सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे लोगों के लिए खुशखबरी। केंद्र ने सरकारी सेवाओं में नियुक्ति से पहले उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि और चरित्र की जांच की नीति में बदलाव लाने का फैसला किया है। प्रस्ताव के मुताबिक, उम्मीदवारों की पुलिस जांच तो कराई जाएगी लेकिन इस जांच के लंबित रहने के दौरान उनके नियुक्ति पत्र को रोक कर नहीं रखा जाएगा।
प्रस्तावित नीति के लागू होने पर सफल उम्मीदवारों को अपनी पृष्ठभूमि और चरित्र के बारे में सरकार को खुद ही जानकारी देनी होगी। ऐसा करने पर सरकार उन्हें अस्थायी नियुक्ति-पत्र जारी करेगी। बहरहाल, पुलिस जांच में सब कुछ ठीक पाए जाने के बाद ही उम्मीदवारों की औपचारिक नियुक्ति का आदेश जारी किया जाएगा। इससे रिश्वतखोरी में भी कमी आने की संभावना है।
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) जैसी भर्ती संस्थाओं की ओर से संचालित पारदर्शी चयन प्रक्रिया के जरिए भारत सरकार में ग्रुप ए, बी, सी और डी समूह के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की भर्ती की जाती है ।
इन संस्थाओं की ओर से सफल उम्मीदवारों की सूची की अनुशंसा कर दिए जाने के बाद नियुक्ति करने वाली संस्थाएं उम्मीदवारों की औपचारिक नियुक्ति का आदेश जारी करने से पहले उनके चरित्र एवं पृष्ठभूमि की जांच कराती हैं ।
पुलिस जांच लंबित होने के चलते नहीं रोके जाएंगे अपॉइंटमेंट लेटर
घोषित प्रस्तावित नीति में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने कहा, ‘‘एक सामान्य नीति के तौर पर प्रस्ताव किया गया है कि पुलिस जांच कराई जाएगी। लेकिन पुलिस जांच लंबित होने की वजह से नियुक्ति पत्रों को रोक कर नहीं रखा जाएगा। उम्मीदवार की ओर से घोषित किए गए दस्तावेज प्राप्त करने के बाद नियुक्ति करने वाली संस्थाएं उन्हें अस्थायी नियुक्ति पत्र जारी करेंगी।’’
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब सरकार ने पुलिस जांच की प्रक्रिया में कई खामियां पाई। पुलिस जांच में दो से छह महीने का वक्त भी लग जाता है। इससे नियुक्ति आदेश जारी किए जाने में देरी और इसकी वजह से खाली पदों को भरने में देरी होती है
प्रस्तावित नीति के लागू होने पर सफल उम्मीदवारों को अपनी पृष्ठभूमि और चरित्र के बारे में सरकार को खुद ही जानकारी देनी होगी। ऐसा करने पर सरकार उन्हें अस्थायी नियुक्ति-पत्र जारी करेगी। बहरहाल, पुलिस जांच में सब कुछ ठीक पाए जाने के बाद ही उम्मीदवारों की औपचारिक नियुक्ति का आदेश जारी किया जाएगा। इससे रिश्वतखोरी में भी कमी आने की संभावना है।
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) जैसी भर्ती संस्थाओं की ओर से संचालित पारदर्शी चयन प्रक्रिया के जरिए भारत सरकार में ग्रुप ए, बी, सी और डी समूह के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की भर्ती की जाती है ।
इन संस्थाओं की ओर से सफल उम्मीदवारों की सूची की अनुशंसा कर दिए जाने के बाद नियुक्ति करने वाली संस्थाएं उम्मीदवारों की औपचारिक नियुक्ति का आदेश जारी करने से पहले उनके चरित्र एवं पृष्ठभूमि की जांच कराती हैं ।
पुलिस जांच लंबित होने के चलते नहीं रोके जाएंगे अपॉइंटमेंट लेटर
घोषित प्रस्तावित नीति में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने कहा, ‘‘एक सामान्य नीति के तौर पर प्रस्ताव किया गया है कि पुलिस जांच कराई जाएगी। लेकिन पुलिस जांच लंबित होने की वजह से नियुक्ति पत्रों को रोक कर नहीं रखा जाएगा। उम्मीदवार की ओर से घोषित किए गए दस्तावेज प्राप्त करने के बाद नियुक्ति करने वाली संस्थाएं उन्हें अस्थायी नियुक्ति पत्र जारी करेंगी।’’
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब सरकार ने पुलिस जांच की प्रक्रिया में कई खामियां पाई। पुलिस जांच में दो से छह महीने का वक्त भी लग जाता है। इससे नियुक्ति आदेश जारी किए जाने में देरी और इसकी वजह से खाली पदों को भरने में देरी होती है
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं