हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) की आज पुण्यतिथि हैं. ध्यानचंद हॉकी के सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक थे. ध्यानचंद (Dhyan Chand) को लोग प्यार से दद्दा कहकर संबोधित करते थे. मेजर ध्यानचंद ने भारत को ओलंपिक में 3 स्वर्ण पदक दिलवाए थे. ध्यानचंद (Dhyan Chand) का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में हुआ था. उन्होंने 42 वर्ष की आयु तक हॉकी खेला और साल 1948 में हॉकी से संन्यास ले लिया था. कैंसर के चलते साल 1979 में मेजर ध्यानचंद का निधन हो गया था. आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर हम आपको उनके जीवन से जुड़ी 8 खास बातें बता रहे हैं.
मेजर ध्यानचंद से जुड़ी 8 बातें
मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद शहर में था. उनके छोटे भाई रूपसिंह ने भी हॉकी में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया. ध्यानचंद की गिनती विश्व के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में होती है.
ध्यानचंद ने एम्सटर्डम में हुए ओलम्पिक खेलों में भारत की ओर से सबसे ज्यादा 14 गोल किए थे. उन्होंने भारत को 3 ओलम्पिक खेलों में गोल्ड दिलाया था.
ध्यानचंद को 'हॉकी का जादूगर' कहा जाता है. उन्होंने अपने इंटरनेशनल करियर में 400 से ज्यादा गोल किए थे.
भारत और जर्मनी के बीच मैच के दौरान बारिश हुई थी तो मैदान गीला था और बिना स्पाइक वाले रबड़ के जूते लगातार फिसल रहे थे, ऐसे में ध्यानचंद ने हाफ टाइम के बाद जूते उतार कर नंगे पांव खेलना शुरू किया. नंगे पांव खेलते हुए ध्यानचंद ने कई बेहतरीन गोल दागे. इस मैच में भारत ने 8-1 से जर्मनी को हराया था
बर्लिन ओलंपिक में ध्यानचंद भारतीय हॉकी टीम के कप्तान थे. ध्यानचंद के जबरदस्त प्रदर्शन के दम पर भारत ने जर्मनी को हराया था. ध्यानचंद के खेल से प्रभावित होकर हिटलर ने उन्हें जर्मन सेना में शामिल शामिल होने और एक बड़ा पद देने की पेशकश की थी, लेकिन देश प्रेम के चलते ध्यानचंद ने विनम्रता से इस ऑफर को ठुकरा दिया.
नीदरलैंड में खेल अधिकारियों को ध्यानचंद की हॉकी स्टिक में चुंबक होने की आशंका नजर आई, जिसके बाद उन्होंने इसे तोड़ा और फिर इसकी जांच की लेकिन उन्हें ऐसा कुछ नहीं मिला था.
1956 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है.
ध्यानचंद के नाम पर ही 'ध्यानचंद पुरस्कार' दिया जाता है. यह सर्वोत्त्म खेल पुरस्कार है जो किसी खिलाडी के जीवन भर के कार्य को गौरवान्वित करता है.