भारत के पूर्व कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) ने काफी लंबे समय बाद मुंह खोला है, तो खासा दिल से बोले हैं. कोहली ने अपनी कप्तानी में कभी कोई आईसीसी ट्रॉफी न जीतने के लिए की गयी या अक्सर होने वाली आलोचना पर विराट ने दिल का दर्द बयां करते हुए कहा कि कैसे कुछ पंडितों और फैंस के एक वर्ग ने उन्हें एक विफल कप्तान करार दिया. कोहली ने कहा कि हालांकि उन्होंने अपने नेतृत्व में कई मौकों पर टीम को नॉकआउट दौर में पहुंचाया, लेकिन ट्रॉफी का न जीत पाने के पहलू ने बड़े विमर्श का रूप ले लिया.
हालांकि, पूर्व कप्तान ने यह भी कहा कि होने वाली आलोचना के चलते उन्हें कभी भी किसी स्तर पर इस पहलू से खुद का मूल्यांकन नहीं किया. और उनके कार्यकाल में जो भी सांस्कृतिक बदलाव आया, उसे लेकर वह गौरवान्वित महसूस करते हैं.
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कोहली ने आरसीबी के पोस्टकाड में कहा कि आप टूर्नामेंट जीतने के लिए खेलते हैं. मैंने साल 2017 की चैंपियंस ट्रॉफी और 2019 विश्व कप में भी कप्तानी की. मैंने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप और साल 2021 के टी20 विश्व कप में भी कप्तानी की. तीन आईसीसी टूर्नामेंट के बाद मुझे विफल कप्तान समझा गया. विराट बोले कि मैंने कभी भी इस नजरिए से खुद का मूल्यांकन नहीं किया. हमने बतौर ईकाई काफी कुछ हासिल करिया और सांस्कृतिक बदलाव भी हुआ, जो मेरे लिए गर्व का विषय है. कोई भी टूर्नामेंट एक थोड़े समय के लिए होता है, लेकिन सांस्कृति बदलाव लंबे समय के लिए होता है. और इसके लिए आपको टूर्नामेंट जीतने से ज्यादा ज्यादा निरंतरता और व्यक्तित्व विशेष के खिलाड़ियों की जरूरत होती है. ध्यान दिला दें कि भारत ने जब साल 2011 में विश्व कप और 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीती थी, तो तब विराट टीम का हिस्सा थे, लेकिन दोनों ही मौकों पर एमएस धोनी कप्तान थे.
आलोचना के असर पर कोहली बोले कि बतौर खिलाड़ी मैंने विश्व कप जीता है. मैंने चैंपियंस ट्रॉफी जीती है. मैं उस टीम का हिस्सा रहा हूं, जिसने पांच टेस्ट मैच जीते हैं. अगर आप उस नजरिए से देखत हैं, तो यहां कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने कभी भी विश्व कप नहीं जीता है.
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