दिल्ली हाईकोर्ट ने आज एक उल्लेखनीय फैसले में कहा कि भारत का नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कैग) कानून के तहत निजी दूरसंचार कंपनियों के बही-खातों का लेखा परीक्षण कर सकता है।
न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग और वी कामेश्वर राव की पीठ ने कैग को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार (ट्राइ) अधिनियम के तहत निजी दूरसंचार कंपनियों के लेखा-परीक्षण की अनुमति दी।
अदालत ने दूरसंचार कंपनियों के दो संघों एसोसिएशन ऑफ यूनिफाइड टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स (ऑस्पी) और सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) द्वारा इस मुद्दे पर दूरसंचार पंचाट टीडीसैड के 2010 के आदेश के खिलाफ दायर अलग-अलग याचिकाओं को खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद नवंबर 2013 में आदेश सुरक्षित रख दिया था। सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र सरकार, कैग और याचिकाकर्ताओं - सीओएआई और ऑस्पी - के बयान दर्ज किए थे।
दोनों संगठनों ने कुल मिलाकर यही कहा था कि कैग निजी कंपनियों की आडिट लेखा-परीक्षण नहीं कर सकता। उनकी ओर से यह भी कहा गया था कि लेखा-परीक्षण के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कंपनियां दूरसंचार विभाग के साथ लाइसेंस समझौते के प्रावधानों के तहत विशेष लेखा-परीक्षण व्यवस्था का अनुपालन कर रहे हैं।
कंपनियों ने दावा किया था कि वे ट्राइ के नियम के मुताबिक, अपना ब्योरा रख रहे हैं और उन्हें अपने दस्तावेज कैग को देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
इसके विपरीत कैग ने मजबूती से कहा कि कानूनों के तहत उसे इन कंपनियों का लेखा-परीक्षण करने का पूरा अधिकार है और कहा कि दूरसंचार कपंनियों को अपनी कमाई सरकार को दिए जाने वाले हिस्से का पूरा ब्योरा उसे देना चाहिए।