ASHES 2025-26: अखबार में छपे एक 'शोक संदेश ने रखी 'एशेज ट्रॉफी' की नींव, जानें कब, कैसे, कहां, बहुत दिलचस्प है कहानी

Ashes Trophy: जल्द ही एशेज ट्रॉफी का आगाज होने जा रहा है. पांच मैचों की टेस्ट सीरीज का आगाज जल्द ही होने जा रहा है. जानें एशेज सीरीज के इतिहास की अहम कहानी

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
एशेज की मूल और असल ट्रॉफी की फाइल पोटो
X: social media
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • साल 1882 में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने इंग्लैंड को ओवल टेस्ट में सात रन से हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी
  • ब्रिटिश अखबार ने हार के बाद इंग्लिश क्रिकेट के लिए शोक संदेश प्रकाशित कर ‘एशेज’ शब्द का प्रयोग किया
  • कप्तान इवो ब्लाई ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाकर उस मिट्टी के कलश को वापस लेने का संकल्प लिया था
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

साल 1882 में ऑस्ट्रेलियाई टीम इंग्लैंड के दौरे पर गई थी, जहां ओवल में खेले गए टेस्ट में इंग्लैंड को 7 रन के करीबी अंतर से शिकस्त झेलनी पड़ी. अगले ही दिन ब्रिटिश अखबार 'स्पोर्टिंग टाइम्स' ने अंग्रेजी क्रिकेट को लेकर एक नकली 'शोक संदेश' प्रकाशित किया, जिसमें लिखा गया,'29 अगस्त 1882 को ओवल में दिवंगत हुए इंग्लिश क्रिकेट की स्नेहपूर्ण स्मृति में. शोकाकुल मित्रों और परिचितों के एक बड़े समूह की ओर से गहरा शोक व्यक्त किया गया. "ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे. ध्यान दें शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा और राख ऑस्ट्रेलिया ले जाई जाएगी." 

दरअसल ब्रिटिश साप्ताहिक अखबार ने ऑस्ट्रेलिया के हाथों इंग्लैंड की हार पर 'द एशेज' शब्द का इस्तेमाल किया था. इस 'शोक संदेश' के साथ क्रिकेट इतिहास में पहली बार 'एशेज' शब्द का इस्तेमाल हुआ. इस अवधारणा ने खेल प्रेमियों का ध्यान आकर्षित किया. कुछ हफ्तों के बाद इवो ब्लाई की कप्तानी में इंग्लिश टीम ऑस्ट्रेलियाई के दौरे पर रवाना हुई. पिछली हार का बदला लेना टीम का मकसद था. कप्तान ब्लाई ने संकल्प लिया कि वह एशेज वापस लेने ऑस्ट्रेलिया जा रहे हैं.

इंग्लैंड की टीम ने इस दौरे पर तीन टेस्ट खेले. इस दौरान ब्लाई और उनकी टीम के शौकिया खिलाड़ियों ने कई सोशल मैच में भी हिस्सा लिया. यह सीरीज 30 दिसंबर से शुरू होनी थी. पहला मैच मेलबर्न में खेला जाना था, जिससे पहले क्रिसमस की पूर्व संध्या पर मेलबर्न के बाहर रूपर्ट्सवुड एस्टेट में ब्लाई को उस एशेज के प्रतीक के रूप में एक छोटा-सा मिट्टी का कलश दिया गया, जिसे वापस पाने के लिए वह ऑस्ट्रेलिया गए थे. 

हालांकि, ब्लाई इसे एक निजी उपहार मानते थे. इस दौरे पर इंग्लैंड ने 2-1 से सीरीज अपने नाम की.ऐसी मान्यता है कि मेलबर्न की महिलाओं ने बेल्स को जलाकर उसकी राख को इस कलश में भरकर दिया था. इस मौके पर ब्लाई की मुलाकात फ्लोरेंस मॉर्फी से हुई, जो रूपर्ट्सवुड एस्टेट की मालकिन लेडी जेनेट क्लार्क की क्लासमेट और क्लार्क परिवार की गवर्नेस थीं. साल 1884 में फ्लोरेंस मॉर्फी से ही ब्लाई ने शादी रचाई. कुछ समय बाद ब्लाई इस कलश को अपने साथ लेकर इंग्लैंड लौटे. यह कलश ब्लाई के घर पर करीब 43 साल तक रखा रहा. ब्लाई के निधन के बाद फ्लोरेंस ने यह कलश मेरीलेबोन क्रिकेट क्लब (MCC) को सौंप दिया, तभी से यह लॉर्ड्स स्थित एमसीसी संग्रहालय में रखा है.

Advertisement


यहां से हुआ वास्तविक ट्रॉफी का जन्म

साल 1990 के दशक में जब ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की टीमों ने वास्तविक ट्रॉफी के लिए प्रतिस्पर्धा करने की इच्छा जताई. तब एमसीसी ने इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (CA) के साथ विचार-विमर्श के बाद एक कलश के आकार की वाटरफोर्ड क्रिस्टल ट्रॉफी बनवाई.साल 1998-99 में जब ऑस्ट्रेलियाई टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज जीती, तब यह ट्रॉफी पहली बार ऑस्ट्रेलियाई कप्तान मार्क टेलर को भेंट की गई थी और तभी से एशेज ट्रॉफी ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच प्रत्येक टेस्ट सीरीज के अंत में विजेता कप्तान को दी जाती है.

यह भी पढ़ें:

Ashes 2025: किसका पलड़ा है भारी, भारत में कितने बजे शुरू होंगे मैच, कहां देख पाएंगे लाइव, जानें तमाम बातें
'एशेज सीरीज' के इतिहास में अमर वो इकलौता मुकाबला, जिसकी एक ही पारी में बने थे 900 से ज्यादा रन

Advertisement
Featured Video Of The Day
Delhi Blast News: MS Bitta ने 'पाक प्रेमियों' को कैसे किया बेनकाब? | Sucherita Kukreti | Mic On Hai
Topics mentioned in this article