पिछले एक साल में महिला वर्करों की संख्या में करीब 5% की बढ़ोतरी, पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे में हुआ खुलासा

पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-2018 से 2023-2024 के बीच 7 साल में बेरोजगारी दर 6% से घटकर 3.2% रह गई. अगर 2022-2023 से 2023-2024 के बीच बेरोजगारी दर को देखें तो वह 3.2 फ़ीसदी की रेट पर

Advertisement
Read Time: 4 mins
E
नई दिल्ली:

आर्थिक विकास दर में लगातार सुधार और सामाजिक परिवेश में हो रहे बदलाव की वजह से भारत के लेबर फोर्स में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहे हैं. सांख्यिकी मंत्रालय की ताजा पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण - वार्षिक रिपोर्ट [जुलाई, 2023 - जून, 2024]) रिपोर्ट में कई अहम तथ्य सामने आए हैं. इस सर्वे रिपोर्ट में ये पाया गया है कि भारत में लेबर फोर्स का स्वरूप बदल रहा है और महिला वर्करों की भागीदारी में अच्छी बढ़ोतरी हो रही है.

15 साल से ज्यादा महिलाओं की लेबर फोर्स में भागीदारी बढ़कर 41.7%

पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे रिपोर्ट में यह महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है की 15 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं की भारत के लेबर फोर्स में भागीदारी जुलाई, 2022-23 में 37% थी जो 2023-2024 में बढ़कर 41.7 फ़ीसदी हो गई, यानि एक साल में महिला वर्करों की संख्या में करीब 5% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

सांख्यिकी मंत्रालय के मुताबिक, "15 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र के लोगों के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (Worker Population Ratio) ग्रामीण क्षेत्रों में 2017-18 में 48.1% से बढ़कर 2023-24 में 62.1% हो गया, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 43.9% से बढ़कर 49.4% हो गया. भारत में पुरुषों के लिए Worker Population Ratio 2017-18 में 71.2% से बढ़कर 2023-24 में 76.3% हो गया और महिलाओं के लिए Worker Population Ratio में वृद्धि 22.0% से बढ़कर 40.3% हो गई".

52 करोड़ PM जनधन अकाउंट में 56% महिलाओं के नाम पर

उद्योग संघ PHDCCI के डिप्टी सेक्रेटरी जनरल जतिंदर सिंह ने एनडीटीवी से कहा, "वूमेन वर्कफोर्स का साइज बढ़ रहा है महिलाओं की भागीदारी सैलरी वाले नौकरियों में बढ़ रही है. इस साल के बजट में 3.3 लाख करोड़ नारी शक्ति के लिए आवंटित किया गया था वित्त मंत्री द्वारा...अभी देश में जो एक सिस्टम है वह नारी शक्ति को मेंस्ट्रीम में लाने के लिए सकारात्मक साबित हो रहा है. 52 करोड़ PM जनधन अकाउंट में 56% महिलाओं के नाम पर है".

Advertisement

7 साल में बेरोजगारी दर 6% से घटकर 3.2% हुई

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-2018 से 2023-2024 के बीच 7 साल में बेरोजगारी दर 6% से घटकर 3.2% रह गई. अगर 2022-2023 से 2023-2024 के बीच बेरोजगारी दर को देखें तो वह 3.2 फ़ीसदी की रेट पर स्थिर है.

Advertisement
सांख्यिकी मंत्रालय की तरफ से जारी एक नोट के मुताबिक, "15 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र के लोगों के लिए बेरोजगारी दर (यूआर) ग्रामीण क्षेत्रों में 2017-18 में 5.3% से घटकर 2023-24 में 2.5% हो गया, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 7.7% से घटकर 5.1% हो गया. भारत में पुरुषों के लिए यूआर 2017-18 में 6.1% से घटकर 2023-24 में 3.2% हो गया और महिलाओं के लिए इसी तरह की कमी 5.6% से 3.2% हो गई".

देश में बेरोजगारी दर 3.2% पर स्थिर क्यों है?

पिछले कुछ साल में भारत की जीडीपी विकास दर 7% या उससे ज़्यादा रही है लेकिन देश में बेरोजगारी दर 3.2% पर स्थिर क्यों है, इस सवाल पर कौंसिल ऑफ़ सोशल डेवलपमेंट के डायरेक्टर Dr. नित्या नंद ने कहा, "आर्थिक विकास की वजह से जब लोगों की प्रोडक्टिविटी बढ़ती है तो उनमें कुछ सैलरी वाली नौकरी नहीं करने का फैसला करते हैं...साथ ही, भारत में जनसंख्या बढ़ रही है जिस वजह से हर साल बड़ी संख्या में नए लोग लेबर मार्केट में आने की कोशिश कर रहे हैं...कुछ लोग वॉलंटरी तौर पर भी बेरोजगार होते हैं क्योंकि उनके मन के मुताबिक नौकरी नहीं मिलने पर वह लेबर फोर्स ज्वाइन नहीं करते".

Advertisement

पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे में ये भी खुलासा हुआ है कि पिछले सात साल में 15 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र के लोगों के श्रम बल सहभागिता दर यानि काम करने या काम के लिए उपलब्ध लोगों (Labour Force Participation Rate) की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.

Advertisement

ग्रामीण क्षेत्रों में Labour Force Participation Rate बढ़कर 63.7% हुई

सांख्यिकी मंत्रालय के मुताबिक, "ग्रामीण क्षेत्रों में Labour Force Participation Rate 2017-18 में 50.7% से बढ़कर 2023-24 में 63.7% हो गई, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 47.6% से बढ़कर 52.0% हो गई. भारत में पुरुषों के लिए Labour Force Participation Rate 2017-18 में 75.8% से बढ़कर 2023-24 में 78.8% हो गया और महिलाओं के लिए Labour Force Participation Rate में वृद्धि 23.3% से बढ़कर 41.7% हो गई".

सांख्यिकी मंत्रालय की रिपोर्ट में यह तथ्य भी सामने आया है कि देश में सैलरी वाले workers की कमाई सेल्फ एंप्लॉयड लोगों के अनुपात में ज्यादा बढ़ी है.