बिहार के विश्वविद्यालय डिजिटल होंगे
पटना: बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जुलाई से राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन प्रवेश होंगे. उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों का चरणबद्ध तरीके से डिजिटीकरण किया जाएगा. पटना में मगध विश्वविद्यालय की 'डिजिटल यूनिवर्सिटी प्रोजेक्ट' का उद्घाटन करते हुए मोदी ने कहा कि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की बहाली के लिए आयोग का गठन कर दिया गया है और जल्द ही शिक्षकों की कमी दूर की जाएगी.
मोदी ने राज्य में सबसे पहले मगध विश्वविद्यालय द्वारा डिजिटल प्रोजेक्ट लागू करने की सराहना करते हुए कहा कि डिजिटीकरण के तहत विश्वविद्यालय के सभी 44 अंगीभूत कॉलेजों और विश्वविद्यालय मुख्यालय में 600 बायो-मैट्रिक उपस्थिति मशीन लगाई गई है. शिक्षक व कर्मचारी अब बायो-मैट्रिक के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे. उन्होंने शिक्षकों को आश्वासन देते हुए कहा कि नए वित्तीय वर्ष में शिक्षकों के वेतन भुगतान को नियमित करने की कोशिश की जा रही है.
मोदी ने कहा कि विश्वविद्यालय के 20 वर्षों के दस्तावेजों को डिजिटलीकरण कर संरक्षित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि नामांकन, परीक्षा फार्म भरने, अंकपत्र और परीक्षा परिणाम आदि के ऑनलाइन होने से विश्वविद्यालय के कामकाज में जहां पारदर्शिता आएगी, वहीं छात्र-छात्राओं को भी सहूलियत होगी. पहले जहां छात्रों को हर काम के लिए विवि मुख्यालय की दौड़ लगानी पड़ती थी वहीं अब वे अपना काम घर बैठकर ऑनलाइन कर सकते हैं.
'यूनिवर्सिटी डिजिटल प्रोजेक्ट' को भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय की संस्था सीडीसी तकनीकी सहयोग प्रदान कर रही है. मोदी ने कहा, "शिक्षकों के वेतन के लिए राशि की कमी नहीं है. शिक्षा के लिए 32 हजार करोड़ का बजट है इनमें से करीब 22 हजार करोड़ प्राथमिक से लेकर कॉलेज, विवि के शिक्षकों के वेतन व पेंशन पर खर्च होता है. प्रक्रिया में जटिलता और विश्वविद्यालय द्वारा समय पर उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दिए जाने के चलते शिक्षकों को नियमित वेतन नहीं मिल पाता है." (आईएएनएस)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मोदी ने राज्य में सबसे पहले मगध विश्वविद्यालय द्वारा डिजिटल प्रोजेक्ट लागू करने की सराहना करते हुए कहा कि डिजिटीकरण के तहत विश्वविद्यालय के सभी 44 अंगीभूत कॉलेजों और विश्वविद्यालय मुख्यालय में 600 बायो-मैट्रिक उपस्थिति मशीन लगाई गई है. शिक्षक व कर्मचारी अब बायो-मैट्रिक के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे. उन्होंने शिक्षकों को आश्वासन देते हुए कहा कि नए वित्तीय वर्ष में शिक्षकों के वेतन भुगतान को नियमित करने की कोशिश की जा रही है.
मोदी ने कहा कि विश्वविद्यालय के 20 वर्षों के दस्तावेजों को डिजिटलीकरण कर संरक्षित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि नामांकन, परीक्षा फार्म भरने, अंकपत्र और परीक्षा परिणाम आदि के ऑनलाइन होने से विश्वविद्यालय के कामकाज में जहां पारदर्शिता आएगी, वहीं छात्र-छात्राओं को भी सहूलियत होगी. पहले जहां छात्रों को हर काम के लिए विवि मुख्यालय की दौड़ लगानी पड़ती थी वहीं अब वे अपना काम घर बैठकर ऑनलाइन कर सकते हैं.
'यूनिवर्सिटी डिजिटल प्रोजेक्ट' को भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय की संस्था सीडीसी तकनीकी सहयोग प्रदान कर रही है. मोदी ने कहा, "शिक्षकों के वेतन के लिए राशि की कमी नहीं है. शिक्षा के लिए 32 हजार करोड़ का बजट है इनमें से करीब 22 हजार करोड़ प्राथमिक से लेकर कॉलेज, विवि के शिक्षकों के वेतन व पेंशन पर खर्च होता है. प्रक्रिया में जटिलता और विश्वविद्यालय द्वारा समय पर उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दिए जाने के चलते शिक्षकों को नियमित वेतन नहीं मिल पाता है." (आईएएनएस)
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