एचएसबीसी की स्विट्जरलैंड शाखा के जरिये वैश्विक स्तर पर की जा रही कर चोरी का खुलासा इन खातों के लीक होने के बाद अब ब्रिटेन के इस दिग्गज बैंक ने इस बात को स्वीकार किया है कि पूर्व में उसकी ओर से इस दिशा में कुछ खामियां रहीं। हालांकि, उसने दावा किया कि अवैध धन के प्रवाह पर अंकुश के लिए अब कड़े नियंत्रण लागू कर दिए गए हैं।
एचएसबीसी ने जोर देकर कहा कि पिछले कुछ साल के दौरान कई उल्लेखनीय कदम उठाए गए हैं। उसने कहा कि इस तरह के कदमों के बाद एचएसबीसी के स्विस निजी बैंक खाताधारकों की संख्या में 2007 के बाद से लगभग 70 प्रतिशत की कमी आई है।
अंतरराष्ट्रीय खोजी पत्रकारों के समूह (आईसीआईजे) ने संयुक्त जांच के बाद दुनियाभर के एक लाख से अधिक खाताधारकों के ब्योरे का खुलासा किया है। इनमें से 1,000 से अधिक खाताधारक भारत के हैं।
एचएसबीसी ने आज ईमेल के जरिये भेजे बयान में कहा, 'हम इस बात को स्वीकार करते हैं कि एचएसबीसी के स्विस निजी बैंक और उद्योग में अनुपालन की संस्कृति तथा जांच पड़ताल के मानदंड और आज की तुलना में काफी निचले स्तर पर थे।'
उसने कहा, 'हम संबंधित अधिकारियों के साथ इन मामलों में जांच में सहयोग कर रहे हैं। हम पूर्व में नियंत्रण के मोर्चे पर विफलता में अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं।' इस बारे में संपर्क किए जाने पर एचएसबीसी ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। लेकिन उसने हाल में तैयार नोट जरूर उपलब्ध कराया।
बयान में कहा गया है, 'बैंक ने पिछले कुछ साल के दौरान सुधारों व एचएसबीसी के नए सख्त मानकों का पालन नहीं करने वाले खाताधारकों को बाहर करने के लिए उल्लेखनीय कदम उठाए हैं। इनमें वह मामले भी हैं जिनमें हम कर अनुपालन को लेकर चिंतित थे।
लीक दस्तावेजों के अनुसार एचएसबीसी ने कर चोरी में जिन अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों की मदद की उनमें भारत के कई पूर्व व मौजूदा राजनीतिज्ञ शामिल हैं।
नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने चुनाव के दौरान काले धन को वापस लाने का वादा किया था। इन दस्तावेजों से यह भी पता चलता है कि हथियार के सौदागारों के साथ कारोबार में एचएसबीसी बैंक को लाभ हुआ। लीक फाइल के अनुसार इन खाताधारकों के खाते में संबंधित अवधि में 100 अरब डॉलर से अधिक की राशि जमा थी।