बिजली वितरण कम्पनियों के कारोबार में बने रहने के लिए जरूरी है कि देश में बिजली की दरों में वृद्धि हो। यह बात गुरुवार को एक वरिष्ठ बिजली विशेषज्ञ ने कही।
'भारत के बिजली के भविष्य की सुरक्षा' विषय पर एक सम्मेलन में पूर्व विद्युत सचिव अनिल राजदान ने कहा कि वितरण कम्पनियों को असफल होने से बचाने के लिए देश में बिजली की दर बढ़ाने की जरूरत है।
राजदान के मुताबिक प्रौद्योगिकी और वाणिज्यिक नुकसान और कम दरों के कारण कम्पनियों को भारी नुकसान हो रहा है।
राजदान ने कहा, "मौजूदा सम्पूर्ण वितरण नुकसान दो लाख करोड़ रुपये का है। सिर्फ पिछले साल का नुकसान 39-40 हजार करोड़ रुपये का है।"
राजदान ने बिजली की दर को मौजूदा लगभग तीन रुपये प्रति इकाई से बढ़ाकर सात रुपये प्रति इकाई करने का सुझाव दिया।
दो दिवसीय सम्मेलन के आयोजक 'द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट' (टेरी) की कार्यकारी निदेशक (संचालन) लीना श्रीवास्तव ने कहा देश के सामने ऊर्जा सक्षमता बढ़ाने के अलावा और अधिक विकल्प नहीं हैं।
कई निजी बिजली उत्पादक कम्पनियां बिजली दरों पर पुनर्विचार चाह रही हैं, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया जैसे कई प्रमुख कोयला उत्पादक देशों में कोयले की कीमतों में तेजी से वृद्धि दर्ज की गई है।