- दिल्ली में इस साल सितंबर तक सड़क हादसों से मौत के मामलों में दो दशमलव पांच प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है
- ट्रैफिक पुलिस ने हाई-रिस्क लोकेशंस की पहचान कर वहां सड़क डिज़ाइन और सुरक्षा फीचर्स में सुधार के सुझाव दिए हैं
- राजधानी के 143 स्थानों पर सड़क डिज़ाइन सुधार, संकेत बोर्ड और रोड रिपेयर जैसी सिफारिशें की गई हैं
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के लगातार और योजनाबद्ध प्रयासों का असर अब साफ दिख रहा है. राजधानी में सड़क हादसों से मौत के मामलों में इस साल सितंबर 2025 तक 2.5% की कमी दर्ज की गई है. वहीं घातक सड़क हादसे भी 2.9% घटे हैं. पिछले साल जनवरी से सितंबर 2024 के बीच जहां 1,178 लोगों की जान गई थी, वहीं इस साल उसी अवधि में यह संख्या घटकर 1,149 रह गई. इसी तरह, घातक सड़क हादसे 1,148 से घटकर 1,115 पर आ गए हैं. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि यह कमी किसी एक दिन के अभियान का नतीजा नहीं, बल्कि एक सिस्टमेटिक और डेटा-आधारित अप्रोच का परिणाम है.
डेटा पर आधारित ट्रैफिक सेफ्टी
ट्रैफिक पुलिस की क्रैश रिसर्च सेल लगातार सड़क हादसों के पैटर्न का अध्ययन करती है कहां, कैसे और क्यों हादसे हो रहे हैं. इसी आधार पर दिल्ली की सड़कों पर हाई-रिस्क लोकेशंस, यानी ब्लैकस्पॉट्स की पहचान की जाती है. इन्हीं जगहों पर इंजीनियरिंग सेल जाकर सड़क डिज़ाइन, साइन बोर्ड, और अन्य सेफ्टी फीचर्स में सुधार की सिफारिश करती है. दिल्ली रोड क्रैश रिपोर्ट को पहले “Accident Report in Delhi” कहा जाता था. अब इसका नाम बदलकर “Crash Report” किया गया है ताकि यह संदेश दिया जा सके कि सड़क हादसे कोई ‘एक्सीडेंट' नहीं बल्कि रोकने योग्य घटनाएं हैं.
जान बचान प्राथमिकता
अब सरकार पहले से ज्यादा सक्रिय हुई है. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के स्पेशल कमिश्नर ऑफ पुलिस (ट्रैफिक मैनेजमेंट डिविजन जोन-II) अजय चौधरी, आईपीएस ने कहा कि इस सोच में बदलाव से सरकार को अब सड़क सुरक्षा पर ज्यादा सक्रिय और लक्षित तरीके से काम करने का मौका मिला है. हादसों में कमी सीधे तौर पर उन उपायों का नतीजा है, जो हमने हाई-रिस्क इलाकों में लागू किए हैं. ट्रैफिक पुलिस की प्राथमिकता सड़क पर हर व्यक्ति की जान बचाना है.
143 स्थानों पर बदलाव की सिफारिश
इस साल दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने राजधानी के अलग-अलग इलाकों में 143 स्थानों की पहचान की है, जहां सड़क डिज़ाइन में सुधार, संकेत बोर्ड लगाने और रोड रिपेयर जैसे कदम उठाने की सिफारिश की गई है. इसके अलावा, स्कूल, कॉलेज और अस्पतालों के पास करीब 30 जगहों पर स्पीड कंट्रोल के लिए उपाय जैसे स्पीड ब्रेकर, राउंडअबाउट डिज़ाइन में बदलाव और पैदल यात्रियों के लिए क्रॉसिंग की सिफारिश की गई है.
ट्रैफिक पुलिस को स्पीड मैनेजमेंट की ट्रेनिंग
राजधानी के सभी ट्रैफिक सर्किलों में करीब 3,600 पुलिसकर्मियों को स्पीड मैनेजमेंट और सड़क सुरक्षा के नए तरीकों की ट्रेनिंग दी गई है. ये ट्रेनिंग सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों और डेटा एनालिस्ट्स के साथ मिलकर कराई जा रही है ताकि पुलिस कर्मी न सिर्फ ट्रैफिक संभालें, बल्कि सड़क हादसों को रोकने में भी सक्रिय भूमिका निभा सकें.
सड़कें होंगी और सुरक्षित
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस लगातार डिस्ट्रिक्ट रोड सेफ्टी कमेटी (DRSC) की बैठकों में हिस्सा ले रही है और सुप्रीम कोर्ट की रोड सेफ्टी कमेटी के दिशानिर्देशों का पालन कर रही है. पुलिस और दूसरे विभागों के अधिकारी मिलकर हर जिले के हिसाब से सुझाव दे रहे हैं ताकि आने वाले महीनों में हादसों में और भी कमी लाई जा सके.