जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू)
नयी दिल्ली:
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) अपने आगामी सत्र के एमफिल और पीएचडी कोर्स के प्रवेश परीक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उम्मीदवारों को किसी तरह की छूट नहीं देगा लेकिन उन्हें पात्रता मापदंड में पांच अंक की छूट दी जायेगी।
पिछले सप्ताह विश्वविद्यालय की स्थायी समिति की बैठक में इस आशय का निर्णय लिया गया जिसमें विभिन्न विद्यालयों के डीन ने हिस्सा लिया।
अब तक विभिन्न कोर्सों में नामांकन के लिए विश्वविद्यालय में ओबीसी और सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए समान पात्रता मापदंड थे। उन्हें पात्रता परीक्षा में न्यूनतम 55 प्रतिशत अंक हासिल करने की जरूरत होती थी।
हालांकि अनुसूचित जाति-जनजाति के उम्मीदवारों को छूट दी जाती है और उन्हें पात्रता परीक्षा में केवल 34 प्रतिशत अंक हासिल करने की आवश्यकता होती है।
विश्वविद्यालय हालांकि ओबीसी उम्मीदवारों को प्रवेश परीक्षा या साक्षात्कार के चरण में दस प्रतिशत की छूट देता था।
ओबीसी छात्र लंबे समय से दोनों चरणों में छूट की मांग करते रहे हैं। पिछले वर्ष जेएनयू द्वारा प्रवेश देने से इंकार किये जाने पर एक छात्र विश्वविद्यालय के फैसले को चुनौती देने के लिए अदालत गया था। उस मामले में प्रवेश परीक्षा में छात्र ने दूसरा स्थान हासिल किया था लेकिन पात्रता मापदंड को पूरा नहीं कर पाया था।
एक सूत्र ने कहा, ‘‘दोनों चरणों में छूट दिया जाना अनुचित होगा और इसलिए निर्णय लिया गया है कि ओबीसी उम्मीदवारों को अहर्ता में छूट दी जायेगी लेकिन प्रवेश परीक्षा या साक्षात्कार में उन्हें सामान्य वर्ग के छात्रों के साथ प्रतियोगिता करनी होगी।’’
पिछले सप्ताह विश्वविद्यालय की स्थायी समिति की बैठक में इस आशय का निर्णय लिया गया जिसमें विभिन्न विद्यालयों के डीन ने हिस्सा लिया।
अब तक विभिन्न कोर्सों में नामांकन के लिए विश्वविद्यालय में ओबीसी और सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए समान पात्रता मापदंड थे। उन्हें पात्रता परीक्षा में न्यूनतम 55 प्रतिशत अंक हासिल करने की जरूरत होती थी।
हालांकि अनुसूचित जाति-जनजाति के उम्मीदवारों को छूट दी जाती है और उन्हें पात्रता परीक्षा में केवल 34 प्रतिशत अंक हासिल करने की आवश्यकता होती है।
विश्वविद्यालय हालांकि ओबीसी उम्मीदवारों को प्रवेश परीक्षा या साक्षात्कार के चरण में दस प्रतिशत की छूट देता था।
ओबीसी छात्र लंबे समय से दोनों चरणों में छूट की मांग करते रहे हैं। पिछले वर्ष जेएनयू द्वारा प्रवेश देने से इंकार किये जाने पर एक छात्र विश्वविद्यालय के फैसले को चुनौती देने के लिए अदालत गया था। उस मामले में प्रवेश परीक्षा में छात्र ने दूसरा स्थान हासिल किया था लेकिन पात्रता मापदंड को पूरा नहीं कर पाया था।
एक सूत्र ने कहा, ‘‘दोनों चरणों में छूट दिया जाना अनुचित होगा और इसलिए निर्णय लिया गया है कि ओबीसी उम्मीदवारों को अहर्ता में छूट दी जायेगी लेकिन प्रवेश परीक्षा या साक्षात्कार में उन्हें सामान्य वर्ग के छात्रों के साथ प्रतियोगिता करनी होगी।’’
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