अमेरिकी टैरिफ और ट्रंप के बयान से बेखौफ भारतीय रुपया, डॉलर के मुकाबले 40 पैसे हुआ मजबूत

Dollar vs Indian Rupee Today: एक ओर जहां वैश्विक स्तर पर तनाव और अमेरिका की सख्ती चिंता पैदा कर रही है, वहीं भारतीय रुपया फिलहाल RBI की मदद और अंतरराष्ट्रीय कीमतों के दम पर मजबूती दिखा रहा है.

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Dollar vs Rupee Rate : एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि RBI एक्टिव रहा तो रुपया जल्दी ही 87 के लेवल को फिर से छू सकता है.
नई दिल्ली:

1 अगस्त को भारतीय करेंसी में पॉजिटिव शुरुआत देखने को मिली, जब रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 40 पैसे की बढ़त के साथ 87.25 पर पहुंच गया. कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के संभावित हस्तक्षेप ने इस मजबूती को सपोर्ट दिया. हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताजा बयानों और टैरिफ फैसलों ने निवेशकों में बेचैनी बढ़ा दी है.

डॉलर को लेकर ट्रंप का सख्त रुख, BRICS देशों पर निशाना

व्हाइट हाउस में हुए एक कार्यक्रम के दौरान ट्रंप ने भारत की BRICS सदस्यता को लेकर सवाल उठाए और इसे "अमेरिका विरोधी देशों का समूह" बताया. उन्होंने कहा कि BRICS  डॉलर को टारगेट कर रहा है और अमेरिका इसे बर्दाश्त नहीं करेगा.उन्होंने यह भी साफ किया कि भारत से रूस के साथ व्यापारिक रिश्तों और BRICS सदस्यता के चलते 25 प्रतिशत टैरिफ के साथ अतिरिक्त पेनल्टी लगाई गई है.

क्रूड में गिरावट से मिला सपोर्ट

जहां अमेरिकी डॉलर इंडेक्स 0.07 प्रतिशत की तेजी के साथ 100.03 पर रहा, वहीं इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.97 प्रतिशत गिरकर 72.53 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई. इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को राहत मिली और रुपए में मजबूती आई.

RBI के हस्तक्षेप से रुपया उबरा

बीते दिन गुरुवार को रुपया अपने ऑल टाइम लो लेवल 87.75 से रिकवर होकर 87.65 पर बंद हुआ था. जानकारों का मानना है कि RBI ने मार्केट में दखल दिया था, जिससे गिरावट थमी. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि RBI एक्टिव रहा तो रुपया जल्दी ही 87 के लेवल को फिर से छू सकता है.

शेयर बाजार में कमजोरी बरकरार, FII बिकवाल

ट्रंप के टैरिफ ऐलान और डॉलर पर बयान के बाद घरेलू शेयर बाजार भी दबाव में रहे. दिन के कारोबार में सेंसेक्स में 145 अंक और निफ्टी में करीब 65 अंकों की गिरावट दर्ज की गई. इसके साथ ही विदेशी निवेशकों (FII) ने भी भारी बिकवाली करते हुए गुरुवार को 5,588 करोड़ रुपये के शेयर बेचे.

राजकोषीय घाटे में उछाल, जून तक पहुंचा 2.80 लाख करोड़ रुपये

सरकार का राजकोषीय घाटा 2025-26 के शुरुआती तीन महीनों (अप्रैल-जून) में 2.80 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पूरे साल के लक्ष्य का 17.9 प्रतिशत है. बीते साल की इसी अवधि में यह आंकड़ा केवल 8.4 प्रतिशत था.

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एक ओर जहां वैश्विक स्तर पर तनाव और अमेरिका की सख्ती चिंता पैदा कर रही है, वहीं भारतीय रुपया फिलहाल RBI की मदद और अंतरराष्ट्रीय कीमतों के दम पर मजबूती दिखा रहा है. लेकिन आगे की चाल अमेरिकी नीति, डॉलर की स्थिति और विदेशी निवेशकों के मूड पर निर्भर करेगी.इससे ना सिर्फ रुपए का रुख बल्कि पूरी इकोनॉमी की दिशा तय हो सकती है.

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