Exclusive : मजबूत बैलेंसशीट, ग्रोथ माइंडसेट और क्षमता को लगे पंख; वल्‍लभ भंशाली ने बताया- कैसी है देश की डिजाइन फिलॉसफी

चुनाव के सवाल पर भंशाली ने कहा, "हालिया स्थितियों को देखकर जितना भी सोचें, लेकिन यही लगता है कि वापस यही सरकार आ रही है."

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भारत सैकड़ों सालों तक ऊंचाई पर था. पिछले 100 साल में भारत बॉटम बन चुका है. अब जो समय है, वो आजादी का समय है." देश के प्रमुख इन्‍वेस्‍टमेंट बैंकर और एनाम होल्डिंग्स (Enam Holdings) के फाउंडर और चेयरमैन वल्‍लभ भंशाली ने NDTV Profit हिंदी की एग्जीक्यूटिव एडिटर नियति बोहरा के साथ स्‍पेशल इंटरव्‍यू में ये बातें कहीं.

भंशाली ने राष्‍ट्र निर्माण की नीतियों से लेकर सरकार के काम-काज तक कई मुद्दों पर बात की. उन्‍होंने कहा, "देश को पहली आजादी 1947 में मिली, लेकिन हम कई मायनों में गुलाम रहे. 1991 में उदारीकरण जैसे इकोनॉमिकल रिफॉर्म से दूसरी आजादी मिली. बीते 22 जनवरी को हमें कल्चरल आजादी मिली. आजादी मजबूत लोगों को बहुत आगे बढ़ाती है."

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उन्‍होंने कहा, "बिजनेस सेटअप, पॉलिसी पर अब भी काफी काम बाकी है. हमारी कई तरह की बैलेंसशीट है. इंडिविजुअल्‍स की, बैंकों की, देश की, बैलेंसशीट मजबूत होने से देश की ग्रोथ बढ़ेगी. इस वक्त जियोपॉलिटिकल वातावरण भारत के पक्ष में है. पंख लग चुके हैं, हम बढ़ते जा रहे हैं."

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अयोध्‍या ने जोड़ा नया अध्‍याय
भंशाली ने कहा, "अयोध्‍या तो एक शुरुआत है. ये सबसे बड़ा टूरिस्‍ट स्‍पॉट बनने वाला है. अयोध्या, UP को आगे ले जाएगा और UP देश को आगे ले जाएगा. लेकिन कुशीनगर जैसे शहर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री जाते हैं, जहां भगवान बुद्ध ने अंतिम समय बिताए थे. कुशीनगर में एयरपोर्ट बनाकर टूरिस्टों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाया गया."

उन्‍होंने कहा, "देश के अंदर कई सर्किट डेवलप हो रहे हैं. भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनने की क्षमता है."

चुनाव तो आएंगे-जाएंगे, ज्‍यादा क्‍यों सोचना?
आगामी चुनाव, इसके परिणामों और बाजार पर इसके असर के सवाल पर भंशाली ने कहा, "हालिया स्थितियों को देखकर जितना भी सोचें, लेकिन यही लगता है कि सरकार तो वापस आ रही है. इस बार और ज्‍यादा मेजॉरिटी के साथ सरकार बन सकती है. और मान लें कि अपेक्षा से कम भी सीटें आती हैं तो भी बाजार पर अच्‍छा ही असर होने वाला है. डिमांड में किसी बड़े स्लोडाउन के आसार नजर नहीं आते."

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उन्‍होंने कहा, "चुनाव आएंगे-जाएंगे, नीतियों और कंपनियों को देखें तो हमारी दिशा सही है. चुनाव के नतीजे हमारे वश में नहीं है, तो इस पर ज्यादा क्यों सोचना."

भंशाली ने कहा, "हर क्षेत्र में पॉलिसी रिस्पॉन्स को हमें तेज करना होगा. लैंड रिफॉर्म, एग्री रिफॉर्म की जरूरत थी लेकिन रोकने वालों ने इसे रोक दिया. अब स्थिति सही हो रही है. केंद्र सरकार ने प्रोडक्टिविटी बढ़ाई है. अभी और कई रिफॉर्म्स आने जरूरी हैं."

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"भारत में अपार क्षमताएं, जारी रखने होंगे प्रयास"
भंशाली ने कहा, "भारत में निवेश के लिए सबसे बड़ा डेस्टिनेशन बनने की क्षमता है. FDI फ्लो में स्लोडाउन से देश का ही नुकसान होता है. हमें FDI बढ़ाना है तो हमें और आकर्षक डेस्टिनेशन बनना होगा. समस्‍याओं के समाधान का एटीट्यूड लेकर चलना होगा. दूसरे देशों से दोस्ती बढ़ानी होगी. हमें ट्रेड के रास्तों को सुरक्षित बनाना होगा."

महंगाई कितनी बड़ी चिंता?
महंगाई के सवाल पर उन्‍होंने कहा, "हमारी डिमांड बहुत अधिक है और सप्‍लाई भी मिलती जा रही है तो महंगाई का बहुत बड़ा रिस्क नहीं दिखता है. RBI ने इसे बहुत अच्छी तरह से मैनेज किया है. मुझे इसमें बड़ा खतरा नहीं दिखता."

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मार्केट वैल्‍यूएशन पर क्‍या बोले?
भंशाली ने कहा, "मिडकैप-स्मॉलकैप तेजी में थोड़ा ज्यादा चल जाते हैं तो वैल्यूएशन बढ़ जाती है. लार्जकैप अभी भी अच्‍छी पीक पर है. मार्केट के वैल्यूएशन बहुत महंगे नहीं हैं सो लंबी अवधि का निवेश सोचना चाहिए. अगले 25 साल तक निवेशकों को कैश लेवल बनाए रखना चाहिए, बाकी इन्‍वेस्‍टमेंट में डालते रहना चाहिए. मैन्युफैक्चरिंग को जो सपोर्ट सरकार से मिलना चाहिए था वो अब मिलने लगा है."

"आम लोगों की जिंदगी बेहतर हो"
भंशाली ने कहा, "घर खर्च चलाने का दबाव कम हो तो लोग पढ़ाई की तरफ रुख करते हैं. हायर लेवल एजुकेशन के लिए संस्थानों की संख्या बहुत बढ़ानी होगी. जीविकोपार्जन की समस्‍या भी सरकार को दूर करनी होगी. आम लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने पर सरकार काफी काम कर रही है और ये निरंतर चलने वाला काम है."

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"भारत के पास दुनिया का खेत बनने का मौका"
भंशाली ने कहा कि एग्री रिफॉर्म्‍स और ज्‍यूडिशियल रिफॉर्म्‍स बेहद जरूरी है. भारत के पास पूरी दुनिया का खेत बनने का मौका है. हम बहुत सारी चीजें सरप्‍लस में उगाते हैं. एग्री रिफॉर्म्स भारत के लिए बहुत जरूरी, इसका कोई विकल्प नहीं है.

उन्‍होंने कहा, "हमें IT सेक्टर की तरह 10 और नए ग्रोथ सेक्टर बनाने होंगे. पिछले साल कई स्टार्ट-अप्स यूनिकॉर्न बने, इस साल रफ्तार थोड़ी कम हुई. फिर बढ़ेगी. यहां टूरिज्म की क्षमताएं काफी ज्यादा है. भारत के ग्रोथ की ट्रेन अभी स्टेशन से चली ही है, सफर लंबा है."

भंशाली ने कहा, "इस बजट में सरकार आने वाले समय का एक खाका खींच सकती है.' उन्‍होंने ये बात दुहराई कि हमें $30 ट्रिलियन नहीं बल्कि $50 ट्रिलियन की इकोनॉमी बनना है."

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