India's Economic Growth Projection: वर्ल्ड बैंक (World Bank) ने कहा कि चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) विकास की राह पर है. कठिन बाह्य परिस्थितियों के बावजूद, देश सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है. वित्त वर्ष 23- 24 में 8.2 प्रतिशत की गति से विकास हुआ.
एक रिपोर्ट में मंगलवार को वर्ल्ड बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में विकास दर 7 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है और वित्त वर्ष 2025-26 के साथ वित्त वर्ष 2026-27 में भी यह मजबूत बनी रहेगी.
चालू खाता घाटा GDP के लगभग 1-1.6% पर रहने की उम्मीद
वहीं, मजबूत राजस्व वृद्धि और आगे राजकोषीय समेकन के साथ, ऋण-जीडीपी अनुपात वित्त वर्ष 23/24 में 83.9 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 26/27 तक 82 प्रतिशत होने का अनुमान है. वर्ल्ड बैंक के ताजा भारत विकास अपडेट (आईडीयू) के अनुसार, चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) वित्त वर्ष 26/27 तक सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी (GDP) के लगभग 1-1.6 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा, "आईटी, व्यावसायिक सेवाओं और फार्मा के अलावा, कपड़ा, परिधान और फुटवियर के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक्स और हरित प्रौद्योगिकी उत्पादों में भारत का निर्यात बढ़ सकता है."
देश में शहरी बेरोजगारी में हुआ सुधार
रिपोर्ट के मुताबिक सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में निवेश और रियल एस्टेट में घरेलू निवेश में बढ़ोतरी से देश में विकास को बढ़ावा मिला. महामारी के बाद से देश में शहरी बेरोजगारी में धीरे-धीरे सुधार हुआ है, खासकर महिला श्रमिकों के लिए.वित्त वर्ष 24/25 की शुरुआत में महिला शहरी बेरोजगारी दर (Unemployment Rate) गिरकर 8.5 प्रतिशत हो गई.
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति और डिजिटल पहल से मिला बढ़ावा
रिपोर्ट में विकास को बढ़ावा देने के लिए व्यापार की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया है. इसमें कहा गया है कि भारत ने राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति और डिजिटल पहल के माध्यम से अपनी प्रतिस्पर्धा की क्षमता को बढ़ाया है, जो व्यापार लागत को कम कर रहा है. हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक एक ट्रिलियन डॉलर के अपने वस्तु निर्यात लक्ष्य तक पहुंचने के लिए भारत को अपने निर्यात बास्केट में विविधता लाने और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं का लाभ उठाने की जरूरत है.
वरिष्ठ अर्थशास्त्री और रिपोर्ट के सह-लेखक नोरा डिहेल और रान ली के अनुसार, अधिक व्यापार-संबंधी नौकरियां पैदा करने के लिए, भारत वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में अधिक गहराई से एकीकृत हो सकता है. इससे नवाचार और उत्पादकता वृद्धि के अवसर भी पैदा होंगे.