1 जनवरी से शुरू होगी नर्सरी में दाखिले की प्रक्रिया (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और वंचित समूह श्रेणी में प्रवेश ऑनलाइन करने के दिल्ली सरकार के कदम पर अभिभावकों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया की व्यवहार्यता को लेकर चिंता जतायी है।
यद्यपि शिक्षा निदेशालय (डीओई) का कहना है कि इस श्रेणी के अभिभावकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन यह प्रक्रिया भ्रष्टाचार एवं फर्जी प्रवेश रोकेगी।
डीओई ने मंगलवार को निजी स्कूलों में इन दोनों श्रेणियों के तहत प्रवेश स्तर की कक्षाओं में प्रवेश कार्यक्रम अधिसूचित कर दिया था।
निदेशालय ने स्पष्ट किया कि दिल्ली स्कूल शिक्षा कानून एवं नियम (डीएसईएआर), 1973 के तहत मान्यता प्राप्त स्कूल ही ऑनलाइन प्रक्रिया का हिस्सा होंगे और शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के तहत मान्यता प्राप्त स्कूल या स्थानीय प्रशासन द्वारा नियमित स्कूल पहले की तरह ही प्रवेश जारी रखेंगे।
‘नये दिशानिर्देश से फैलेगा भ्रम'
सोशल जूरिस्ट के खगेश झा ने कहा, ‘‘नये दिशानिर्देश से और अधिक भ्रम उत्पन्न होना तय है। अब एक ही क्षेत्र में दो श्रेणी के स्कूल होंगे, एक ऑनलाइन और दूसरा ऑफलाइन। इन श्रेणियों के अभिभावकों से यह अपेक्षा कैसे की गई है कि वे इस बारे में इतना गृहकार्य करेंगे कि कौन सा स्कूल किस श्रेणी में है और उसके अनुसार दौड़ते रहें।’’ निदेशालय अधिकारियों ने कहा कि वह अपनी वेबसाइट पर स्कूलों के नामों की सूची लाएगा जो इन श्रेणियों के तहत मान्यता प्राप्त हैं।
'ऑनलाइन एप्लाई ना कर सकने वालों के लिए कोई ऑप्शन नहीं'
नर्सरी प्रवेश के लिए एक पोर्टल चलाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सुमित वोहरा ने कहा, ‘‘उन लोगों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं जो ऑनलाइन आवेदन नहीं कर सकते। ईडब्ल्यूएस वर्ग के बहुसंख्यक अभिभावक कंप्यूटर की जानकारी नहीं रखते है। इसके अलावा कुछ स्कूल आनलाइन आवेदन की जरूरत का उल्लेख करते हुए अभिभावकों को लौटा सकते हैं।’’
अभिभावक स्तुति बिंद्रा ने कहा, ‘‘मेरी घरेलू सहायिका इस श्रेणी के तहत अपने बच्चे का प्रवेश कराना चाहती है और उसे ऑनलाइन व्यवस्था के साथ ही बतायी गई इन दो श्रेणियों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। मैं उसके लिए कर सकती हूं लेकिन इस श्रेणी के तहत आने वाले कितने अभिभावकों को ऐसी मदद मिल सकेगी?’’
यद्यपि शिक्षा निदेशालय (डीओई) का कहना है कि इस श्रेणी के अभिभावकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन यह प्रक्रिया भ्रष्टाचार एवं फर्जी प्रवेश रोकेगी।
डीओई ने मंगलवार को निजी स्कूलों में इन दोनों श्रेणियों के तहत प्रवेश स्तर की कक्षाओं में प्रवेश कार्यक्रम अधिसूचित कर दिया था।
निदेशालय ने स्पष्ट किया कि दिल्ली स्कूल शिक्षा कानून एवं नियम (डीएसईएआर), 1973 के तहत मान्यता प्राप्त स्कूल ही ऑनलाइन प्रक्रिया का हिस्सा होंगे और शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के तहत मान्यता प्राप्त स्कूल या स्थानीय प्रशासन द्वारा नियमित स्कूल पहले की तरह ही प्रवेश जारी रखेंगे।
‘नये दिशानिर्देश से फैलेगा भ्रम'
सोशल जूरिस्ट के खगेश झा ने कहा, ‘‘नये दिशानिर्देश से और अधिक भ्रम उत्पन्न होना तय है। अब एक ही क्षेत्र में दो श्रेणी के स्कूल होंगे, एक ऑनलाइन और दूसरा ऑफलाइन। इन श्रेणियों के अभिभावकों से यह अपेक्षा कैसे की गई है कि वे इस बारे में इतना गृहकार्य करेंगे कि कौन सा स्कूल किस श्रेणी में है और उसके अनुसार दौड़ते रहें।’’ निदेशालय अधिकारियों ने कहा कि वह अपनी वेबसाइट पर स्कूलों के नामों की सूची लाएगा जो इन श्रेणियों के तहत मान्यता प्राप्त हैं।
'ऑनलाइन एप्लाई ना कर सकने वालों के लिए कोई ऑप्शन नहीं'
नर्सरी प्रवेश के लिए एक पोर्टल चलाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सुमित वोहरा ने कहा, ‘‘उन लोगों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं जो ऑनलाइन आवेदन नहीं कर सकते। ईडब्ल्यूएस वर्ग के बहुसंख्यक अभिभावक कंप्यूटर की जानकारी नहीं रखते है। इसके अलावा कुछ स्कूल आनलाइन आवेदन की जरूरत का उल्लेख करते हुए अभिभावकों को लौटा सकते हैं।’’
अभिभावक स्तुति बिंद्रा ने कहा, ‘‘मेरी घरेलू सहायिका इस श्रेणी के तहत अपने बच्चे का प्रवेश कराना चाहती है और उसे ऑनलाइन व्यवस्था के साथ ही बतायी गई इन दो श्रेणियों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। मैं उसके लिए कर सकती हूं लेकिन इस श्रेणी के तहत आने वाले कितने अभिभावकों को ऐसी मदद मिल सकेगी?’’
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