नई दिल्ली:
दिल्ली सरकार द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले हर दिव्यांग बच्चे की ओर अब व्यक्तिगत रूप से ध्यान दिया जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि आप सरकार ने विशेष शिक्षकों से वैयक्तिक शिक्षण कार्यक्रम (आईईपी) तैयार करने को कहा है।
शिक्षा निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, सरकार द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों में नियुक्त विशेष शिक्षकों से उनके यहां मौजूद हर एक दिव्यांग बच्चे के लिए वैयक्तिक शिक्षण कार्यक्रम तैयार करने को कहा है। आईईपी में शिक्षण प्रक्रिया से संबंधित दिशा-निर्देश भी शामिल होंगे। दिल्ली सरकार के स्कूलों में फिलहाल लगभग 20,000 दिव्यांग बच्चे पंजीकृत हैं।
अधिकारी ने बताया, विशेष शिक्षकों को 15 दिन के भीतर विशेष जरूरतों वाले हर बच्चे (सीडब्ल्यूएसएन) के लिए आईईपी तैयार करने के लिए कहा गया है। इसके प्रारूप में मूलभूत जरूरतों से लेकर पाठ से इतर गतिविधियों तक सब कुछ शामिल होना चाहिए।
उन्होंने कहा, जरूरत के हिसाब से शिक्षक किसी बच्चे से संबंधित प्रारूप में बदलाव कर सकते हैं। शिक्षक इसमें न केवल उनकी विशेष जरूरत का उल्लेख करेंगे बल्कि अन्य परिस्थितियों को भी इसमें दर्ज करेंगे जैसे वो कौन सी भाषा बोलता है और उसे कौन सी अन्य सेवाओं की जरूरत है मसलन क्या बच्चे को फिजियोथेरेपी दी जानी चाहिए। समस्याओं को पहचान कर शिक्षक हर बच्चे के लिए कम अवधि और दीर्घकालीक लक्ष्यों को तय करेंगे।
निदेशालय ने विशेष जरूरतों वाले बच्चों के लिए काम करने वाले विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर सात कार्यकारी समूह बनाए हैं। ये समूह विशेष शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम, सीखने में होने वाली दिक्कतों के मापन, बदलते प्रशासनिक ढांचे, विशेषज्ञों की सीधी भर्ती, शिक्षण संबंधी सहायता और गंभीर रूप से अक्षम बच्चों को विशेष मदद देने के लिए क्षेत्रीय केंद्रों के लिए काम करेंगे।
शिक्षा निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, सरकार द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों में नियुक्त विशेष शिक्षकों से उनके यहां मौजूद हर एक दिव्यांग बच्चे के लिए वैयक्तिक शिक्षण कार्यक्रम तैयार करने को कहा है। आईईपी में शिक्षण प्रक्रिया से संबंधित दिशा-निर्देश भी शामिल होंगे। दिल्ली सरकार के स्कूलों में फिलहाल लगभग 20,000 दिव्यांग बच्चे पंजीकृत हैं।
अधिकारी ने बताया, विशेष शिक्षकों को 15 दिन के भीतर विशेष जरूरतों वाले हर बच्चे (सीडब्ल्यूएसएन) के लिए आईईपी तैयार करने के लिए कहा गया है। इसके प्रारूप में मूलभूत जरूरतों से लेकर पाठ से इतर गतिविधियों तक सब कुछ शामिल होना चाहिए।
उन्होंने कहा, जरूरत के हिसाब से शिक्षक किसी बच्चे से संबंधित प्रारूप में बदलाव कर सकते हैं। शिक्षक इसमें न केवल उनकी विशेष जरूरत का उल्लेख करेंगे बल्कि अन्य परिस्थितियों को भी इसमें दर्ज करेंगे जैसे वो कौन सी भाषा बोलता है और उसे कौन सी अन्य सेवाओं की जरूरत है मसलन क्या बच्चे को फिजियोथेरेपी दी जानी चाहिए। समस्याओं को पहचान कर शिक्षक हर बच्चे के लिए कम अवधि और दीर्घकालीक लक्ष्यों को तय करेंगे।
निदेशालय ने विशेष जरूरतों वाले बच्चों के लिए काम करने वाले विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर सात कार्यकारी समूह बनाए हैं। ये समूह विशेष शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम, सीखने में होने वाली दिक्कतों के मापन, बदलते प्रशासनिक ढांचे, विशेषज्ञों की सीधी भर्ती, शिक्षण संबंधी सहायता और गंभीर रूप से अक्षम बच्चों को विशेष मदद देने के लिए क्षेत्रीय केंद्रों के लिए काम करेंगे।
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