अमेरिका ने हाल ही में भारत से आयात होने वाले कई प्रोडक्ट्स पर टैरिफ बढ़ा दिया है. आमतौर पर ऐसा कदम किसी भी देश की इकॉनमी और कंपनियों पर दबाव डाल सकता है, लेकिन रिपोर्ट्स कह रही हैं कि भारत का कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार अभी भी मजबूत बना रहेगा. आखिर इसकी वजह क्या है, यही बात निवेशकों के लिए दिलचस्प है...
बार्कलेज रिसर्च की रिपोर्ट में खुलासा
आज यानी बुधवार को आई बार्कलेज रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाए जाने का भारत के कॉरपोरेट क्रेडिट पर बड़ा असर नहीं होगा. इसकी वजह यह है कि भारतीय कंपनियों की नींव मजबूत है और उन्हें घरेलू फंडिंग आसानी से मिल जाती है.
अमेरिकी टैरिफ में कितनी बढ़ोतरी ?
रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार से भारत पर अमेरिकी टैरिफ की दर 50 प्रतिशत हो गई है. इससे भारतीय निर्यात पर यूएस ट्रेड-वेटेड टैरिफ रेट 35.7 प्रतिशत तक पहुंच गया है. जबकि यह 2025 की शुरुआत में सिर्फ 2.7 प्रतिशत था और हाल में 20.6 प्रतिशत था. इसके मुकाबले भारत का अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर औसत टैरिफ सिर्फ 9.4 प्रतिशत है.
किन सेक्टर्स पर असर
अमेरिका ने 50 प्रतिशत टैरिफ से स्मार्टफोन, पेट्रोलियम और फार्मा प्रोडक्ट्स को छूट दी है. लेकिन जेम्स और ज्वेलरी, कपड़ा, इलेक्ट्रिकल मशीनरी और इंजीनियरिंग गुड्स जैसे सेक्टर्स पर असर देखा जा सकता है. रिपोर्ट कहती है कि निर्यात में थोड़ी गिरावट हो सकती है, लेकिन कॉरपोरेट क्रेडिट की मजबूती बनी रहेगी.
भारत-अमेरिका के बीच बातचीत जारी
टैरिफ को लेकर दोनों देशों के बीच लगातार बातचीत हो रही है. सोमवार को हुई वर्चुअल 2+2 अंतर-सत्रीय बैठक में भारत और अमेरिका के अधिकारियों ने कई मुद्दों पर चर्चा की. इसमें व्यापार और निवेश, ऊर्जा सुरक्षा, खनिज खोज, असैन्य-परमाणु सहयोग और आतंकवाद रोकने जैसे विषय शामिल थे.