पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कोल ब्लॉक आवंटन मामले में उन्हें बतौर आरोपी समन किए जाने के एक स्पेशल कोर्ट के समन के खिलाफ अपील की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है और समन पर स्टे लगा दिया है।
उच्चतम न्यायालय ने कोयला घोटाला मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अन्य को तलब करने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाई है।
उच्चतम न्यायालय ने कोयला घोटाला मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर भी रोक लगाई है। उच्चतम न्यायालय ने अलग से दाखिल उस आग्रह पर केंद्र को नोटिस भी जारी किया जिसमें भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के एक प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।
मनमोहन सिंह की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि प्रधानमंत्री के पास पूर्ण शक्तियां होती हैं और उनके प्रशासनिक फैसलों को गैर-कानूनी नहीं कहा जा सकता है। मनमोहन सिंह ने मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी के अभाव का मुद्दा भी उठाया।
इस याचिका में कहा गया था कि तालाबीरा कोल ब्लॉक आवंटन के पीछे आपराधिक इरादा नहीं था, इसलिए भ्रष्टाचार निरोधी क़ानून के तहत आरोप नहीं लगाया जा सकता। यह महज एक प्रशासनिक फ़ैसला था, जिसे एक लंबी प्रक्रिया के तहत लिया गया।
विशेष अदालत ने 11 मार्च को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पीसी पारख और तीन अन्य को आरोपी के तौर पर समन जारी किए और 8 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा था। ये मामला 2005 में हिंडाल्को को ओडिशा में तालाबीरा-2 कोयला ब्लाक आवंटन करने से जुड़ा है। तत्कालीन प्रधानमंत्री के पास उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार था।
मनमोहन सिंह ने कोर्ट द्वारा समन भेजे जाने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि मुझे विश्वास है कि सच सामने आएगा। मैंने हमेशा कहा है कि मैं हर तरह की जांच के लिए तैयार हूं। पूरे मामले से मैं परेशान हूं, लेकिन ये ज़िंदगी का एक हिस्सा है।
कोयला घोटाले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है उनमें पूर्व प्रधानमंत्री और कोयला मंत्री मनमोहन सिंह के साथ बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पीसी परख, हिंडाल्को के एमडी शुभेन्दु अमिताभ, हिंडाल्को के एमडी डी भट्टाचार्य का नाम शामिल हैं। अदालत ने आपराधिक साजिश, विश्वासघात और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत इन सभी को समन किया।