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This Article is From Aug 29, 2019

कौन हैं कारगिल गर्ल गुंजन सक्सेना जिन पर बन रही है फिल्म

कारगिल युद्ध के दौरान गुंजन सक्सेना (Gunjan Saxena) ने युद्ध क्षेत्र में निडर होकर चीता हेलीकॉप्टर उड़ाया. इस दौरान वह द्रास और बटालिक की ऊंची पहाड़ियों से उठाकर वापस सुरक्षित स्थान पर लेकर आईं. 

कौन हैं कारगिल गर्ल गुंजन सक्सेना जिन पर बन रही है फिल्म
Gunjan Saxena: गुंजन को उनकी वीरता, साहस और देशप्रेम के लिए शौर्य पुरस्कार से नवाजा जा चुका है.
नई दिल्ली:

करण जोहर के प्रोडक्शन 'धर्मा प्रोडक्शन' ने अपनी नई फिल्म 'गुंजन सक्सेना- द कारगिल गर्ल' (Gunjan Saxena The Kargil Girl) का पोस्टर जारी कर दिया है. यह फिल्म आईएएफ की महिला पायलट गुंजन सक्सेना (Gunjan Saxena) पर बनी है. फिल्म में गुंजन का किरदार जान्हवी कपूर निभा रही हैं, जबकि उनके पिता की भूमिका में पंकज त्रिपाठी हैं. अब सवाल उठता है कि गुंजन सक्सेना कौन हैं (Who is Gunjan Saxena) और उन पर फिल्म बनने की वजह क्या है? गुंजन सक्सेना भारतीय वायुसेना में फ्लाइट लेफ्टिनेंट रह चुकी हैं. 44 साल की गुंजन अब रिटायर हो चुकी हैं. उन्हें कारगिल गर्ल के नाम से जाना जाता है. गुंजन को उनकी वीरता, साहस और देशप्रेम के लिए शौर्य पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. गुंजन वो महिला है जिन्होंने डंके की चोट पर साबित किया कि महिलाएं न सिर्फ पायलट बन सकती है बल्कि जंग के मौदान में अपना लोहा मनवा सकती है.

कारगिल युद्ध के दौरान गुंजन सक्सेना ने युद्ध क्षेत्र में निडर होकर चीता हेलीकॉप्टर उड़ाया. इस दौरान वह द्रास और बटालिक की ऊंची पहाड़ियों से उठाकर वापस सुरक्षित स्थान पर लेकर आईं. पाकिस्तानी सैनिक लगातार रॉकेट लॉन्चर और गोलियों से हमला कर रहे थे. गुंजन के एयरक्राफ्ट पर मिसाइल भी दागी गई लेकिन निशाना चूक गया और गुंजन बाल-बाल बचीं. बिना किसी हथियार के गुंजन ने पाकिस्तानी सैनिकों का मुकाबला किया और कई जवानों को वहां से सुरक्षित निकाला. बता दें कि जब गुंजन हंसराज कॉलेज से ग्रेजुएशन कर रही थी तब उन्होंने दिल्ला का सफदरगंज फ्लाइंग क्लब ज्वाइन कर लिया था. उस समय उनके पिता और भाई दोनों ही भारतीय सेना में कार्यरत थे.

htep7aro'गुंजन सक्सेना- द कारगिल गर्ल' फिल्म का पोस्टर (Gunjan Saxena - The Kargil Girl) 
 

इसी दौरान उन्‍हें पता चला कि IAF में पहली बार महिला पायलटों की भर्ती की जा रही है. फिर उन्होंने SSB परीक्षा पास की और भारयीय वायुसेना में बतौर पायलट शामिल हो गईं. उस वक्‍त सुरक्षा बलों में पुरुष अधिकारियों का वर्चस्व था और भारतीय वायुसेना में महिला अधिकारियों को पुरुषों के बराबर उड़ान भरने का मौका नहीं दिया जाता था. बेशक उस समय महिला अधिकारियों को लड़ाकू जेट उड़ाने की अनुमति नहीं थी, लेकिन उनके बैच की महिलाओं ने भारतीय वायुसेना में पहली बार विमान उड़ाकर इतिहास तो रच ही दिया था. हालांकि उस वक्‍त भारतीय वायुसेना में महिला पायलटों के लिए आरक्षण था.

लेकिन तब यह साफ नहीं था कि वे उड़ान भरने के लिए मानसिक और शारीरिक तनाव और युद्धों का सामना कैसे करेंगी? इन युवतियों को अपनी क्षमता साबित करने के लिए एक मौका चाहिए था जो उन्हें 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान मिला. युद्ध के दौरान जब भारतीय सेना को पायलट की जरूरत पड़ी, तब गुंजन और श्री विद्या को युद्ध क्षेत्र में भेजा गया. उन्होंने अपने मिशन को पूरा करने के लिए कई बार लाइन ऑफ कंट्रोल के बिल्कुल नजदीक से भी उड़ान भरी जिससे पाकिस्तानी सैनिकों की पोजिशन का पता लगाया जा सके.

वाकई गुंजन ने न सिर्फ यह साबित किया कि वह देश की सच्‍ची सैनिक हैं, बल्‍कि उन्‍होंने दुनिया को यह भी दिखा दिया कि महिलाएं क्‍या कर सकती हैं. अब भारतीय वायुसेना में महिला पायलट भी फाइटर प्‍लेन उड़ा सकती हैं और इसका श्रेय कहीं न कहीं गुंजन सक्‍सेना जैसी हिम्‍मती IAF पायलटों को जाता है.

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