नई दिल्ली:
प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों से किताबों से भरा बस्ता (बैग) उठता नहीं है, उनकी सांस फूल जाती है, यह बोझ उनके जीवन पर कितना असर डालता होगा, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। क्या वाकई बच्चों को इतनी किताबें (विषय) पढ़ाई जानी चाहिए? राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की इस पर साफ राय है कि पहली से पांचवीं तक के बच्चों को चार विषय की किताबें ही पढ़ाई जानी चाहिए।
सूचना के अधिकार के तहत प्राथमिक कक्षाओं में किताबें पढ़ाने के संदर्भ में मांगी गई जानकारी के जवाब में एनसीआरटीई ने बताया है कि पहली और दूसरी कक्षा में गणित, भाषा (मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा) और अंग्रेजी (वैकल्पिक) विषय की किताबें पढ़ाई जानी चाहिए। इसका आशय साफ है कि इन दो कक्षाओं में तीन विषय ही पढ़ाए जाने चाहिए। एनसीईआरटी के जवाब में आगे कहा गया है कि कक्षा तीसरी से पांचवीं तक गणित, भाषा (मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा), अंग्रेजी (वैकल्पिक) और पर्यावरण अध्ययन विषय पढ़ाए जाने चाहिए, यानी तीसरी से पांचवीं तक के पाठ्यक्रम में अधिकतम चार विषय ही होने चाहिए।
इसके अलावा एनसीईआरटीई ने अपने जवाब में विद्यालयों में चलाए जाने वाले विषयों और भाषा का चयन राज्यों के लिए ऐच्छिक रखा है। सूचना के अधिकार के कार्यकर्ता और मध्यप्रदेश के नीमच जिले के निवासी चंद्रशेखर गौड़ मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रारंभिक शिक्षा एवं साक्षरता विभाग से जानना चाहते थे कि देश में नेशनल कूरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ ) के अनुसार पहली से आठवीं तक के बच्चों को कौन-कौन से विषय की किताबें पढ़ाई जा सकती हैं।
एनसीईआरटीई ने 28 दिसंबर, 2015 को जवाब भेजा। इस जवाब पर गौड़ ने कहा है कि प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों के लिए शायद ऐसी अनुशंसा एनसीएफ के विशेषज्ञों ने कक्षा पहली से पांचवीं तक के बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक स्तर को देखते हुए ही की होगी। उन्होंने कहा कि यदि ईमानदारी से एनसीएफ की अनुशंसा देशभर के कम से कम सीबीएसई स्कूलों में ही लागू हो जाए तो बच्चों को बोझ और अभिभावकों को शोषण से बचाया जा सकता है।
सूचना के अधिकार के तहत प्राथमिक कक्षाओं में किताबें पढ़ाने के संदर्भ में मांगी गई जानकारी के जवाब में एनसीआरटीई ने बताया है कि पहली और दूसरी कक्षा में गणित, भाषा (मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा) और अंग्रेजी (वैकल्पिक) विषय की किताबें पढ़ाई जानी चाहिए। इसका आशय साफ है कि इन दो कक्षाओं में तीन विषय ही पढ़ाए जाने चाहिए। एनसीईआरटी के जवाब में आगे कहा गया है कि कक्षा तीसरी से पांचवीं तक गणित, भाषा (मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा), अंग्रेजी (वैकल्पिक) और पर्यावरण अध्ययन विषय पढ़ाए जाने चाहिए, यानी तीसरी से पांचवीं तक के पाठ्यक्रम में अधिकतम चार विषय ही होने चाहिए।
इसके अलावा एनसीईआरटीई ने अपने जवाब में विद्यालयों में चलाए जाने वाले विषयों और भाषा का चयन राज्यों के लिए ऐच्छिक रखा है। सूचना के अधिकार के कार्यकर्ता और मध्यप्रदेश के नीमच जिले के निवासी चंद्रशेखर गौड़ मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रारंभिक शिक्षा एवं साक्षरता विभाग से जानना चाहते थे कि देश में नेशनल कूरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ ) के अनुसार पहली से आठवीं तक के बच्चों को कौन-कौन से विषय की किताबें पढ़ाई जा सकती हैं।
एनसीईआरटीई ने 28 दिसंबर, 2015 को जवाब भेजा। इस जवाब पर गौड़ ने कहा है कि प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों के लिए शायद ऐसी अनुशंसा एनसीएफ के विशेषज्ञों ने कक्षा पहली से पांचवीं तक के बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक स्तर को देखते हुए ही की होगी। उन्होंने कहा कि यदि ईमानदारी से एनसीएफ की अनुशंसा देशभर के कम से कम सीबीएसई स्कूलों में ही लागू हो जाए तो बच्चों को बोझ और अभिभावकों को शोषण से बचाया जा सकता है।
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