देशहित के ख़िलाफ़ काम कर रही NGOs, इनकम टैक्स विभाग ने क्या-क्या लगाए आरोप...?

अंग्रेज़ी दैनिक 'Indian Express' में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, NGOs को भेजे गए चारों इन्टीमेशन लटर की समीक्षा करने के बाद जानकारी मिली है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने प्रत्येक NGO पर क्या-क्या आरोप लगाए हैं.

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नई दिल्ली:

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने देश की विकास परियोजनाओं को रोकने की कोशिश का सनसनीखेज़ आरोप पांच चुनिंदा ग़ैर-सरकारी संगठनों, यानी NGO पर लगाया है. दो साल पहले इन NGO के ख़िलाफ़ तलाशी की कार्रवाई के बाद शुरू की गई जांच के दौरान डिपार्टमेंट ने चार NGO को 'इन्टीमेशन लेटर' भेजे हैं, जिनमें इन NGO पर मिलीभगत से देशहित के विरुद्ध काम करने के आरोप लगाए गए हैं. जिन पांच NGO के खि़लाफ़ जांच की जा रही थी, उनके देश का प्रमुख थिंकटैंक सेंटर फ़ॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR), मल्टीनेशनल कन्फ़ेडरेशन ऑक्सफ़ैम, एनवायरॉनिक्स ट्रस्ट (ET), लीगल इनिशिएटिव फ़ॉर फ़ॉरेस्ट एंड एनवायरनमेंट (LIFE) और केयर इंडिया सॉल्यूशन फ़ॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (CISSD) शामिल हैं, और अब इनमें से चार NGO को 'इन्टीमेशन लेटर' भेजे गए हैं. अंग्रेज़ी दैनिक 'Indian Express' में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, NGOs को भेजे गए चारों इन्टीमेशन लटर की समीक्षा करने के बाद जानकारी मिली है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने प्रत्येक NGO पर क्या-क्या आरोप लगाए हैं.

ऑक्सफ़ैम को भेजा गया 141-पेज का इन्टीमेशन लेटर

ऑक्सफ़ैम को भेजे गए 141-पृष्ठीय इन्टीमेशन लेटर में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने NGO पर सार्वजनिक किए गए मकसदों के ख़िलाफ़ काम करने का आरोप लगाया. अदाणी ग्रुप द्वारा किए जा रहे खनन कार्य को रोकने के लिए ऑक्सफ़ैम ऑस्ट्रेलिया की कोशिशों को ऑक्सफ़ैम इंडिया के समर्थन की ओर इशारा करते हुए हार्ड ड्राइव से मिले 'सबूतों' और ईमेल का हवाला देते हुए खत में कहा गया, "...स्पष्ट है कि ऑक्सफ़ैम इंडिया की अदाणी पोर्ट्स को डीलिस्ट करने में सीधी रुचि है... ऑस्ट्रेलिया में काम कर रहे एक भारतीय व्यापार समूह को धर्मार्थ गतिविधियों के नाम पर टारगेट बनाने के लिए ऑक्सफ़ैम इंडिया की भयावह साज़िश है... वे विदेशी संस्थाओं के साथ मिलकर साज़िश रच रहे हैं..."

CPR को भेजे गए इन्टीमेशन लेटर में विसंगतियों का आरोप

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने जो 'इन्टीमेशन लेटर' सेंटर फ़ॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) को भेजा, वह 115-पृष्ठीय है, और उसमें फ़ंड कलेक्शन और विदेशी दान के प्रबंधन में विसंगतियों का दावा किया गया है. खत में कहा गया है कि CPR कथित तौर पर जन अभिव्यक्ति सामाजिक विकास संस्था (JASVS) के ज़रिये छत्तीसगढ़ में कोयला खनन के खिलाफ चल रहे हसदेव आंदोलन में 'शामिल' था - और वर्ष 2019-2023 के बीच JASVS को जितना धन हासिल हुआ, उसका 83 फ़ीसदी CPR से मिला था.

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ET ने रची अदाणी समूह के प्लान्ट के ख़िलाफ़ साज़िश

'इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक, 104-पृष्ठीय 'इन्टीमेशन लेटर' तीसरे NGO एनवायरॉनिक्स ट्रस्ट (ET) को भेजा गया, जिसमें ओडिशा के धिनकिया में JSW उत्कल स्टील प्लान्ट के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के लिए फ़ंडिंग का आरोप लगाया गया है. खत में बताया गया है कि वर्ष 2020 में 711 स्थानीय लोगों के बैंक खातों में ₹1250-₹1250 ट्रांसफ़र किए गए थे. 'इन्टीमेशन लेटर' में दावा किया गया है कि ET और लंदन स्थित सर्वाइवल इंटरनेशनल झारखंड में अदाणी समूह के गोड्डा प्लान्ट के 'ख़िलाफ़ साज़िश रच रहे हैं' और अदाणी-विरोधी आंदोलन को मज़बूत करने के मकसद से लोगों को जोड़ रहे हैं. खत के मुताबिक, 'जिसकी जांच हो रही है', वह 'विकासात्मक परियोजनाओं को रोकने' के लिए अपने फ़ंड का 'दुरुपयोग' कर रहा है.

एनवायरॉनिक्स ट्रस्ट को भेजे गए खत में यह भी कहा गया है, "यह साफ़ है कि यूरोपियन क्लाइमेट फ़ाउंडेशन (ECF) एनवायरॉनिक्स ट्रस्ट के साथ मिलकर भारत में कोयला और थर्मल पावर प्लान्टों को निशाना बना रहा है और भारत के बड़े कॉरपोरेट (सरकारी संस्थाओं सहित) के ख़िलाफ़ लामबंदी और विरोध प्रदर्शन में जुटा हुआ है... ECF द्वारा धनराशि थर्मल पावर प्लान्ट को ठप करने और उस क्षेत्र में अशांति पैदा करने के उद्देश्य से दी गई है... इससे पता चलता है कि ET, ECF के हाथों में खेल रहा है..."

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US की Earth Justice कर रही LIFE का इस्तेमाल

LIFE को भेजे गए 86-पृष्ठीय इन्टीमेशन लेटर में कहा गया है, "(अमेरिका स्थित NGO) Earth Justice द्वारा कोयला खदानों और थर्मल पावर परियोजनाओं को रोकने के लिए लाइफ़ ट्रस्ट का इस्तेमाल उपकरण के रूप में किया जा रहा है..." खत में LIFE के संस्थापक ऋत्विक दत्ता और Earth Justice के एक अधिकारी के बीच हुए कथित ई-मेल का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि "LIFE और उसके सदस्य उसकी अवैध गतिविधियों और उनके नतीजों के बारे में जानते थे... उन्हें पकड़े जाने का डर है..." खत में एक ई-मेल का हवाला दिया गया है, जिसमें ऋत्विक दत्ता ने लिखा, "मेरा मानना है कि Earth Justice के ख़िलाफ़ भारतीय खुफ़िया एजेंसियों द्वारा जांच की जा सकती है..."

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NGOs के बीच है मिलीभगत : इन्टीमेशन लेटर

NGOs को भेजे गए 'इन्टीमेशन लेटर' में यह दावा भी किया गया है कि NGOs के बीच कथित रूप से 'रिश्ते' हैं, जो संकेत देते हैं कि ये NGO एक-दूसरे के साथ 'मिलकर' काम कर रहे थे. खतों के मुताबिक, CPR की पूर्व अध्यक्ष यामिनी अय्यर केयर की शेयरधारक भी हैं. IT विभाग का दावा है कि ऑक्सफ़ैम इंडिया ने CPR के कुछ अहम कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए 12 लाख रुपये की परियोजना की पेशकश की.

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एनवायरॉनिक्स ट्रस्ट के भी कथित तौर पर ऋत्विक दत्ता के संगठन LIFE के साथ 'करीबी ताल्लुकात' हैं. आयकर विभाग का दावा है कि ये दोनों NGO कथित तौर पर 'विदेशी धन का इस्तेमाल कर भारत में कोयला परियोजनाओं को निशाना बनाने और रोकने में शामिल हैं...'

इनकम टैक्स विभाग की तफ़्तीश के मुताबिक, ऑक्सफ़ैम इंडिया अहम दानदाता है. खत के मुताबिक, ऑक्सफ़ैम इंडिया ने 'कोयला उद्योगों के ख़िलाफ़ स्थानीय यूनियनों की मदद से समुदायों को संगठित करने के लिए' ET को फ़ंड दिया, जिनमें धिनकिया में हुआ विरोध प्रदर्शन शामिल था. IT विभाग का कहना है, "ऑक्सफ़ैम इंडिया अलग-अलग वजहों से ET को लगातार भुगतान कर रहा है..." इससे साफ़ है कि "ET को ऑक्सफ़ैम की तरफ़ से लगातार फ़ंडिंग दी गई, और ET आंदोलनात्मक गतिविधियों के लिए ऑक्सफ़ैम के हाथ की कठपुतली है..."

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