केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Central Board of Secondary Education) ने बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूलों को 'एंगर फ्री जोन' बनने के लिए एडवाइजरी जारी की है. एडवाजरी में कहा गया है कि शिक्षक, अभिभावक, स्कूल प्रशासन कर्मी सभी अपने गुस्से पर काबू रखेंगे और स्टूडेंट्स के सामने मिसाल पेश करेंगे कि गुस्से पर काबू किस तरह रखा जाता है. बोर्ड का मानना है कि इससे स्टूडेंट्स मानसिक तौर पर सक्रिय रहेंगे और भावनात्मक तौर पर भी स्वस्थ होंगे. इससे छात्र खुशी-खुशी घर लौटेंगे और अगले दिन खुशी से स्कूल आना चाहेंगे.बता दें कि बोर्ड ने "जॉयपफुल एजुकेशन एंड होलिस्टिक फिटनेस" के तहत ये पहल की है. बोर्ड द्वारा दिए गए सुझावों में दिन भर मोबाइल फोन में न लगे रहने और गहरी लंबी सांस लेने जैसे सुझाव दिए गए हैं. बोर्ड ने स्कूलों को कहा है कि 'एंगर फ्री जोन' बनने के संबंध में स्कूल अपने अनुभव सोशल मीडिया पर शेयर करें. इसके लिए "cbsenoanger"हैशटैग इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है.
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सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी का कहना है, "एंगर फ्री जोन में हर कोई अपने गुस्से पर काबू रखने की कोशिश करेगा. भले ही वे शिक्षक हों या अभिभावक हों. छात्र के आगे अगर मिसाल कायम करनी है तो इसके लिए खुद पहले अमल करना होगा." त्रिपाठी ने कहा कि स्कूल को एंगर फ्री जोन बनाने से छात्र में प्रभावी कौशल विकसित होगा. साथ ही गुस्से के चलते होने वाली डर और दुर्भावना भी दूर होगी.
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बोर्ड ने स्कूलों को कहा कि वे स्कूल के कैंपस में एंगर फ्री जोन का बोर्ड भी लगाएं. त्रिपाठी ने कहा कि स्टूडेंट्स बदलाव के एजेंट होते हैं. जो वे स्कूलों में सीखेंगे वही अपने माता-पिता को भी करने के लिए कहेंगे. इस तरह से स्कूल और घर दोनों जगह स्टूडेंट्स को खुशी मिलेगी. त्रिपाठी ने कहा,"इसलिए स्कूल इस पहल को अपने यहां अमल करें जिससे स्टूडेंट्स अपने गुस्से पर काबू रख सकें और दूसरों को भी गुस्से पर काबू रखना सिखा सकें."
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