विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पीएचडी छात्रों के लिए पंजीकरण पूर्व पाठ्यक्रम की खातिर प्रकाशन नैतिकता और कदाचार के दो नए पाठ्यक्रमों का अध्ययन अनिवार्य बना दिया है. आयोग ने हाल ही में एक बैठक में यह फैसला किया. यूजीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आयोग ने अपनी हालिया बैठक में पंजीकरण पूर्व पाठ्यक्रम के लिए सभी पीएचडी छात्रों की खातिर प्रकाशन नैतिकता (पब्लिकेशन एथिक्स) और प्रकाशन कदाचार (पब्लिकेशन मिसकंडक्ट) के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए दो क्रेडिट कोर्स को मंजूरी दी.
बता दें कि मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा कराए गए ‘अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण' के मुताबिक देश में केवल 2.5 प्रतिशत कॉलेज पीएचडी कार्यक्रम संचालित करते हैं और सबसे ज्यादा विज्ञान वर्ग के छात्र पीएचडी के लिए नामांकन कराते हैं. देश में पीएचडी करने वाले छात्रों की संख्या 1,69,170 है, जो कुल पंजीकृत छात्रों का 0.5 प्रतिशत से भी कम है.
इस वार्षिक सर्वेक्षण के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों को तीन श्रेणियों में बांटा गया- विश्वविद्यालय, कॉलेज और स्वतंत्र संस्थान. वर्ष 2018-19 के सर्वेक्षण में कुल 962 विश्वविद्यालय, 38179 कॉलेज और 9190 स्वतंत्र संस्थान शामिल हुए. सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, “केवल 2.5 प्रतिशत कॉलेज पीएचडी कार्यक्रम संचालित करते हैं और 34.9 प्रतिशत कॉलेज परास्नातक स्तर तक के कार्यक्रम संचालित करते हैं.
पीएचडी स्तर पर सबसे ज्यादा छात्र विज्ञान वर्ग के हैं और इसके बाद इंजीनियरिंग तथा प्रौद्योगिकी वर्ग का स्थान है. दूसरी ओर परास्नातक स्तर पर सबसे अधिक छात्र सामाजिक विज्ञान वर्ग के हैं और इसके बाद प्रबंधन वर्ग का स्थान है.”
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