एयर इंडिया ने संकेत दिया कि वह हवाई यात्रियों को आकर्षित करने के लिए किराये में कमी करने की होड़ में शामिल हो सकती है। जेट एयरवेज की साल के अंत तक 2,250 रुपये में 20 लाख सीटें उपलब्ध कराने की पेशकश के बाद अन्य प्रमुख निजी विमानन कंपनियां किराये कम करने की होड़ में शामिल हो गई हैं।
हालांकि सरकार को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि किराये में कमी विमानन नियामक डीजीसीए द्वारा तय न्यूनतम किराया स्तर से भी नीचे चला जाएगा। एयर इंडिया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक रोहित नंदन ने कहा, हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं। जैसी स्थिति होगी एयर इंडिया उसके हिसाब से कदम उठाएगी।
बजट एयरलाइन स्पाइसजेट, गोएयर और इंडिगो किराया घटाने की होड़ में शामिल हो गई हैं। वे जेट एयरवेज द्वारा मंगलवार को हवाई किराया घटाने की घोषणा के बाद से कम किराये की पेशकश कर रही हैं। जेट एयरवेज ने इस साल के अंत तक घरेलू हवाई यात्रा के लिए कम किराए पर 20 लाख सीटें उपलब्ध कराने की पेशकश की है।
यह पूछने पर कि क्या गलाकाट प्रतिस्पर्धा से भारत में पहले से वित्तीय संकट से घिरी कंपनियों की कठिनाई और नहीं बढेगी तो नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने कहा, हम हवाई किराये का नियमन नहीं करते। हम एक प्रकोष्ठ बना रहे, जो किराया दरों की निगरानी करेगा लेकिन निगरानी, किराये के नियमन से अलग है।
एयरलाइन उद्योग के सूत्रों ने जेट की पहल पर कहा, यह पहल जेट-एतिहाद सौदे से ध्यान हटाने की कोशिश हो सकती है, क्योंकि उस सौदे में कुछ समस्या हो गई है। साथ ही किराये में कमी का उद्देश्य पिछले कुछ दिनों में कंपनी के लुढ़के शेयर में तेजी लाना भी हो सकता है। इस पहल के जरिए उन्होंने कहा कि जेट प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के यात्रियों को आकर्षित करने और करीब 400 करोड़ रुपये की नकदी जुटाना चाहता है।