अगर आप वर्ल्ड के टॉप बिजनेस स्कूलों में एडमिशन लेने का ख्वाब संजो रहे हैं तो जीमैट (Graduate Management Admission Test - GMAT) और जीआरई (Graduate Record Examination - GRE) के जरिए आप अपना यह सपना साकार कर सकते हैं। बहुत से छात्र जीमैट और जीआरई की अहमियत और मान्यता को लेकर कंफ्यूज रहते हैं। दरअसल जीमैट एक इंटरनेशनल लेवल का टेस्ट है जिसे देकर आप दुनिया के प्रतिष्ठित बिजनेस स्कूलों के एमबीए, मास्टर ऑफ अकाउंटेंसी और मास्टर ऑफ फाइनेंस जैसे मैनेजमेंट कोर्सेज में एडमिशन ले सकते हैं।
वहीं जीआरई एक जनरल एप्टीट्यूड टेस्ट है जिसके जरिए सभी पोस्ट ग्रेजुएट और डॉक्टोरल प्रोग्राम में एडमिशन लिया जा सकता है। ज्यादातर छात्र, जो कि विदेश से एमबीए करना चाहते हैं, जीमैट परीक्षा ही देते हैं। जीमैट एमबीए के लिए एक स्पेशलाइज्ड टेस्ट है।
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जीमैट और जीआरई दोनों ही एक तरह से एप्टीट्यूड टेस्ट है। लेकिन इन दोनों परीक्षाओं की प्रकृति और सामग्री अलग-अलग होती है। जीमैट टेस्ट का स्कोर 5 साल के लिए मान्य रहता है। साल में किसी भी समय आप www.mba.com पर जाकर इसके लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। दुनिया भर में इसके 600 टेस्ट सेंटर हैं।
ब्रिटेन और अमेरिका में जीआरई का बढ़ता चलन
कुछ सर्वेक्षणों के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में मैनेजमेंट कोर्सेज के लिए जीआरई देने वाले छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है। ब्रिटेन और अमेरिका में बड़ी तादाद में बी-स्कूल जीआरई में प्राप्तांकों के आधार पर ही दाखिला दे रहे हैं।
जीमैट को Graduate Management Admission Council - GMAC आयोजित करती है जबकि जीआरई को Educational Testing Service - ETS
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वैसे तो इन परीक्षाओं को ग्रजेुएट उम्मीदवार बैठ सकते हैं लेकिन विभिन्न संस्थानों का चयन का तरीका एक-दूसरे से अलग हो सकता है। एक साल में 5 बार जीमैट दिया जा सकता है। दो प्रयासों के बीच में 16 दिन का अंतराल होना जरूरी है।
जीमैट का स्कोर 82 देशों के करीब 1600 संस्थान स्वीकार कर रहे हैं। भारत के 90 से ज्यादा बी-स्कूल जीमैट स्कोर के आधार पर एडमिशन देते हैं।
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वैसे तो जीआरई कंप्यूटर और पेपर-बेस्ड दोनों फॉरमेट में करवाया जाता है लेकिन भारत में यह सिर्फ कंप्यूटर बेस्ड फॉरमेट में ही होता है। दुनिया भर के 1200 से ज्यादा संस्थान इस टेस्ट के स्कोर को स्वीकार करते हैं।
जीमैट की तरह जीआरई भी साल में कभी भी दिया जा सकता है। इसे भी साल में अधिकतम पांच बार दिया जा सकता है। दो प्रयासों में कम से कम 21 दिन का गैप जरूरी हो। इसके लिए आप www.ets.org/gre पर लॉग इन करें।
वहीं जीआरई एक जनरल एप्टीट्यूड टेस्ट है जिसके जरिए सभी पोस्ट ग्रेजुएट और डॉक्टोरल प्रोग्राम में एडमिशन लिया जा सकता है। ज्यादातर छात्र, जो कि विदेश से एमबीए करना चाहते हैं, जीमैट परीक्षा ही देते हैं। जीमैट एमबीए के लिए एक स्पेशलाइज्ड टेस्ट है।
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ब्रिटेन और अमेरिका में जीआरई का बढ़ता चलन
कुछ सर्वेक्षणों के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में मैनेजमेंट कोर्सेज के लिए जीआरई देने वाले छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है। ब्रिटेन और अमेरिका में बड़ी तादाद में बी-स्कूल जीआरई में प्राप्तांकों के आधार पर ही दाखिला दे रहे हैं।
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वैसे तो इन परीक्षाओं को ग्रजेुएट उम्मीदवार बैठ सकते हैं लेकिन विभिन्न संस्थानों का चयन का तरीका एक-दूसरे से अलग हो सकता है। एक साल में 5 बार जीमैट दिया जा सकता है। दो प्रयासों के बीच में 16 दिन का अंतराल होना जरूरी है।
जीमैट का स्कोर 82 देशों के करीब 1600 संस्थान स्वीकार कर रहे हैं। भारत के 90 से ज्यादा बी-स्कूल जीमैट स्कोर के आधार पर एडमिशन देते हैं।
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वैसे तो जीआरई कंप्यूटर और पेपर-बेस्ड दोनों फॉरमेट में करवाया जाता है लेकिन भारत में यह सिर्फ कंप्यूटर बेस्ड फॉरमेट में ही होता है। दुनिया भर के 1200 से ज्यादा संस्थान इस टेस्ट के स्कोर को स्वीकार करते हैं।
जीमैट की तरह जीआरई भी साल में कभी भी दिया जा सकता है। इसे भी साल में अधिकतम पांच बार दिया जा सकता है। दो प्रयासों में कम से कम 21 दिन का गैप जरूरी हो। इसके लिए आप www.ets.org/gre पर लॉग इन करें।
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