
नई दिल्ली:
स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने देश में एमफिल और पीएचडी पाठ्यक्रमों में दखिले की योग्यता और तरीके पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों के खिलाफ आज दिल्ली हाई कोर्ट का रूख किया. यह विषय मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति दीपा शर्मा की एक पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया, जिसने इस पर विचार करने के लिए इसे 18 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध कर दिया.
एसएफआई ने अपनी याचिका में यूजीसी (एमफिल एवं पीएचडी डिग्री प्रदान करने में न्यूनतम मानदंड एवं प्रकिया) नियमन 2016 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है. ये नियमन पांच जुलाई 2016 से प्रभाव में आए हैं. एसएफआई ने नियमन को अनुचित और मनमाना बताया तथा आरोप लगाया कि यह मौलिक अधिकार और राज्य के नीति निदेशक तत्वों के प्रतिकूल है.
एसएफआई के अलावा तीन छात्रों ने भी छात्र संगठन के साथ नियमों को चुनौती दी है. इन छात्रों में जेएनयू से एक और डीयू से दो छात्र शामिल हैं. छात्रों और एसएफआई ने दलील दी है कि नये नियमों के चलते 2017- 18 अकादमिक सत्र के लिए एमफिल और पीचडी की सीटों में भारी कटौती हुई है.
उनकी याचिका में कहा गया है कि पिछले अकादमिक सत्र में इन दोनों डिग्रियों के लिए 970 सीटों की तुलना में इस साल सीटें घट कर 102 हो गई हैं. गौरतलब है कि उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश की पीठ ने 17 मार्च को कुछ छात्रों की एक याचिका खारिज कर दी थी जिसमें यूजीसी के नियमों के आधार पर जेएनयू की 2017-18 दाखिला नीति को चुनौती दी गई थी. (एजेंसियों से इनपुट)
एसएफआई ने अपनी याचिका में यूजीसी (एमफिल एवं पीएचडी डिग्री प्रदान करने में न्यूनतम मानदंड एवं प्रकिया) नियमन 2016 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है. ये नियमन पांच जुलाई 2016 से प्रभाव में आए हैं. एसएफआई ने नियमन को अनुचित और मनमाना बताया तथा आरोप लगाया कि यह मौलिक अधिकार और राज्य के नीति निदेशक तत्वों के प्रतिकूल है.
एसएफआई के अलावा तीन छात्रों ने भी छात्र संगठन के साथ नियमों को चुनौती दी है. इन छात्रों में जेएनयू से एक और डीयू से दो छात्र शामिल हैं. छात्रों और एसएफआई ने दलील दी है कि नये नियमों के चलते 2017- 18 अकादमिक सत्र के लिए एमफिल और पीचडी की सीटों में भारी कटौती हुई है.
उनकी याचिका में कहा गया है कि पिछले अकादमिक सत्र में इन दोनों डिग्रियों के लिए 970 सीटों की तुलना में इस साल सीटें घट कर 102 हो गई हैं. गौरतलब है कि उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश की पीठ ने 17 मार्च को कुछ छात्रों की एक याचिका खारिज कर दी थी जिसमें यूजीसी के नियमों के आधार पर जेएनयू की 2017-18 दाखिला नीति को चुनौती दी गई थी. (एजेंसियों से इनपुट)