीनों ही काफी समय बाहर रहते हुए ही पिता बने. ये अपने नवजात शिशुओं को वीडियो कॉल के जरिए ही देख पाते हैं. पिछले तीन महीनों में टीम नामीबिया, युगांडा और जर्सी, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, जिंबाब्वे, ओमान और अब यूएई में है. उन्होंने कहा कि खिलाड़ी जानते हैं कि सुरक्षित भविष्य के लिए बड़ी कमाई के लिए यह वास्तविक रास्ता नहीं है, लेकिन इसके बावजूद वह बेहतर करने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ हैं.
क्रिकेट से बाहर की कमाई पर निर्भर
जोनाथन ने कहा कि टीम में बहुमत संख्या में खिलाड़ी हांगकांग में क्रिकेट से बाहर की कमाई पर निर्भर हैं. दो साल से क्रिकेट नहीं होने के बावजूद इन खिलाड़ियों को रवैया बहुत ही सहयोगपूर्ण रहा है. कोच बोले कि हांगकांग में संभवत: छह लॉकडाउन लगे और ऐसे में हमारे पास तैयारी का बहुत ही कम समय था. इन खिलाड़ियों ने अपने घर, कार पार्किंग और लोकल पार्क में कंडीशनिंग सेशन किए. कोविड में इन खिलाड़ियों के लिए अपने जुनून और सैलरी कमाने का संतुलन को अच्छी तरह से निभाया.
अधिकांश खिलाड़ी कर रहे हैं यह काम
टीम के तीन या चार खिलाड़ी क्लबों में या वन-टू-वन कोचिंग करते हैं, जबकि टीम के ज्यादातर खिलाड़ी फूड पांडा या डिलिवेरो के साथ जुड़े हुए हैं. जोनाथन ने कहा कि उप-कप्तान किंचित शाह ज्वैलरी के व्यापार में हैं. हमारे युवा पेसर आयुष शुक्ला यूनिवर्सिटी में हैं, तो कुछ खिलाड़ी एडमिनिस्ट्रेशन में जॉब करते हैं. कोच ने कहा कि पिछले तीन महीनों में इन खिलाड़ियों ने बहुत ज्यादा त्याग किया है और तब जाकर इन्हें क्वालीफायी करते हुए एशिया कप में खेलने का मौका मिला है. इनकी पत्नियां, बच्चे और गर्लफ्रैंड्स इनके घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं. इनके पार्टनर बहुत ही शानदार हैं, जिन्होंने घर को चलायमान रखा. मैं इनका शुक्रिया अदा करता हूं.
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