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This Article is From May 25, 2019

पहले स्टूडेंट मूवमेंट में सक्रिय रहे सैयद रियाज़ अहमद बने IAS अफसर

"रख हौसला वो मंजर भी आएगा, प्यासे के पास चलके समंदर भी आएगा, थककर न बैठ ए मंजिल के मुसाफिर, मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आएगा.”

पहले स्टूडेंट मूवमेंट में सक्रिय रहे सैयद रियाज़ अहमद बने IAS अफसर
सैयद रियाज़ अहमद यूपीएससी में चयनित होकर आईएएस अधिकारी बन गए हैं.
नई दिल्ली:

हर जीवन की कहानी एक सी नहीं होती, लेकिन किसी मोड़ पर कुछ ऐसा होता है जिससे पूरी कहानी बदल जाती है. हम बात कर रहे हैं इस बार की सिविल परीक्षा में 261 रैंक लाकर आईएएस बनने वाले सैयद रियाज़ अहमद की. उन्होंने एनडीटीवी से अपनी बातचीत के दौरान कुछ ऐसे अनछुए पहलुओं की बात की जो न सिर्फ आने वाली पीढ़ी को संघर्ष की सीख देते हैं बल्कि कामयाबी का एक रास्ता भी दिखाते हैं. महाराष्ट्र के रहने सैयद रियाज एक साधारण परिवार से आते हैं, तीसरी क्लास तक पढ़े पिताजी सरकारी नौकरी में हैं और मां सातवी क्लास तक पढ़ी हैं. पिता का सपना था कि बेटा आईएएस बने. पिता ने कहा बेटा आखिरी कोशिश कर लेना वरना ज़िन्दगी के अगले मोड़ पर कहीं ऐसा न लगे कि सपना, सपना ही रह गया. रियाज़ का कहना है कि वालिद की बातें उसके कानो में गूंजती रहीं और ये सपना हकीकत में बदल गया.

ग्रेजुएशन के दौरान सैयद रियाज पर नेतागिरी करने का जुनून सवार हो गया लेकिन पिता का सपना भारी पड़ा और उसे पूरा करने में जुट गए. पहली दो कोशिशों में वे पीटी में सफलता हासिल नहीं कर सके, तीसरी बार वे इंटरव्यू तक पहुंचे. किस्मत ने साथ नहीं दिया और हद तो तब हो गई जब चौथी बार वे मेन की परीक्षा ही पास नहीं कर सके.

तब तक मुश्किलों का दौर शुरू हो चुका था नाते रिश्तेदार ताने देने लगे और कहने लगे कि उम्र निकल रही है लड़के की शादी करा दो. लेकिन पिता का हौसला पहाड़ से बड़ा था उन्होंने कहा कि मैं अपना घर बेच दूंगा लेकिन बेटे की पढ़ाई में बाधा नहीं आनी चाहिए.

अपनी कड़ी मेहनत के दम पर इस बीच सैयद रियाज का सिलेक्शन महाराष्ट्र फॉरेस्ट सर्विस में हो गया जो एक बड़ी राहत की बात थी कि अब वे कम से कम आर्थिक तौर पर आजाद हो गए. इस दौरान उन्होंने सिविल सर्विसेज को लेकर अपना पांचवा प्रयास किया और आखिरकार अपनी मंजिल हासिल करने में कामयाब रहे. नतीजों के बाद जब उन्होंने अपने पिता को फोन किया तो दो मिनट तक फोन पर कुछ कह नहीं पाए फिर होठों से यहीं निकला कि सपना पूरा हो गया.

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खास बात ये रही कि रियाज ने इसके लिए कभी कोई कोचिंग नहीं की. शुरुआती दौर में उन्होंने महाराष्ट्र में कुछ दिनों के लिए गाइडेंस जरूर ली थी फिर वे जामिया मिलिया के सेल्फ स्टडी ग्रुप में शामिल हो गए जहां पढ़ाई लिखाई का एक बेहतर माहौल मिला. उन्होंने ऑप्शनल सब्जेक्ट के तौर पर एंथ्रोपोलॉजी का चयन किया था जिसमें उन्हें 306 नंबर आए हैं.

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आज सैयाद रियाज अपने समाज के नौजवानों के लिए एक रोल मॉडल हैं. कामयाबी का वो चिराग आने वाले दिनों में दूसरों को राह दिखाता रहेगा. रियाज़ ने यूपीएससी में भाग लेने वाले छात्रों से अपील की है कि वे हिम्मत न हारें क्योंकि उनकी मंज़िल उनका इंतज़ार कर रही है.

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