पीएम मोदी द्वारा 8 नवंबर को विमुद्रीकरण (नोट बैन) के ऐलान के बाद से जहां आम लोगों में अफरातफरी मची रही वहीं प्रॉपर्टी बाजार पर भी बुरा असर पड़ा. कभी कालेधन के लिए सुरक्षित पनाहगाह माने जाने वाले रीयल्टी सेक्टर को नोटबंदी से बड़ा झटका ल गा है. पिछले तीन माह में रीयल्टी क्षेत्र के डेवलपर्स की बिक्री में 50 प्रतिशत तक गिरावट आई है.
डेवलपर्स को अब उम्मीद इस बात पर टिकी है कि बाजार में कुछ ‘सफेद धन’ वाले खरीददार आएं. हालांकि, बहुत से खरीदारों ने आवासीय बाजार में अपनी खरीद रोकी हुई है. इनको उम्मीद है कि ब्याज दरों में और गिरावट आएगी और नोटबंदी की वजह से संपत्तियों के दाम और घटेंगे. बहुत से अन्य लोगों का मानना है कि इससे क्षेत्र से कालेधन की सफाई हो सकेगी और सफेद धन यानी ऐसा पैसा लगेगा जो सरकार की जानकारी में है और उस पर कर चुकाया गया है.
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उद्योग के आंकड़ों के अनुसार, द्वितीयक बाजार या सेकेंड हैंड प्रापर्टी बाजार नोटबंदी से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। माना जाता है कि पुराने मकानों की खरीद-फरोख्त में सबसे अधिक कालेधन का इस्तेमाल होता है. सरकार द्वारा 500 और 1,000 रपये के नोटों को बंद करने के बाद संपत्तियों का पंजीकरण भी प्रभावित हुआ है. प्रापर्टी सलाहकार नाइट फ्रैंक इंडिया के अनुसार नोटबंदी के बाद डेवलपर्स को अनुमानत: 22,600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है जबकि राज्य सरकारों को स्टाम्प ड्यूटी पर 1,200 करोड़ रपये का नुकसान हुआ है.
चेन्नई से लेकर कोलकाता, हैदराबाद से लेकर पुणे और मुंबई तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की शीर्ष रीयल्टी कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि नोटबंदी से रीयल एस्टेट बाजार बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
(न्यूज एजेंसी भाषा से इनपुट)